श्रीराम जन्मभूमि, गोरक्षा,गंगा की पवित्रता,वोट बैंक की सांप्रदायिकता,महिला सुरक्षा



विश्व हिन्दू परिषद केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल बैठक महाकुम्भ प्रयागराज 2013
विश्व हिन्दू परिषद केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल बैठक
माघ कृष्णपक्ष एकादशी विक्रम संवत् 2069 दिनांक: 6 फरवरी, 2013 ई0 रसिया बाबा नगर, सेक्टर-10, मोरी रोड, मुक्ति मार्ग चैराहा, महाकुम्भ प्रयागराज 2013

प्रस्ताव – श्रीराम जन्मभूमि
त्रिवेणी के पावन संगमतट पर चल रहे पूर्णकुम्भ के अवसर पर आयोजित केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल का स्पष्ट मत है कि जिस प्रकार त्रेतायुग में प्रभु श्रीराम ने वन, गिरि, कन्दराओं और ग्राम-ग्राम यात्रा करते हुए प्रबल जन जागरण किया। उसी प्रकार आज भी श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण की बाधाओं को दूर करने के लिए सम्पूर्ण भारत के ग्राम-ग्राम में तथा नगरों की प्रत्येक गली में एवं वन-पर्वतों में एक महा-जागरण एवं महा-अनुष्ठान की आवश्यकता है। इसलिए केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल सम्पूर्ण विश्व में फैले रामभक्त हिन्दू समाज का आवाह्न करता है कि प्रत्येक हिन्दू परिवार आगामी वर्ष प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2070 दिनांक 11 अप्रैल, 2013 ई0 से अक्षय तृतीया दिनांक 13 मई, 2013 ई0 तक विजय महामंत्र ‘‘श्रीराम जय राम जय जय राम’’ का प्रतिदिन कम से कम ग्यारह माला जप करके आध्यात्मिक बल निर्माण करें। यह आध्यात्मिक शक्ति ही मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेगी। हम भारत सरकार को याद दिलाना चाहते हैं कि वर्ष 1994 ई0 में भारत सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में शपथपूर्वक कहा था कि यदि ‘‘यह सिद्ध होता है कि विवादित स्थल पर 1528 ई0 के पूर्व कोई हिन्दू उपासना स्थल अथवा हिन्दू भवन था तो भारत सरकार हिन्दू भावनाओं के अनुरूप कार्य करेगी’’ इसी प्रकार तत्कालीन मुस्लिम नेतृत्व ने भारत सरकार को वचन दिया था कि ऐसा सिद्ध हो जाने पर मुस्लिम समाज स्वेच्छा से यह स्थान हिन्दू समाज को सौंप देगा। 30 सितम्बर, 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पूर्णपीठ द्वारा घोषित निर्णय से स्पष्ट हो गया है कि वह स्थान ही श्रीराम जन्मभूमि है जहाँ आज रामलला विराजमान हैं तथा 1528 ई0 के पूर्व इस स्थान पर एक हिन्दू मन्दिर था, जिसे तोड़कर उसी के मलबे से तीन गुम्बदों वाला वह ढाँचा निर्माण किया गया था। अतः आवश्यक है कि अब भारत सरकार एवं मुस्लिम समाज अपने वचनों का पालन करे।
अब भारत सरकार हिन्दू को बलिदानीभाव धारण कर आन्दोलन के लिए बाध्य न करे और आगामी वर्षाकालीन संसद सत्र में कानून बनाकर श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की सभी बाधाओं को दूर करते हुए वह स्थान श्रीराम जन्मभूमि न्यास को सौंप दे। भगवान का कपड़े का घर अब आँखों को चुभता है और इसके स्थान पर भव्य मन्दिर निर्माण करने को हिन्दू समाज आतुर है।
हमारा यह भी सुनिश्चित मत है कि जन्मभूमि के चारों ओर की भारत सरकार द्वारा अधिगृहीत 70 एकड़ भूमि प्रभु श्रीराम की क्रीड़ा एवं लीला भूमि है। मार्गदर्शक मण्डल चेतावनीपूर्वक भारत सरकार को आगाह करना चाहता है कि अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा के अन्दर विदेशी आक्रान्ता बाबर के नाम से किसी भी प्रकार का स्मारक अथवा कोई इस्लामिक सांस्कृतिक केन्द्र नहीं बनने देंगे और अयोध्या के हिन्दू सांस्कृतिक स्वरूप की सदैव रक्षा करेंगे। साथ ही साथ श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर के जिस प्रारुप (माॅडल) के लिए सवा छः करोड़ हिन्दुओं ने धनराशि अर्पित की उसी प्रारुप का मन्दिर श्रीराम जन्मभूमि पर बनेगा तथा उन्हीं पत्थरों से बनेगा, जो नक्काशी करके अयोध्या कार्यशाला में सुरक्षित रखें हैं और श्रीराम जन्मभूमि न्यास ही मन्दिर बनाएगा। मार्गदर्शक मण्डल सभी राजनीतिक दलों का आवाह्न करता है कि हिन्दू भावनाओं का आदर करते हुए श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण हेतु संसद में सहयोग करें अन्यथा हिन्दू समाज सन्तों के नेतृत्व में प्रचण्ड जन आन्दोलन को बाध्य होगा।

प्रस्ताव – गोरक्षा
त्रिवेणी संगम प्रयागराज में चल रहे पूर्णकुम्भ के पावन अवसर पर इस सन्त महासम्मेलन की चिन्ता है कि भगवान श्रीराम और गोपालकृष्ण तथा तीर्थंकरों की पावनी धरा पर आज भी सूर्योदय के साथ प्रतिदिन 50 हजार गोवंश की हत्या हो रही है। हिन्दू समाज गोमाता को पूजनीय व सब देवों को धारण करने वाली माता मानकर उसके प्रति श्रद्धा और भक्ति भाव रखता है। हिन्दू शास्त्रों में ‘‘गावः सर्वसुखप्रदाः’’ कहा है।
गोवंश की रक्षा की माँग हिन्दू समाज लम्बे समय से कर रहा है। स्वतंत्रता आन्दोलन के समय बालगंगाधर तिलक महाराज ने व महात्मा गाँधी ने गोहत्या बंदी की बात कही थी, परन्तु गाँधी का नाम लेकर राजनीति करने वाली कांग्रेस ने गोहत्या बंदी की माँग करने वाले सन्तों और भक्तों पर 7 नवम्बर, 1966 को गोलियाँ चलाकर मौत के घाट उतारने का पाप किया है। यह सन्त महासम्मेलन इस गोहत्यारी सरकार की घोर निन्दा करता है।
कांग्रेस हिन्दू समाज को लम्बे काल से प्रताडि़त करती रही है। हिन्दू समाज भारत माता की जय, वन्देमातरम् बोलता रहा तो इस कांग्रेस ने भारत को विभाजित कर एक शत्रु राज्य पाकिस्तान का निर्माण किया है। हिन्दू समाज गोरक्षा, गोसंवर्धन की बात करने लगा तो इन्होंने लगभग 4500 यांत्रिक कत्लखाने खोलकर गोहत्या की गति बढ़ाने का कार्य किया है। यांत्रिक कत्लखानों के अलावा लगभग 36 हजार रजिस्टर्ड कत्लखानों को भी सरकार ने पूर्व से ही अनुमति दे रखी है। गोवंश का नाम मिटाने के लिए प्रतिदिन तस्करी द्वारा 25-30 हजार गोवंश बंगलादेश को जा रहा है। न केन्द्रीय सरकार और न राज्य सरकारें इस दिशा में विशेष चिन्तित हैं। यदि यही क्रम चलता रहा तो आने वाले कुछ वर्षों में भारत में गोवंश का दर्शन ही दुर्लभ हो जाएगा।
आज की भारत सरकार गोवंश की हत्या करके गोमांस विदेशी राष्ट्रों में बेचकर पाप के डालर एकत्रित करने वाली सरकार है। यह सन्त महासम्मेलन रोषपूर्वक केन्द्र व राज्य सरकारों को चेतावनी देता है कि गोवंश रक्षा का केन्द्रीय कानून का निर्माण करो और अविलम्ब सभी यांत्रिक कत्लखानों को बंद करने का आदेश दो। यदि सरकार शीघ्रता से इस दिशा में सक्रिय नहीं हुई तो एक अभूतपूर्व जन ज्वार उठेगा जो गोहत्यारी कांग्रेस सरकार को धरती की धूल चटाएगा।

प्रस्ताव – विषय: गंगा
प्रयागराज में पूर्णकुम्भ के अवसर पर आयोजित केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल गंगा की वर्तमान स्थिति को लेकर चिन्तित है। गंगा के प्रवाह में जल की कमी और उसमें बढ़ते हुए प्रदूषण से गंगा की इस सनातन धारा पर संकट दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। गंगा और उसकी सहयोगी नदियों पर बनने वाले बाँध और गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक गंगा के तटवर्ती शहरों तथा उद्योगों का समस्त उत्सर्जित जल बिना किसी अवरोध के गंगा में गिर रहे हैं। सन् 1984 से लेकर अब तक प्रदूषण नियंत्रण के लिए केन्द्र एवं प्रान्त सरकारों द्वारा किए गए सभी प्रयास गर्त साबित हो रहे हैं। शहरी आबादी और उद्योगों से विसर्जित प्रदूषण की मात्रा, जल शोधन के लिए किए गए सरकारी उपायों से बहुत अधिक है। जल शोधन संयंत्र भी विद्युत चालित होने के कारण पूरे समय काम नहीं कर पाते हैं। उदाहरण के लिए हरिद्वार में प्रतिदिन 70 डस्क् प्रदूषित जल-मल निकलता है जबकि जल शोधन यंत्रों की क्षमता मात्र 45 डस्क् की है।
विगत कई वर्षों से देश का गंगाभक्त समाज गंगा की वर्तमान दुर्दशा के विरुद्ध आवाज उठा रहा है। सन्त समाज समय-समय पर विभिन्न आन्दोलनों, सभाओं एवं धरना-प्रदर्शन के द्वारा सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करता रहा है। लेकिन केन्द्र और प्रान्त की सरकरों का रवैया गंगा के प्रति सदैव गुमराह करने वाला रहा है। 2010 के हरिद्वार कुम्भ में आक्रोशित सन्त समाज को आश्वस्त करते हुए देश के प्रधानमंत्री डाॅ0 मनमोहन सिंह जी ने हम लोगों की माँग पर गंगा को राष्ट्रीय नदी तथा गंगा के अविरल और निर्मल प्रवाह को सुरक्षित करने के लिए ‘‘गंगा बेसिन प्राधिकरण’’ का गठन किया था। लेकिन ये दोनों बातें घोषणा मात्र ही साबित हुई हैं। न तो गंगा को राष्ट्रीय नदी का संवैधानिक अधिकार दिया गया है और न ही संसद से गंगा के राष्ट्रीय नदी की स्वीकृति हासिल की गई है। गंगा बेसिन प्राधिकरण (जिसके अध्यक्ष स्वयं प्रधानमंत्री महोदय हैं) की दो वर्षों में केवल दो बैठकें हुई हैं और वे बैठकें भी बिना किसी निर्णय के समाप्त हो गई। सरकार के इस रवैये से आहत होकर प्राधिकरण के कई सदस्यों ने त्यागपत्र दे दिया है। आज देश के सभी प्रमुख सन्त सरकार के इस रवैये से आहत और क्षुब्ध होकर संघर्ष करने के लिए सड़क पर उतरने को बाध्य है। जब जब सन्तों के द्वारा गंगा को लेकर आक्रोश व्यक्त किया जाता है, उस समय केन्द्र सरकार तात्कालिक राहत के नाम पर कोई आश्वासन दे देती है लेकिन उन आश्वासनों को अमल में लाने का न कोई प्रयास होता है और न सरकारी स्तर पर कोई फैसला ही लिया जाता है।
प्रो0 जी. डी. अग्रवाल (वर्तमान नाम-स्वामी सानन्द) के दीर्घकालीन अनशन और विश्व हिन्दू परिषद के प्रयास से लोहारी नागपाला की परियोजना रोकी गई थी लेकिन उसका अनुबन्ध ;डव्न्द्ध आज तक निरस्त नहीं किया गया है। अभी अलकनन्दा पर श्रीनगर में धारी देवी के निकट बन रही परियोजना को रोका तो गया है लेकिन उसको भी निरस्त करने की नियत सरकार की नहीं है। वहाँ केन्द्र के विशेषज्ञ पुनः अध्ययन के लिए भेजे गए हैं। इसी तरह आए दिन योजनाओं के विरुद्ध जब कभी कोई आक्रोश निर्मित होता है तो परियोजनाओं को बीच में ही रोक दिया जाता है और आक्रोश शान्त होते ही फिर से उस पर काम शुरू हो जाता है। इसलिए केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल का यह दृढ़ मत है कि गंगा और उसकी सहायक नदियों पर कोई बाँध न बनाया जाए और टिहरी जैसे बड़े बाँध से, जो पूरी भागीरथी को ही अपने जलाशय में कैद कर लेता है, गंगा को मुक्त किया जाए।
शहरी और औद्योगिक प्रदूषण को रोकने के लिए कड़े कानून बनाए जाएं और गंगा के निर्बाध प्रवाह और उसके जल की पवित्रता को बनाए रखने की, गंगा के एक राष्ट्रीय नदी होने के नाते, पूरी जिम्मेदारी केन्द्र सरकार ले। गंगा बेसिन प्राधिकरण का पुनर्गठन हो और उस प्राधिकरण में गंगा के निर्बाध और निर्मल प्रवाह के लिए प्रतिबद्ध वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रमुख सन्तों को शामिल किया जाए।
पंडित मदनमोहन मालवीय जी एवं अंग्रेज सरकार के मध्य 1916 ई0 में हुए अनुबंध के प्रति केन्द्र सरकार अपनी प्रतिबद्धता घोषित करे और उसको दृष्टि में रखकर गंगा के निर्बाध प्रवाह एवं गंगा में यथेष्ठ जल की मात्रा तथा जल की निर्मलता व पवित्रता को सुनिश्चित करने वाली एक मजबूत संवैधानिक योजना संसद में पारित करे, अन्यथा सन्तगण गंगा की रक्षा के लिए कठोर निर्णय लेने को बाध्य होंगे।   

प्रस्ताव – हिन्दू आतंकवाद – मुस्लिम वोट बैंक को आकर्षित करने का एक घृणित हथियार
जयपुर में आयोजित कांग्रेस के तथाकथित चिन्तन वर्ग में भारत के गृहमंत्री श्री सुशील शिंदे ने, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा के प्रशिक्षण वर्गोंे में आतंकवादी प्रशिक्षण देने के संबंध में जो बयान दिया है वह अनर्गल है, निराधार है। केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल उसकी कठोर शब्दों में निन्दा व भत्र्सना करता है। आतंकवाद का इतिहास बताता है कि भारत में आतंकवाद के जितने भी स्वरूप हैं उनको प्रारम्भ करने व पोषण करने का राष्ट्र विरोधी काम कांग्रेस ने ही किया है। पंजाब का आतंकवाद, सिमी, लिट्टे का प्रशिक्षण, नक्सलवादियों का पोषण, पूर्वोत्तर के चर्च प्रेरित आतंकवाद आदि के साथ कांग्रेस का क्या संबंध रहा है, यह जग जाहिर है। इसी प्रकार मोहम्मद सूरती, कलोटा जैसे दर्जनों सजायाफ्ता आतंकवादी कांग्रेस के बड़े नेता रहे हैं। भारतीय इतिहास में सबसे बड़ी आतंकी घटना, 1984 में 3 हजार मासूम सिखों के नरसंहार के लिए कांग्रेस के शीर्षस्थ नेता ही जिम्मेदार थे। शायद अपने इन पापों को छिपाने के लिए ही वे देशभक्त संगठनों पर आतंकवाद का घृणित आरोप मढ़ रहे हैं।
‘‘हिन्दू आतंकवाद’’, ‘‘भगवा आतंकवाद’’ जैसे शब्दों का प्रयोग करके कांग्रेस ने सिद्ध कर दिया है कि वे भारतवर्ष, हिन्दू समाज व हिन्दू संतों के इतिहास और परम्परा से पूर्ण रूप से अनभिज्ञ हैं। हिन्दू समाज ने सदैव ही सम्पूर्ण विश्व के क्रूर समाजों द्वारा सताये गये मनुष्य समुदायों को अपने यहां शरण दी है तथा ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’’ के संकल्प के साथ हमेशा विश्व में भाई चारे का भाव विकसित किया है। भगवा रंग त्याग और बलिदान का प्रतीक है। शिंदे जी ने अपने वक्तव्य से हिन्दू समाज के उज्जवल इतिहास तथा संतों व बलिदानियों की महान परम्परा को अपमानित किया है, जो असहनीय है। वैसे तो इस बयान की चैतरफा निन्दा हुई है, पर अगर कोई खुश हुए हैं तो हाफिज सईद जैसे आतंकवादी ही खुश हुए हैं। मार्गदर्शक मण्डल यह जानना चाहता है कि शिंदे जी देश के गृहमंत्री हैं अथवा आतंकवादियों के प्रवक्ता हैं।
विश्व व्यापी आतंकवादी घटनाओं में पकड़े गये युवकों के कारण सम्पूर्ण विश्व में इस आतंकवाद को दो नाम दिये गये, ‘जिहादी आतंकवाद’ और ‘इस्लामी आतंकवाद’। इसके कारण कटघरे में खड़े हुए मुस्लिम समाज के सबसे बड़े पक्षधर के रूप में अपने आपको सिद्ध करने के लिए ही, मुस्लिम वोटों के भिखारी नेताओं ने पिछले दिनों ‘‘हिन्दू आतंकवाद’’ और ‘‘भगवा आतंकवाद’’ जैसे शब्दों में गढ़ा। अपनी गढ़ी हुई कहानियों को सत्य सिद्ध करने के लिए ही सरकार ने भारत के कुछ संतों व हिन्दुओं को पकड़ा परन्तु सब प्रकार के अमानवीय व्यवहार के बावजूद भी वे अभी तक पकड़े गए व्यक्तियों पर कोई दोष सिद्ध नहीं कर सके और अब ये लोग खिसयानी बिल्ली की तरह और अधिक आक्रमक होने की असफल कोशिश कर रहे हैं। इन्होंने मुस्लिम समाज के सामने आये आत्मनिरीक्षण के अवसर भी समाप्त कर दिये, इससे आतंकवादियों के हौसले बुलन्द हुए हैं। देश के लिए हमेशा से समर्पित हिन्दू समाज, हिन्दू संतों व हिन्दू संगठनों को विश्वभर में बदनाम करने का दुष्कर्म भी किया है।
वर्तमान केन्द्र सरकार का मुस्लिम तृष्टिकरण का लम्बा इतिहास है। भारत का विभाजन कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति का ही विषाक्त फल था जिसका विष भारत माँ को आज भी व्यथित कर रहा है। स्वतंत्र भारत में भी हज यात्रा के लिए सब्सिडी देने से शुरू हुआ मुस्लिम तुष्टिकरण का यह आत्मघाती अभियान सब प्रकार की सीमाएं पार कर चुका है। सम्पूर्ण विश्व में भारत ही ऐसा देश है जहां मुस्लिम समाज के लिए अलग से कानून है जिसका लाभ लेकर वे अपनी आबादी अंधाधुंध बढ़ाकर भारत में ही हिन्दू समाज को अल्पसंख्यक बनाना चाहते हैं। भारत की सैक्युलर सरकारें करोड़ों मुस्लिम बांग्लादेशी घुसपैठियों के भारत विरोधी गतिविधियों के बावजूद उसका स्वागत और संरक्षण कर रही है। साम्प्रदायिक दंगों से हमेशा से पीडि़त हिन्दू समाज को ही अपराधी घोषित करने के लिए ‘‘साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा विरोधी विधेयक’’ लाया गया है। देश के संसाधनों को अनेक वर्षों से लूट रहे मुस्लिम समाज को पिछड़ा घोषित करके उनको आरक्षण देने के षडयंत्र को लागू करने का भरसक प्रयास किया जा रहा है। न्यायपालिका द्वारा पंथिक आधार पर आरक्षण को कई बार असंवैधानिक घोषित करने के बावजूद भी इन सैक्युलर राजनीतिज्ञों में इसको लागू करने की होड़ लगी है। भारत के संसाधनों को इन लोगों पर बहुत ही बेदर्दी से लुटाया जा रहा है। आज 95 लाख से अधिक मुस्लिम विद्यार्थियों को छात्रवृŸिा दी जा रही है। मुस्लिम विद्यार्थियों व उद्यमियों को केवल 3: ब्याज पर ऋण दी जा रहा है जबकि हिन्दू विद्यार्थियों व उद्यमी को 14ः से 16ः तक ब्याज देना पड़ता है। 14 लाख मुस्लिम महिलाओं को 5000रु0 प्रति महिला प्रतिमाह भŸाा देने का निर्णय किसी के भी गले नहीं उतरता है। ऐसी और दर्जनों योजनाएं सरकारी खजाने को खाली कर रही हैं तथा मुस्लिम समाज में अलगाव के भाव को और भी पुष्ट कर रही है। हिन्दू आतंकवाद शब्द का झूठा प्रचार इसी कड़ी का अगला कदम है जिसके माध्यम से कांग्रेस व अन्य कथित सैक्युलर दल मुस्लिम वोट बैंक को अपनी ओर मजबूती से आकर्षित करना चाहते हैं।
केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल का यह स्पष्ट अभिमत है कि मुस्लिम तुष्टिकरण के इस आत्मघाती षड्यंत्रों से ये लोग देश का भीषण अहित कर रहे है। कुम्भ मेले में एकत्रित सन्त समाज की माँग है कि:-
01. भारत के प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह गृहमंत्री श्री सुशील शिन्दे को तत्काल प्रभाव से पदमुक्त करके उनके इस अनर्गल प्रलाप के लिए भारत की जनता से माफी मांगे।
02. मुस्लिम तुष्टिकरण के इस साम्प्रदायिक कदमों को भारत की सभी सरकारें वापस लें।
03. भारत में समान आचार संहिता लागू करके भारत के सब नागरिकों के साथ समान व्यवहार करना प्रारम्भ करें।
केन्द्र सरकार व संबंधित राज्य सरकारें हिन्दू समाज को सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य न करे और इन देशविरोधी कदमों को अतिशीघ्र वापस लें।

प्रस्ताव – महिला सुरक्षा
जिस देश में ‘‘यत्र नार्यन्तु पूज्यते रमन्ते तत्र देवता’’ को मूल मंत्र माना जाता है और जहाँ पर सबसे सशक्त व्यक्तित्व के रूप में एक महिला को जाना जाता है, जहाँ पर लोकतंत्र के सबसे बड़े सदन लोकसभा की अध्यक्षा महिला है और नेता प्रतिपक्ष भी महिला हो, आज वहाँ पर महिलाओं की दुर्दशा से केवल भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व का सभ्य समाज व्यथित हो रहा है।
देश में दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे बलात्कार, कन्या भू्रण हत्या, दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा तथा महिलाओं के साथ हो रही छेड़खानी सन्त समाज के लिए चिन्ता का विषय बन गई है। यह सर्वकालिक सत्य है कि जिस समाज में महिलाओं का सम्मान नहीं है, वह समाज सभ्य नहीं माना जा सकता।
दिल्ली में बलात्कार की एक घृणित एवं पैशाचिक घटना के कारण आज इस विषय पर सम्पूर्ण देश में चिन्ता व्यक्त की जा रही है। सभी पक्ष अपने-अपने सुझाव दे रहे हैं लेकिन सन्त समाज का यह मानना है कि इस विषय पर समग्र दृष्टिकोण से विचार करना होगा। बलात्कार व अन्य इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए कठोरतम उपाय तो करने ही होंगे लेकिन महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव लाने के लिए भी प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।
दूरदर्शन, चलचित्र या विज्ञापनों के माध्यम से नारियों का जिस तरह से चित्रण किया जाता है वह विकृत मानसिकता का ही निर्माण करेगी। बाल्यकाल से ही बच्चों को नैतिक शिक्षा से विमुख करके एक स्वस्थ मानसिकता निर्माण करने का विचार नहीं किया जाता। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर एक धर्मविहीन समाज का निर्माण किया जा रहा है। सन्त समाज का यह मानना है कि महिलाओं की वर्तमान दुरावस्था इस धर्मनिरपेक्ष राजनीति की ही देन है। अब भारत के प्रधानमंत्री भी शिक्षा मंत्रालय को नैतिक शिक्षा देने का आदेश दे रहे हैं। इसलिए अब धर्मनिरपेक्षता के नाम पर मूल्यविहीन शिक्षा देने का पाखण्ड बन्द कर देना चाहिए।
सन्त समाज इस परिस्थिति में चुप नहीं बैठ सकता। हमारी सरकार से माँग है कि-
1. शिक्षा के सभी स्तरों पर नैतिक शिक्षा अनिवार्य की जानी चाहिए।
2. दूरदर्शन, चलचित्र, विज्ञापन व अन्य प्रचार माध्यमों में महिलाओं का अश्लील चित्रण पूर्णरूप से प्रतिबन्धित होना चाहिए।
3. वर्मा कमेटी की अनुशंसाओं को पूर्णरूप से लागू किया जाना चाहिए। इस अनुशंसाओं में राजनीतिज्ञों से सम्बंधित अनुशंसाएं भी किसी भी स्थिति में छोड़नी नहीं चाहिए।
4. इन अनुशंसाओं में संशोधन करके बलात्कारी को मृत्यु दण्ड का संशोधन अवश्य करना चाहिए।
5. नाबालिग की वयमर्यादा 18 वर्ष से 16 वर्ष करने की आवश्यकता है। जिससे उम्र की मर्यादा का लाभ उठाकर दुष्कर्मी कानून से बच न पाए।

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