'मेक इन इण्डिया' : सशक्त भारत की समर्थ डगर
सबल, सशक्त भारत की समर्थ डगर
तारीख: 27 Sep 2014
मोदी के 'मेक इन इण्डिया' अभियान में रेखांकित हुआ दुनिया के उद्यमियों और भारत के नागरिकों के उत्थान का मंत्र। कार्यक्रम में पहंचे बड़े बड़े उद्योगपति
इस गरिमामय कार्यक्रम में देश-दुनिया के करीब 500 शीर्ष उद्योगपतियों ने भाग लिया। इनमें से कुछ को मंच से संबोधित करने का मौका भी मिला। कार्यक्रम में इस अभियान को अपना समर्थन देते हुए अपने उद्यमों के प्रयासों की जानकारी देने वालों में थे-रिलायंस उद्योग समूह के अध्यक्ष मुकेश अंबानी, टाटा समूह के अध्यक्ष सायरस मिस्त्री, विप्रो समूह के अध्यक्ष अजीम प्रेमजी, आईटीसी के अध्यक्ष वाई. सी. दावेश्वर, बिरला समूह के अध्यक्ष कुमार मंगलम बिरला, आईसीआईसीआई बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर, मारुति इण्डिया के अध्यक्ष केनीची आयुकावा, लॉकहीड मार्टिन के फिल शॉ और बॉश कंपनी के निदेशक फ्रेंज हॉबर।
आएंगे सैकड़ों वास्को डि गामा
भारत में निर्माण की अपार संभावनाओं का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि भारत में डेमोक्रेसी (लोकतंत्र) है, डेमोग्राफी (जनसांख्यिकी) है और डिमांड (मांग) है। जो देश इन तीनों का सकारात्मक रूप से उपयोग करता है उसकी तरफ निवेशक खिंचे चले आते हैं। इसलिए आने वाले वक्त में विदेशों में गली गली में वास्को डि गामा पैदा होंगे जो भारत को ढूंढते ढूंढते यहां पहंुच जाएंगे।
आलोक गोस्वामी
पच्चीस सितम्बर को मानो भारत और दुनिया के तमाम शीर्ष उद्योग समूहों ने नवरात्र के पहले दिन राजधानी दिल्ली में भारत की नई उड़ान का उत्सव मनाया। और सिर्फ उत्सव ही नहीं मनाया, उस उड़ान में साथ देने का संकल्प करके नरेन्द्र मोदी सरकार में अपना विश्वास भी प्रकट किया। अवसर था 'मेक इन इण्डिया' के शुभारम्भ का। यह प्रधानमंत्री मोदी की भारत को उसकी विशाल जनसंख्या के साथ सबल, समर्थ राष्ट्र बनाने की योजना है। यह भारत को एशिया ही नहीं, पूरी दुनिया में उद्योग, कारोबार और व्यवसाय के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाने की तरफ एक ईमानदार कदम है। इस मंत्र की घोषणा मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले से अपने भाषण में की थी, अब उसे साकार करने का अवसर आया था।
नई दिल्ली के भव्य विज्ञान भवन में 'मेक इन इण्डिया' का श्रीगण्ेाश करते हुए जब मोदी ने कहा कि अशोक चक्र हमारी आर्थिक विकास यात्रा का पहिया बनना चाहिए तो पूरा सभागार देर तक तालियों से गूंजता रहा। दरअसल 'मेक इन इण्डिया' के प्रतीक चिन्ह ('लोगो') में भारत के राष्ट्रीय पशु शेर के ऊपर अशोक चक्र ही बना है। योजना संबंधी सरकार की नीतियों के संकलन, प्रतीक चिन्ह और वेबसाइट मेकइनइण्डिया डाट कॉम का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री ने दुनिया के तमाम उद्योगपतियों का आह्वान करते हुए कहा, आइए, भारत में अपने कारोबार लगाइए और यहां उपलब्ध अपार संभावनाओं के साथ अपने विकास की गाथा लिखिए।'
उन्होंेने कहा, 'अभी कुछ वक्त पहले तक भारत के कारोबारी विदेश जाकर अपना कारोबार जमाने की बात करते थे। यहां की व्यवस्थाओं से भरोसा खत्म होता जा रहा था। वे ऐसा न करें, इसके लिए सरकार को जिम्मेदारी से काम करते हुए उनमें विश्वास कायम करना होता है। इसीलिए कागजों को किसी व्यक्ति द्वारा खुद सत्यापित करने का कायदा बनाया है तो उसके मायने भारत की एक अरब आबादी पर भरोसा करना है। हम अपने लोगों पर संदेह कैसे कर सकते हैं?' भारत का प्रधानमंत्री दुनिया के चोटी के उद्योगपतियों के बीच ऐसा कहता है तो भारत के नागरिकों का सीना गर्व से फूल जाना स्वाभाविक है। उन्होंने एफडीआई को भारत के सवा सौ करोड़ नागरिकों के लिए एक जिम्मेदारी और दुनिया के उद्यमियों के लिए अवसर बताया। भारत के लिए एफडीआई है 'फर्स्ट डेवलप इण्डिया', जबकि विदेशी उद्यमियों के लिए 'फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट'। उन्होंने कहा कि भारत को बड़ा बाजार मानकर निवेशक इसकी ओर आकर्षित होते हैं लेकिन जब तक यहां के आम नागरिक की क्रय शक्ति नहीं बढ़ेगी तब तक उनके उत्पाद कौन खरीदेगा। इसलिए विदेशी उद्यमी भारत में अपने उद्योग लगाएं, जिससे यहां के लोगों को रोजगार मिले, उनकी क्रय शक्ति बढ़े। भारत में निर्माण हो, इसके लिए, 'मेक इन इण्डिया' का कदम एक शेर का कदम है।
गुजरात के मुख्यमंत्री के नाते अपने अनुभव साझा करते हुए मोदी ने कहा, विदेशी निवेशक सिर्फ नारों या न्योते से नहीं आते, उसके लिए विकास का माहौल तैयार करना होता है। निवेशक पहले अपनी लगाई पूंजी की सुरक्षा चाहता है, फिर विकास और सबसे बाद में मुनाफा। प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की तरफ से भरोसा दिलाया कि उनका रुपया डूबेगा नहीं। भारत सरकार की पूरी टीम सकारात्मक सोच के साथ पूरे जोश से काम कर रही है। दुनिया के निवेशकों की आज एशिया पर नजर है, हम उन्हें वह जगह दिखा रहे हैं जहां वे विकास कर सकते हैं, वह जगह है भारत। निवेशक को प्रभावी सरकार चाहिए, काम के अनुरूप कुशल मानव संसाधन चाहिए। हम कौशल विकास के लिए सार्वजनिक-निजी क्षेत्र के सहयोग पर चलना चाहते हैं। आज आर्थिक उन्नति का अवसर आया है। हमारे यहां 65 प्रतिशत आबादी 35 से नीचे की उम्र वाले युवाओं की है। उनकी कुशलता मंगलयान की सफलता ने साबित की है, अब उस पर कोई संदेह नहीं कर सकता। डिजिटल इण्डिया के जरिए सरकार का हर विभाग काम के सरलीकरण का प्रयास कर रहा है।
'लुक ईस्ट' की धारणा से 'लिंक वेस्ट' को जोड़ते हुए मोदी ने कहा, 'हम आर्थिक संरचना को नए प्लेटफार्म खड़ा करना चाहते हैं। इसके लिए ढांचागत विकास करना होगा, सड़क और रेल लिंक बनाने होंगे। पर्यटन की संभावनाओं को खोजना होगा।' उन्होंने कहा, यह कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं, बल्कि भरोसे का वायदा है। निवेश में केन्द्र-राज्य सरकारों के बीच दूरी होने से निवेशकों को होने वाली परेशानी को दूर करने के लिए मोदी का सुझाव था कि दोनों एक टीम की तरह काम करते हुए अड़चनों को जल्दी दूर करने का उपाय करें। हम निर्माण के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर आगे बढ़ें, देश के गरीब को ऊपर उठाएं।
इससे पहले भारत की वाणिज्य राज्य मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा कि 'मेक इन इण्डिया' को एक अलग टीम देखेगी। अब भारत में न इंस्पेक्टर राज रहेगा, न लाइसेंस का झंझट। उद्यमों की सहूलियत के लिए ढांचागत विकास किया जा रहा है। अभियान के उद्घाटन के बाद पर्दे पर आकर्षक ऑडियो विजुअल प्रस्तुति के माध्यम से योजना की जानकारी दी गई। प्रधानमंत्री मोदी ने देश के लिए जीने और जूझने वाले, एकात्म मानव दर्शन के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिवस पर उनके चरणों में 'मेक इन इण्डिया' का यह नया अभियान समर्पित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री के साथ मंच पर अनेक मंत्री उपस्थित थे।
एफडीआई यानी 'फर्स्ट डेवलप इण्डिया'
एकात्म मानवदर्शन के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिवस (25 सितम्बर) पर 'मेक इन इण्डिया' राष्ट्र को समर्पित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारतवासियों के लिए एफडीआई है 'फर्स्ट डेवलप इण्डिया' और निवेशकों के लिए 'फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट'। प्रधानमंत्री के इस आह्वान का अग्रणी उद्यमियों ने इन शब्दों में समर्थन किया-
यह सरकार और उद्योग जगत के मिलकर विकास करने का पल है। भारत आज एक ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा है।
-सायरस मिस्त्री, अध्यक्ष, टाटा समूह
इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत तेजी से विकास पथ पर बढ़ेगा। हमारी अर्थव्यवस्था में गति आएगी।
-मुकेश अंबानी, अध्यक्ष, रिलायंस समूह
विप्रो की 30 में से 5 उत्पादन इकाइयां भारत में हैं। हमारा 80 प्रतिशत सामान भारत से ही आता है।
-अजीम प्रेमजी, अध्यक्ष, विप्रो समूह
भारत आज वैश्विक 'आईटी हब' के तौर पर जाना जाता है। इसे 'मैन्युफैक्चरिंग हब' बनाने की पूरी सामर्थ्य हमारे पास है।
-कुमार मंगलम बिरला, अध्यक्ष, बिरला समूह
हमें 'मेक इन इण्डिया' से बहुत प्रेरणा मिली है। निर्माण क्षेत्र में अगले 10 साल में 9 करोड़ रोजगार पैदा हो सकते हैं।
-चंदा कोचर, सीईओ, आईसीआईसीआई बैंक
बोश कंपनी भारत में 1922 में आई थी और यह स्थानीय लोगों को ही रोजगार देने पर जोर देती है। -फ्रेंज हॉबर, निदेशक, बॉश समूह
हम मध्य प्रदेश में निवेश करेंगे। प्रधानमंत्री ने कारोबार में आगे बढ़ने का मंत्र दिया है। इससे रोजगार के अवसर बढें़गे।
-वाई. सी. दावेश्वर, अध्यक्ष, आईटीसी समूह
भारत में हमारा अनुभव गजब का रहा है। काम गुणवत्तापूर्ण होता है। हम यहां रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में काम करना चाहेंगे।
-फिल शॉ, अध्यक्ष, लॉकहीड मार्टिन
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