संयुक्त राष्ट्र संघ में नरेन्द्र मोदी विश्व नेता के रूप में उभरे
संयुक्त राष्ट्र में मोदी का आह्वान, चलिए 'जी-ऑल' बनाते हैं
सितम्बर 27, 2014
संयुक्त राष्ट्र: नई शब्दावलियों का उपयोग करने और बेहतरीन वक्ता के तौर पर पहचान रखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संयुक्त राष्ट्र में 'जी-ऑल' के रूप में नयी शब्दावली का इस्तेमाल किया और कहा कि कई तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए अलग अलग समूहों को मिलकर ठोस प्रयास करना चाहिए।
मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा, 'आज, हम अब भी कई 'जी' (समूहों) में विभिन्न संख्या में काम कर रहे हैं। भारत भी इनमें से कई में शामिल है। परंतु हम जी-1 या जी-ऑल के रूप मिलकर काम करने में कितना सफल हुए हैं।'
उन्होंने कहा कि जी-5, जी-20 जैसे समूहों के नाम बदलते रहते हैं, लेकिन हमें जी-ऑल की जरूरत है, ताकि कई लक्ष्यों को पूरा किया जा सके और पूरे विश्व में लोगों के जीवन में सुधार किया जा सके।
प्रधानमंत्री ने कहा, 'एक तरफ हम कहते हैं कि हमारे भाग्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, दूसरी तरफ हम अब भी नफा-नुकसान की शतो' में सोचते हैं। अगर दूसरे को लाभ होता है, तो मुझे नुकसान होता है।'
आतंकवाद तथा दूसरी चुनौतियों से निपटने के लिए साझा प्रयासों का आह्वान करते हुए मोदी ने सवाल किया कि क्या हम अधिक एकजुट हुए हैं जबकि हम परस्पर निर्भर विश्व की बात करते हैं।
उन्होंने कहा, 'निंदक होना और यह कहना आसान है कि कुछ नहीं बदल सकता, लेकिन हम ऐसा करते हैं तो हम अपनी जिम्मेदारियों से भागते हैं तथा हम अपने सामूहिक भविष्य को खतरे में डालते हैं।'
मोदी ने कहा कि वास्तविक अंतरराष्ट्रीय साझेदारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'यह सिर्फ' नैतिक रुख नहीं है, बल्कि व्यवहारिक वास्तविकता है।'
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संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण की दस खास बातें
सितम्बर 27, 2014
संयुक्त राष्ट्र: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया। पेश है प्रधानमंत्री के भाषण की दस खास बातें...
1. भारत विश्व को एक बड़े परिवार के रूप में देखता है, भारत में मानवता का छठवां हिस्सा आबाद है। मैं जानता हूं, 1.25 अरब लोगों से दुनिया की क्या उम्मीदें हैं।
2. भारत वह देश है, जहां प्रकृति के साथ संघर्ष नहीं, संवाद होता है। भारत दुनिया को 'वसुधैव कुटुंबकम' के आधार पर देखता है। सारी दुनिया के अधिकार की आवाज़ उठाता रहा है भारत, सारी दुनिया में आज लोकतंत्र की लहर है।
3. पाकिस्तान से दोस्ती चाहता हूं, लेकिन उस पर आतंकवाद की छाया न हो। संयुक्त राष्ट्र में मुद्दा उठाना दोनों देशों के बीच के मुद्दों को हल करने की दिशा में प्रगति करने का तरीका नहीं है।
4. पिछले चार दशक से आतंकवाद से जूझना जारी है, युद्ध भले न हों, लेकिन दुनिया में शांति का अभाव है। आतंकवाद का प्रश्न गंभीर, कई देश से आतंकवाद को प्रश्रय दे रहे हैं। आतंकवाद नए रूप और नए नाम ले रहा है। उत्तर, दक्षिण, पूरब या पश्चिम में कोई बड़ा या छोटा देश इसके खतरे से मुक्त नहीं है।
5. हमें अपने मतभेद एकतरफ रखकर आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में संगठित प्रयास करना चाहिए। मैं आप सभी से अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र कन्वेंशन अपनाने की अपील करता हूं।
6. प्रधानमंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार महत्वपूर्ण है। कोई भी एक देश या कुछ देशों का समूह भविष्य तय नहीं कर सकता। हमें इस पर विचार करना चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र होने के बावजूद हम इतने सारे 'जी' मंच क्यों बना रहे हैं।
7. आउटर स्पेस और साइबर स्पेस में शांति, स्थिरता सुनिश्चित करनी होगी। आइए, निशस्त्रीकरण और अप्रसार में सारी शक्ति लगाएं। भारत अपनी तकनीक व क्षमताएं दुनिया से बांटने के लिए तैयार है।
8. करोड़ों लोगों के पास बिजली और साफ पानी जैसी सुविधाएं भी नहीं हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर समझौते करते हैं तो हमें एक दूसरे की चिंताओं और हितों को समायोजित करना चाहिए।
9. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, हमें अपनी जीवनशैली बदलने की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को शुरू करने की दिशा में काम करें।
10. पीएम ने कहा, अगले साल हम 70 के होंगे, यह हमारे लिए एक अवसर है। आइए, 2015 को विश्व को नया मोड़ देने वाले साल के रूप में मनाएं।
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