रक्षा क्षेत्र में 80 हजार करोड़ की परियोजनाएं मंजूर
यू पी ए ने सेना को बहुत कमजोर कर दिया था, उन्हे रक्षा संसाधन ही नहीं दिये। आधुनिक रक्षा उपकरणों की खरीद ही नहीं की !! जिससे रक्षा मामले में भारत आस पडौस से पिछडा हुआ था। मोदी सरकार के इस निर्णय से भारतीय सेनायें रक्षा के मामले में आत्म निर्भर हो सकेगीं।
रक्षा क्षेत्र में भी ‘मेक इन इंडिया’, 80 हजार करोड़ की परियोजनाएं मंजूरaajtak.in [Edited By: महुआ बोस] | मुंबई, 25 अक्टूबर 2014
केन्द्र सरकार ने शनिवार को 80 हजार करोड़ रुपये की रक्षा परियोजनाओं को मंजूरी दे दी. लेकिन यहां भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ आह्वान का ध्यान रखा गया है. सरकार ने तय किया है कि छह पनडुब्बियों का स्वदेशी स्तर पर निर्माण किया जाएगा, जबकि 8000 इस्राइली टैंक रोधी गाइडेड मिसाइल और 12 उन्नत डोरनियर निगरानी विमान खरीदे जाएंगे.
इन निर्णयों से पहले रक्षा मंत्री अरुण जेटली के नेतृत्व में रक्षा खरीद परिषद की दो घंटे से ज्यादा देर तक बैठक चली, जिसमें रक्षा सचिव, तीनों सेनाओं के प्रमुखों, डीआरडीओ प्रमुख एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया. अधिकतर निर्णय नौसेना के अनूकुल रहे जो अपग्रेडेशन एवं क्षमता विस्तार की भारी कमी महसूस कर रही है. बड़ा निर्णय बाहर से खरीदने के बजाय 50 हजार करोड़ रुपये की लागत से भारत में छह पनडुब्बियों का निर्माण करने का है.
एक अन्य महत्वपूर्ण फैसला भारतीय सेना के लिए अमेरिका से जेवलिन मिसाइल खरीदने के बजाय 3200 करोड़ रुपये में इस्राइल से 8356 टैंक रोधी मिसाइल खरीदना है. सेना मिसाइलों के लिए 321 लांचर भी खरीदेगी. हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड 1850 करोड़ रुपये की लागत से उन्नत सेंसरों वाले 12 डोरनियर निगरानी विमान खरीदेगा. डीएसी ने 662 करोड़ रुपये में मेदक के आयुध कारखाना बोर्ड से 36 इंफेट्री फाइटिंग व्हेकिल खरीदने का निर्णय किया है.
देश में छह पनडुब्बियां बनाने के निर्णय का ब्यौरा देते हुए आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अब रक्षा मंत्रालय एक समिति का गठन करेगा. यह समिति अगले 6.8 सप्ताह में निजी एवं सार्वजनिक गोदियों का अध्ययन करेगी. इसके बाद अध्ययन के आधार पर मंत्रालय विशिष्ट बंदरगाह को प्रस्ताव का अनुरोध (आरएफपी) जारी करेगा. पनडुब्बी एयर इंडिपेंडेंट संचालन (एआईपी) क्षमता से लैस होगी, जिससे यह पारंपरिक पनडुब्बी की तुलना में अधिक समय तक पानी के भीतर रह सकेगी. इसके अलावा इसकी चलने की गति भी तेज हो जाएगी.
आपको बता दें कि नौसेना के पास इस समय परिचालनरत 13 पनडुब्बी हैं. 1999 में यह लक्ष्य तय किया गया था कि 2030 तक इनकी संख्या 24 होनी चाहिए. पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने छह स्कार्पियन पनडुब्बियों को मंजूरी दी थी और पहली पनडुब्बी की आपूर्ति 2016 तक होने की संभावना है. भारत में पनडुब्बी निर्माण करने का निर्णय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ आह्वान के अनुरूप है. इस पनडुब्बी में जमीनी हमला करने वाली क्रूज मिसाइल को लगाने की क्षमता होगी.
बैठक में भाग लेने वाले अधिकारियों को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सरकार के लिए सर्वोच्च चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि खरीद प्रक्रिया में सभी बाधाओं एवं अड़चनों पर शीघ्रता से ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि खरीद की गति बाधित न हो. डीएसी ने नौसेना के विशेष अभियानों के लिए उपकरणों की खरीद को मंजूरी दी, लेकिन इनकी जानकारी को गोपनीय रखा गया है.
सूत्रों ने बताया कि यह बुनियादी तौर पर नौसेना की प्रतिष्ठित कमांडो शाखा मार्कोस के लिए है. सूत्रों ने बताया कि स्कार्पियन पनडुब्बी के लिए तारपीडो तथा हैवी कैलिबर गन खरीदने का निर्णय तकनीकी आधार पर टाल दिया गया. उन्होंने कहा कि उसके बारे में जल्द ही कोई फैसला किया जाएगा. डीएसी का गठन 2001 में कारगिल युद्ध के बाद रक्षा क्षेत्र में सुधार के तहत किया गया था.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें