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जून, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पत्र

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सरकार के एक साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री ने देश के लोगों के नाम लिखा पत्र, कहा पूरे होंगे सपनें, धैर्य रखें  मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा हो गया है. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लोगों के नाम पत्र लिख कर सरकार की उपलब्धियां बताईं, साथ ही उन्हें इस मुश्किल समय में धैर्य रखने को कहा. आज मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा हो गया है. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लोगों के नाम पत्र लिख कर सरकार की उपलब्धियां बताई हैं.  इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आज से एक साल पहले भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में नया स्वर्णिम अध्याय जुड़ा. देश में दशकों बाद पूर्ण बहुमत की किसी सरकार को लगातार दसूरी बार जनता ने जिम्मेदारी सौंपी थी. उन्होंने कहा कि इस अध्याय को रचने में आपकी बहुत बड़ी भूमिका रही है.  ऐसे में आज का यह दिन मेले लिए अवसर है आपको नमन करने का. उन्होंने कहा कि इस मुश्किल समय में धैर्य बनाए रखना बेहद जरूरी है. प्रधानमंत्री ने देश के नागरिकों को संबोधित करते हुए कहा कि सामान्य स्थिति होती तो मुझे आपके बीच आकर आपके दर्शन करने क

आपातकाल लगाने की कहानी

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कहा जाता है कि आपातकाल की नींव 12 जून 1975 को ही रख दी गई थी. वर्ष 1971 में इंदिरा गांधी रायबरेली से सांसद चुनी गईं. इंदिरा गांधी के खिलाफ संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी राजनारायण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की. राजनारायण ने अपनी याचिका में इंदिरा गांधी पर कुल 6 आरोप लगाए. याचिका के मुताबिक-  पहला आरोप- इंदिरा गांधी ने चुनाव में भारत सरकार के अधिकारी और अपने निजी सचिव यशपाल कपूर को अपना इलेक्शन एजेंट बनाया और यशपाल कपूर का इस्तीफा राष्ट्रपति ने मंजूर नहीं किया.  दूसरा आरोप- कि रायबरेली से चुनाव लड़ने के लिए इंदिरा गांधी ने ही स्वामी अद्वैतानंद को बतौर रिश्वत 50,000 रुपए दिए, ताकि राजनारायण के वोट कट सकें. तीसरा आरोप- इंदिरा गांधी ने चुनाव प्रचार के लिए वायुसेना के विमानों का दुरुपयोग किया. चौथा आरोप- इलाहाबाद के डीएम और एसपी की मदद चुनाव जीतने के लिए ली गई. पांचवां आरोप- मतदाताओं को लुभाने के लिए इंदिरा गांधी की ओर से मतदाताओं को शराब और कंबल बांटे गए. छठा आरोप- इंदिरा गांधी ने चुनाव में निर्धारित सीमा से ज्यादा खर्च किया. 12 जू

चीन : जो जवाहर लाल नेहरू का सगा नहीं हुआ

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चीन : जो जवाहर लाल नेहरू का सगा नहीं हुआ  1954 से जून 2020: सिर्फ गलवान ही नहीं,  इन 14 मौकों पर चीन ने सीमा पर दिखाई चालबाजी  14 मौकों पर चीन ने सीमा पर दिखाई चालबाजी... Read more at: https://hindi.asianetnews.com/gallery/national-news/from-1954-to-2020-not-just-in-galwan-china-cheated-india-on-these-14-occasions-kpp-qc3zls#image1 चीन भूल रहा भारत का एहसान, पढ़ें-पंडित नेहरू और UNSC की स्थायी सदस्यता के सवालों का सच पंडित जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) की 56वीं पुण्यतिथि (Death Anniversary) पर चीन की हरकतें उसकी एहसानफरामोशी की याद ताजा करवा देती हैं. नेहरू की वजह से चीन की अंतरराष्ट्रीय पहचान बनी. हालांकि UNSC की सदस्यता के सवाल से जुड़े तथ्यों पर ऐतिहासिक विवाद है. चीन के वुहान शहर से शुरू कोरोनावायरस (Coronavirus) ने पूरी दुनिया में तबाही मचाई हुई है. साथ ही लद्दाख में अपनी हरकतों से वह भारत को आंखें दिखाने से भी बाज नहीं आ रहा है. आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की 56वीं पुण्यतिथि पर चीन की हरकतें उसकी एहसानफरामोशी की याद भी ताजा

हल्दीघाटी : महाराणा प्रताप की जीत

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हल्दीघाटी अकबरी हार के प्रमाण - { प्रताप कथा } १. केवल मुस्लिम पक्षकारों ने ही प्रताप की हार लिखा है | वह सब प्रकार से झूंठ है | मेवाड़ के पक्ष वालों ने सभी ने प्रताप की जीत लिखी है | उस पर हमारे देश के दोगले इतिहासकारों और ने ध्यान ही नहीं दिया | २. मुग़ल सेना की हार हुई थी और प्रताप की जीत हुई थी, इसके प्रमाण मुग़ल लेखकों के इतिवृत्त से ही छनछन कर आ जाता है | ३. प्रताप की सेना की मार से अकबरी सेना बारह मील तक भागी, ऐसा युद्ध में आये मुस्लिम लेखकों ने भी लिखा है | फिर प्रताप की जीत नहीं हुई और अकबर की जीत हुई, यह कहने की क्या तुक है ? ४. मुगलियों ने लिखा कि हमारी सेना के भाग खड़े होने पर पीछे से मिहतर खां ढ़ोल लेकर आ गया और चिल्ला चिल्ला कर कहने लगा कि अकबर आगया है, इससे मुगलिया फौज में जोश आ गया और हमारी 'बुरी हार' होती होती बची | स्पष्ट है कि हार तो वे बुझदिल भी स्वीकार करते हैं | पर अपनी शेखी बघारने के लिए और अपनी झेंप मिटाने के लिए लिखा कि बुरी हार होती होती बची | ५. पता नहीं बारह मील तक भाग गयी सेना की हरावल में अर्थात् सेना के पिछवाड़े में मिहतर खां कितने मील

12 जून, 1975 : जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा

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जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा Salute to Indian Judiciary.. यह हैं, इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा। आज इनको भी याद करने का दिन है। हालांकि आज ना इनका जन्म दिन है और ना पुण्यतिथि, लेकिन 1975 में आज ही के दिन इन्होंने एक ऐसा फैसला सुनाया, जिसने स्वतंत्र भारत की दशा और दिशा ही बदल दी। जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा के उक्त फैसले से तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी चुनाव जीतने के लिए भ्रष्ट आचरण की दोषी पाईं गईं। नतीजतन कुर्सी पर बने रहने के लिए इंदिरा जी ने पहले देश में इमरजेंसी लगाकर पूरे देश को जेलखाने में तब्दील किया और फिर संविधान में मनमाफिक संशोधन करके कुर्सी पर बिना विरोध बने रहने का उपक्रम कर डाला। बिना भय और पक्षपात के फैसले देने की इलाहाबाद हाईकोर्ट की उच्च न्यायिक परंपरा को जीवंत रखने वाले जस्टिस सिन्हा को इसीलिए आज के दिन याद करना जरूरी है। सादर नमन। जीवन परिचय जगमोहन लाल सिन्हा की शिक्षा शासकीय हाई स्कूल अलीगढ़, बरेली कॉलेज बरेली, मेरठ कालेज मेरठ में हुई। उन्होने कानून में स्नातक की शिक्षा ली और १९४३ से १९५५ तक बरेली में अधिवक्ता (प्लीडर) की तरह

आत्मविश्वास से जगमगाता आत्मनिर्भर भारत

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मोदी सरकार 2.0 का एक वर्ष पूरा होने पर विशेष : आत्मविश्वास से जगमगाता आत्मनिर्भर भारत Modi govt 2.0 1st anniversary, self reliant India : मोदी सरकार आज अपने दूसरे कार्यकाल का पहला साल पूरा कर रही है. इस अवसर पर पढ़ें गृह मंत्री अमित शाह का विशेष आलेख…. May 30, 2020 विगत छह वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ओजस्वी नेतृत्व में भारतवर्ष की विकास यात्रा अद्भुत, अकल्पनीय और प्रशंसनीय रही है. 2014 से पहले की किंकर्तव्यविमूढ़ता, अकर्मण्यता और खोखले वादों के पिटारे पर मोदी कार्यकाल में जन-मानस ने नेतृत्व, विश्वास, सहयोग और आत्मबल के सहारे समय से पूर्व ही लक्ष्य को बेधने की क्षमता हासिल कर ली है. फ्रेजाइल फाइव से भारत को विश्व की सबसे प्रमुख अर्थव्यवस्था बनाना, आतंकवाद के साये से देश को निकाल कर उसके खिलाफ निर्णायक लड़ाई के लिए तैयार करना, स्वच्छता को हर भारतवासी का संस्कार बनाना, सच्चे अर्थों में गांव-गरीब-किसानों का कायाकल्प करने का संकल्प और चुनौतियों को अवसरों में परिवर्तित करने की निपुणता तो भारत ने मोदी सरकार के पहले ही कार्यकाल में देख लिया था. दूसरे कार्यकाल के प्रथम वर

"हिन्दू साम्राज्य दिवस" : छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक

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प्रेषक - अरविन्द सिसोदिया "हिन्दू साम्राज्य दिवस" : छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक  बहुत कम लोगों को पता होगा आज के दिन की पावनता और पवित्रता । आज ही वो दिन है जब हिंदवी साम्राज्य के स्वप्न को ले कर एक महान हिन्दू शासक छत्रपति शिवाजी महराज का राज्याभिषेक हुआ था और मुगलों को उखाड़ फेंकने के लिए हिन्दुओ ने एक नए जोश से वार करना शुरू कर दिया था जिसका प्रतिफल ये रहा था की अत्याचार का दूसरा रूप औरंगज़ेब दक्षिण में ही दफन हो गया था . आज के पावन दिन को नकली और चाटुकार इतिहासकार किसी हालत में भी जनमानस में प्रसिद्ध नहीं होने देना चाहते थे क्योकि उनको खुद के बनाये तथाकथित धर्म निरपेक्षता के नकली सिद्धांतो को जीवित भी रखना था और अपनी बिकी कलम के लिए मिलने वाली स्याही को भी भीख में लेना था .। हिंदू साम्राज्य दिवस ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी यह छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का दिवस है।वो पावन दिन आज ही था . शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक होना यह केवल शिवाजी महाराज के विजय की बात नहीं है। काबूल-जाबूल पर आक्रमण हुआ तब से शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के समय तक