काश्मीर जो खुद सूरज के बेटे की रजधानी था




कविता


धारा 370 के बाद हरिओम पवार की कविता 2020 - 29 Year old Poem | By Hariom Panwar
अमर उजाला, काव्यडेस्क, नई दिल्ली

मशहूर कवि हरिओम पंवार भारत की राष्ट्रीय अस्मिता के गायक हिन्दी कवि हैं।  मूलत: वीर रस के कवि हैं। अपनी प्रस्तुतियों के लिए जाने जाते हैं। जब अपनी कविताओं का पाठ करते हैं तो युवाओं के मन में जोश आ जाता है। कश्मीर की समस्या पर उद्वेलित होकर उन्होंने ये कविता लिखी, जिसे आज पाठकों के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है-

घाटी के दिल की धड़कन
काश्मीर जो खुद सूरज के बेटे की रजधानी था
डमरू वाले शिव शंकर की जो घाटी कल्याणी था
काश्मीर जो इस धरती का स्वर्ग बताया जाता था
जिस मिट्टी को दुनिया भर में अर्ध्य चढ़ाया जाता था
काश्मीर जो भारतमाता की आँखों का तारा था
काश्मीर जो लालबहादुर को प्राणों से प्यारा था
काश्मीर वो डूब गया है अंधी-गहरी खाई में
फूलों की खुशबू रोती है मरघट की तन्हाई में

ये अग्नीगंधा मौसम की बेला है
गंधों के घर बंदूकों का मेला है
मैं भारत की जनता का संबोधन हूँ
आँसू के अधिकारों का उदबोधन हूँ
मैं अभिधा की परम्परा का चारण हूँ
आजादी की पीड़ा का उच्चारण हूँ

इसीलिए दरबारों को दर्पण दिखलाने निकला हूँ
मैं घायल घाटी के दिल की धड़कन गाने निकला हूँ ||

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