बंकिमचंद्र चटोपाध्याय का ‘आनंदमठ’ : आज़ादी के आंदोलन का प्रेरणास्रोत
आनंदमठ: हिंदुत्व की मशाल जलाई जिसने आज़ादी के मतवालों की चहेती क़िताब, जिस पर कट्टर हिंदुत्व को बढ़ावा देने का आरोप लगा। पुस्तक सार वैराग्य देव जोशी अगर इतिहास के पन्ने खंगालें, तो लगता नहीं कि बंगाल में राष्ट्रवाद और हिंदूवाद की एक धारा हमेशा ही रही है। इसकी सबसे बड़ी मिसाल बंकिम चंद्र चटोपाध्याय का बांग्ला उपन्यास आनंदमठ है। यह वो नॉवेल था जिसने बंगाली राष्ट्रवाद को जन्म दिया। ‘आनंदमठ’ आज़ादी के आंदोलन का प्रेरणास्रोत भी बना। हमारा राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ भी बंकिम चंद्र चटर्जी की ही देन है, जो आनंदमठ के ज़रिए मशहूर हुआ। आनंदमठ से आप आज के बंगाल में राष्ट्रवादी राजनीति की जड़ों को भी समझ सकते हैं। इसके लेखक बंकिम चंद्र चटोपाध्याय (चटर्जी) ब्रिटिश हुकूमत में डिप्टी कलेक्टर और डिप्टी मैजिस्ट्रेट रहे थे। उन्होंने आनंदमठ को पहले अपनी साहित्यिक पत्रिका ‘बंग दर्शन’ में किस्तों में छापा था। उपन्यास की शक्ल में यह साल 1882-83 में प्रकाशित हुआ। तब इसे लोगों ने हाथोंहाथ लिया था। यह उपन्यास बंगाल में अपने प्रकाशन से एक सदी पहले पड़े अकाल और उसके बाद हुए संन्यासी विद्रोह पर आधारित है। इ...