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शौर्य और पराक्रम की शौर्यगाथा रानी दुर्गावती Rani Durgavat

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24 जून पुण्यतिथि पर विशेष /  जन्म 5 अक्टूबर1524 शौर्य और पराक्रम की देवी रानी दुर्गावती  - अरविन्द सिसोदिया  शौर्य का सिर ऊंचा रहा हमेशा जबलपुर के निकट बारहा गांव है,महारानी दुर्गावती यहीं घायल हो गई थीं,एक तीर उनकी आंख में व एक गर्दन में लगा था,बाढ़ के कारण मार्ग अवरूद्ध थे तथा सुरक्षित स्थान पर पहुचना असम्भव था, सो उन्होने अपनी ही कटार को छाती में घोंप कर अपनी जीवन लीला समाप्त करली थी। इस महान बलिदान की स्मृति में एक सुन्दर स्तम्भ खडा किया गया है। जो आज सीना तान कर भारत मॉं की कोख से जन्मी गौंडवाने की शेरनी रानी दुर्गावती के शौर्य और पराक्रम को कामुक  अकबर क्रूर और कामुक मुगल शासक अकबर जिसकी लिप्सा मात्र भारतीय राजघरानों की स्त्रिीयों से अपने हरम को सजानेे की रही, उसने 34 विवाह किए जिसमें से 21 रानियां राजपूत परिवारों की राजकुमारियां थीं। तीन सपूत अकबर के शासनकाल के समय जिन तीन महान राष्ट्रभक्तों को भारतमाता ने देश सेवा हेतु जन्म दिया, उनमें प्रथम रानी दुर्गावती  दूसरे शूरवीर महाराणा प्रताप थे और तीसरे हिन्दु धर्म की आधुनिक ध्वजा गोस्वामी त...

महान वीरांगना दुर्गावती

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महान वीरांगना महारानी दुर्गावती  ने , देश की अस्मिता और स्वतंत्रता के लिए लड़ा था महा संग्राम - अरविन्द सिसोदिया चंदेलों कि बेटी थी , गोंडवाने  कि रानी , चंडी थी-रणचंडी थी , वह दुर्गावती भवानी  थी . भारत की नारियों ने देश की अस्मिता और स्वतंत्रता के लिए हमेशा ही यशस्वी  योगदान दिया है । महारानी दुर्गावती , मध्यप्रदेश की विलुप्त ऎतिहासिक धरोहर की महान यशोगाथा हे , वे  साहस और पराक्रम रहीं . . उनकी वीर गाथा महारानी लक्ष्मी बाई जितनी  प्रसिद्ध नही हुई , मगर  उनका वीरोचित व्यवहार लक्ष्मी बाई से कम नही था .य़ू तो दो महान बिभुतियों में तुलना नही की जाती ,  यह विवाद का प्रश्न भी नही हे कि किसको प्रशिधि अधिक मिली और किसको नही मिला . लक्ष्मी बाई को प्रसिधी का एक कारण  जबलपुर कि ही बहू सुभद्रा कुमारी चोहान कि  झाँसी की रानी कविता को भी जाता हे ...