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महाराणा प्रताप कठे ? Maharana Pratap Kathe

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    महाराणा प्रताप कठे ?  Maharana Pratap Kathe   अदम्य साहस एवं वीरता के प्रतीक महाराणा प्रताप की आज जयंती है। महाराणा प्रताप के जन्मदिन पर उनका पुण्य स्मरण में कई कार्यक्रम पूरे राष्ट्र में अपने अपने तरीके से आयोजित किए गए।  ताजा दोर के कुछ ज्ञात मान सपूतों में  गुरु गोविन्द सिंह , महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी  प्रमुख  हें , हलाकी भारत माता ने देश धर्म की रक्षा के लिए , समय समय पर अपनी वीर सपूत कोख से अनगिनित सपूत पैदा किये ,  रानी दुर्गावती और महारानी लक्ष्मी बाई का पावन स्मरण भी अनिवार्य हे , बुन्देल खंड   के  महान योधा छ्त्रशाल के संघर्स को भी नमन हे , अनाम शहीदों   की यह माला ही हे जिसने भारत  देश को हजारों सालों की गुलामी के बाबजूद जीवित रखा हे, में तो तुलसीदास  जी को भी एक महान योधा ही मानता हु जीनोहने समाज को मूर्छित अवस्था में , हनुमान चालीसा और रामचरित मानस के द्वारा...

पराक्रमी महाराणा प्रताप Mighty Maharana Pratap

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महाराणा प्रताप Maharana Pratap महाराणा प्रताप वीर विनोद के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ला 13 संवत 1596 विक्रम अर्थात 31 मई 1539 है । नैनसी के अनुसार  4 मई 1540 और कर्नल टाड  के अनुसार 9 मई 1549 है ...... (जन्म- 9 मई, 1540, राजस्थान, कुम्भलगढ़; मृत्यु- 19 जनवरी, 1597) उदयपुर, मेवाड़ में शिशोदिया राजवंश के राजा थे। वह तिथि धन्य है, जब मेवाड़ की शौर्य-भूमि पर मेवाड़-मुकुट मणि प्रताप का जन्म हुआ। उनका नाम इतिहास में वीरता और दृढ प्रण के लिये अमर है। जीवन परिचय राजस्थान के कुम्भलगढ़ में प्रताप का जन्म महाराणा उदयसिंह एवं माता राणी जीवत कँवर (  जैवंता  बाई    ) के घर हुआ था। बप्पा रावल के कुल की अक्षुण्ण कीर्ति की उज्ज्वल पताका, राजपूती आन एवं शौर्य का वह पुण्य प्रतीक, राणा साँगा का वह पावन पौत्र जब (वि. सं. 1628 फाल्गुन शुक्ल 15) तारीख 1 मार्च सन् 1573 को सिंहासनासीन हुआ। शौर्य की मूर्ति प्रताप एकाकी थे। अपनी प्रजा के साथ और एकाकी ही उन्होंने जो धर्म एवं...