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राष्ट्रीय उत्थान के लिये रामलीलायें और सनातन धार्मिक सम्मेलन होनें चाहिये - अरविन्द सिसौदिया

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  राष्ट्रीय उत्थान के लिये करोडों रामलीलायें और लाखों सनातन धार्मिक सम्मेलन होनें चाहिये - अरविन्द सिसौदिया हाल ही में रामलीलाओं को लेकर दो तरह के समाचार थे। पहला समाचार था कि कुछ रामलीलाओं का मंचन समाप्त कर दिया गया है। उनका अनुउान समाप्त कर दिया गया है। वहीं दूसरा समाचार था कि रामलीला देखने के इच्छुक लोगों को मृफत बस सेवा उपलब्ध करवाई जायेंगी ।  धार्मिक एवं लोक आयोजन उस संस्कृति के प्राण होते हैं। इनकी निरंतरता उस संस्कृति का शिक्षण होता है पुरानी पीढी के द्वारा नई पीढी को सौंपा जाना भी होता है। इसीलिये यह भारत के परिवेश में , समाज व्यवस्था में लाखों वर्षों से व्याप्त है।  कांग्रेस कल्चरल साम्यवादी है उसमें ब्रिटिश सोच का भी समावेश है और अब वह मूलतः इसाईयत के निकट होकर उसी एजेण्डे पर चल रही है। इस देश की संस्कृति को सबसे ज्यादा खतरा ही कांग्रेस और उसके जैसी सोच वाली पार्टियों से है। वहीं जरूरत इस बात की है कि बहुराष्ट्रीय व्यापारवाद एवं संगठनों के कारण हो रहे सांस्कृतिक क्षरण को कैसे रोका जाये।  इस हेतु देश की और राज्यों की सरकारों एवं स्थानीय स्वायत शासन को सनातन ...