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परिवारों में बदलता चरित्र चिंता का विषय - अरविन्द सिसोदिया

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परिवारों में बदलता चरित्र चिंता का विषय - अरविन्द सिसोदिया परिवार का पहला आधार है प्रेम और विश्वास ही है @ दुर्व्यवहार, छल, कपट, चोरी,धोका और बेईमानी जहर के बराबर होती है....। परिवार की विश्वशनीयता पर पराकाष्ठा के समर्पण के करोड़ों प्रमाण भारतीय संस्कृति में मिलते हैं। आज भी रामायण की सामाजिक स्वीकृति विश्व में सर्वोच्च इसीलिये है कि  वह परिवार व्यवस्था की पोषक है। व्यवस्था का निर्माण करती है। भारत में सबसे मजबूत परिवार व्यवस्था है , विश्व के मुकाबले यह अभी भी सबसे मज़बूत बनी हुई है। किन्तु पिछले 10-15 वर्षों में इसमें भारी गिरावट आई है। विशेष कर पुत्रों का व्यवहार गंभीरतम गैर जिम्मेदारीपूर्ण हुआ है। भारत में वृद्धआश्रम खुलना समाज को गंभीर चेतावनी है। माता पिता और भाई बहन के प्रति स्वार्थपूर्णता से सोचने की प्रवर्ती गंभीर संकटों को उपस्थित करने वाले हैं। जो "मां" संतान को नौ महीनेँ तक गर्भ में रखती है, जीवन को दाव पर लगा कर संतान को जन्म देती है। भूखी प्यासी रह कर पालन पोषण करती है। हारी बीमारी से बचाती है।माँ ही पहली गुरु भी होती है। उसी मां से साथ पुत्र गंभीतर उपे...