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अक्तूबर, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अपवित्र कर दिया नोबेल पुरूस्कार ...

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लोकतंत्र समर्थक  ;  चीन में बंदी को नोबेल पुरूस्कार  ....! - अरविन्द सीसोदिया        यूं तो नोबेल पुरुस्कारों  का चयन , विशेष कर  शांती नोबेल अनेकों बार विवादास्पद रहा है, इसके अतिरिक्त और भी अंतर्राष्ट्रीय पुरूस्कार विवाद पूर्ण रहे हैं.., इकने पीछे का सच छलक तो जाता है मगर ज्यादातर उन्हें कहता कोई नहीं है ! पुरुस्कार देना और उसके मुह से अपनी बात कहलवाना..! यह अजीव सी बेईमानी बहुत सालों से चल रही है..!!        इस बार इसलिए विवादास्पद है कि चीन में लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने वाले ल्यू जियाओबो (शियाओबो) को नोबेल पुरुष्कार देने की घोषणा की गई है..! यह वह व्यक्ती है जिसने  १९८९ में  चीन में  लोकतंत्र के समर्थन  में विशाल प्रदर्शन किया था , जिस में हजारों  छात्र मारे गए थे ! चीन में इसका दर्जा अपराधी का है !  - क्रानिकल इयर बुक के अनुसार पेइचिंग में सैनिक कार्यवाही में लगभग १०,००० लोकतंत्र समर्थक आन्दोलनकारी  जून १९८९  को मारे गए थे | इसी तरह से मनोरमा इयर बुक के अनुसार १९८९ में पेइचिंग में १५ मई को थ्यामन  चौराहे पर हजारों लोकतंत्र समर्थक छात्रों  ने प्रदर्शन किया था, वहां माशर्ल ला

26 नवम्बर संविधान दिवस पर : ब्रिटिश शासन पद्धति भारत के अनुकूल नहीं..!

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  अरविन्द सिसौदियाः मेरा ब्लाग, नियमित पढ़नें के लिये सेव करें वेब एड्रेस  https://arvindsisodiakota.blogspot.com/ अरविन्द सिसौदियाः मेरा ब्लाग, नियमित पढ़नें के लिये सेव करें वेब एड्रेस 26 नवम्बर संविधान दिवस पर विशेष - अरविन्द सीसोदिया  संविधान कहता है, मुझे फिर लिखवाओ। नेताओं के चोर रास्ते बंद करवाओ, राष्ट्रधर्म पर परख फिर सिंहासन पर बिठाओ,वास्तविक लोकतंत्र बनाओ। वंशवाद खा गया देश को,चोर उच्चके हो गये नेता। बहूमत बैठा भीख मांगता, अल्पमत सिंहासन हथियाता।। फिरसे विचार करो,कैसे हो रामराज्य का पूरा सपना! संविधान कहता है, मुझे फिर लिखवाओ। निर्वाचन पद्धति ; जवावदेह  प्रतिनिधि चुनने  में सक्षम बने   राष्ट्रीय  स्वंयसेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक कु. सी. सुदर्शन जी ने कोटा में २२ अक्टूबर को दिए कश्मीर मुद्दे पर संबोधन में सर्व प्रथम भारतीय जन प्रतिनिधियों की निर्वाचन प्रक्रिया की व्यवस्था पर ही प्रश्न खड़ा करते हुए, उसे देश के लिए अहितकर बताया...! उनकी बात सही थी.., दिमाग पर जोर डालने से लगता है कि सब कुछ गड़बड़ झाला है! श्री सुदर्शन ही ने कहा  ब्रिटिश शासन पद्

इंदिरा जैसा दम चाहिए..! प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कायरता त्यागें

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*मनमोहन सिंह .., नेहरु की तरह पराजित मानसिकता ग्रस्त *विशेष कर विदेश नीति और शत्रु संहार के मामलों में इंदिरा जी  से सीखें   *स्वाभिमान खो देने वाला कभी नहीं जीतता !!  *मनमोहन सिंह जी रिमोट स्टाईल ठीक नहीं हैं..,     - अरविन्द सीसोदिया पहले पाकिस्तान के तमाशे ब्रिटेन - अमरीकी गुट की सह पर और अब चीन की सह पर, एकवार फिर से बड़ी उलझन बन गई है..! देश फिरसे युद्ध और नए विभाजन के सामने खड़ा है...!!     जो कुछ प्रधानमंत्री नेहरु जी की कायरता के कारण हुआ , वही सब अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी की कायरता से हो रहा है..! उस समय ब्रिटेन- अमरीकी गुट के पैरोकार भारत के गवर्नर जनरल लार्ड माउन्टबेटन थे अब यू पी ए की सर्वेसर्वा  सोनिया गांधी ...! वे भी ईसाई थे ये भी ईसाई हैं..!!     नेहरुजी पाकिस्तान के द्वारा कश्मीर के दवाये हिस्से को उसी  के कब्जे में छोड़  दिया.., तिब्बत पर से भारतीय हक़ चीन  के पक्ष में छोड़ दिए.., फिर चीन से युद्ध हार गए..! जम्मू और कश्मीर में शेख अब्दुल्ला  के राष्ट्र विरोधी कृत्यों  को अवसर दिया...!! यही मनमोहन सिंह की स्थिती है.., पाकिस्तान  के सामने दब्बू की तरह दुम हि

करवा चौथ, पति - पत्नी के आजीवन प्रेम की आत्मीय अभिव्यक्ती

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करवा चौथ    - अरविन्द सीसोदिया  मूल रूपसे सुहागिन नारियों के लिए , अपने पति क़ी दीर्घायु की कामना से यह उपवास लगभग प्रत्येक हिन्दू नारी रखती  है, इसकी संदर्भ कथा कमसे से कम ५००० वर्ष पूर्व से श्री कृष्ण युग से सामने आती है.., कृष्ण भी यह कहते हैं कि भगवान शिव ने यह कथा कभी पूर्व काल में कही थी...., अर्थात बहुत प्राचीन काल  से यह व्रत परंपरागत रूप से हिदू समाज का अंग है...!       भारतीय समाज व्यवस्था का सबसे महत्व पूर्ण अंग है परिवार व्यवस्था ; जिसका  मूल आधार पति पुरुष के नेतृत्व में रची गई महसूस होती  है...! मगर सच यह है क़ी हिन्दू परिवार व्यवस्था का आधार स्त्री है.., उसके महत्व को उसकी गरिमा को जितना आदर हिंदुत्व में प्राप्त होता है, वह दर्शन और किसी समाज व्यवस्था में नहीं है! सच यह है क़ी हिन्दू समाज में अन्य समाजों की तरह पुरुष और नारी भिन्न - भिन्न अस्तित्व नहीं हैं; बल्कि वे एक दूसरे पर अविलंबित दो प्राण एक शरीर रूप हैं..!  हिन्दू  नारी का अपने पति के जीवन से ही सबकुछ जुड़ा हुआ था...! हिन्दू पुरुष का अपनी नारी से ही सब कुछ जुड़ा हुआ है..! सुख शांति उन्नत्ति और अन्य विविध आयाम .

शत्रु सम्पत्ति, मुस्लिम दवाब जिन्दावाद..!

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राष्ट्रहित मुर्दावाद  ..! वोट की राजनीति जिन्दावाद...!! - अरविन्द सीसोदिया       प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में शत्रु सम्पत्ति कानून-1968 में संशोधनों को मंजूरी दे दी गई। अब शीतकालीन सत्र के दौरान संसद से इसे मंजूरी दिलाई जाएगी। संशोधनों के अनुसार शत्रु सम्पत्ति केवल उसके मालिक को या उसके वैधानिक उत्तराधिकारी को दी जा सकती है। मूल कानून के मुताबिक इस तरह की सभी सम्पत्तियों के संरक्षक के रूप में सरकार को यह अधिकार है कि वह किसी को भी इन सम्पत्तियों को किराए पर दे सकती है।       यदि संसद ने इन संशोधनों को मंजूरी दे दी तो इससे इस तरह की संम्पत्तियों को उत्तराधिकारी के रूप में संभालने वाले भारतीय मुसलमानों के लिए उन संपत्तियों पर मालिकाना हक पाना आसान हो जाएगा। लेकिन उन्हें यह साबित करना होगा कि वे इस तरह की सम्पत्तियों के वैधानिक उत्तराधिकारी हैं, और वे जन्म से भारतीय नागरिक हैं।  गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने मानसून सत्र में इन संशोधनों को संसद में पेश करने की कोशिश की थी। लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए, क्योंकि कुछ मंत्रियों व विभिन्न पार्टियो

विश्व पटल पर, हिन्दू का हितचिन्तक कौन ...?

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बांग्लादेश में दुर्गापूजा  उत्सव के दौरान कई जगह हिंसा - अरविन्द सीसोदिया   सवाल यह है कि दुनिया का कोई भी धर्म या पंथ .., हिन्दू समाज में तो जीवित रह सकते हैं.., मगर गैर हिदू समाज में कोई धर्म या पंथ या सम्प्रदाय जीवित नहीं रह सकता..! इस तरह हजारों सबूत बिखरे पड़े हैं.. कश्मीर में .., पंडितों को घाटी  से बाहर कर दिया गया..! पाक्स्तान जहाँ हिन्दू आबादी को शैने शेनें  समाप्त किया जा रहा है...! बांगला देश  के बारे में तसलीमा से बेहतर कोई उदाहरन नहीं हो सकता..! उसका सिर लाने पर इनाम है...! वहां हिन्दुओं के साथ जो घट रहा है उसका सच बाहर नहीं आ पा रहा.., दुर्गा पूजा में उपद्रव तो महज एक  झलक  है....!  सवाल .....? विश्व पटल पर.., हिन्दू का हित चिन्तक  कौन ...? हिन्दू का संरक्षक कौन ...? हिन्दू का शुभचिन्तक  कौन..?    भारत में केंद्र सरकार को इसकी चिता करनी चाहिए .., यह सरकार ८५ प्रतिशत हिदू वोटों  से चुनी गई है...!  मगर यह कांग्रेस की सरकार है  सो.., जोर देकर  तो वह बात करेगी ही नहीं ..,वैसे भी अब यह सरकार सोनिया गांधी के रहते ईसाई हितों व षड्यंत्रों से बाहर नहीं निकाल सकती...!  इ

परमेश्वरी माँ जगदंम्वा : परब्रम्ह का ही स्वरूप

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- अरविन्द सीसोदिया     हमारे इस सम्पूर्ण जगत ,सृष्टि मण्डल की मूल अधिष्ठाता शक्ति , जिसने इसे जन्म दिया या निर्माण किया बनाया है वह एक ही ...! यह शब्द परमशक्ति माता भुवनेश्वरी के हैं , जो उन्होंने ; ब्रम्हा, विष्णु और महेश को सुनाये थे...!        कथानक इस प्रकार से है कि मधु - कैटभ युद्ध को लम्बे संघर्ष के उपरांत माँ जगदम्वे  की कृपा से जीता जाता है, उसी स्थान पर एकत्र ब्रम्हा , विष्णु, महेश को देवी का आदेश होता है कि सृजन , पालन और संहार के कार्यों को प्रमाद रहित हो कर वे करें...! तदुपरांत एक विमान उनके पास आता है जिसमें वे सवार होजाते हैं., वह विमान इन तीनों को लेकर स्वर्ग जैसे लोक में ले जाता हैं उनका स्वागत इंद्र जैसा कोई अधिष्ठाता  करता है..! इस के बाद वह विमान , ब्रम्ह लोक, विष्णु लोक और शिव लोक में जाता हर लोक में .., जिनमें यह तीनों अधिवाशी हैं , यह देख कर आश्चर्य होता है कि वहां उन लोकों के अधिष्ठाता यथा ब्रम्हा , विष्णु और महेश अपने अपने सहयोगियों  के साथ कार्य रत हैं...! इसके बाद में वह विमान इन्हें माता भुवनेश्वरी के मणिदीप लोक में पहुचता है , विमान से उतार कर ये तीनो

कश्मीर के राज्यपाल क्या कर रहे हैं..?

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कश्मीर में राष्ट्रपती शासन लगे.. - अरविन्द सीसोदिया  हाल ही में कर्नाटक में कांग्रेस में वर्षों रहे , पूर्व केन्द्रीय मंत्री जो कि राज्यपाल हैं ने अनावश्यक सक्रियता दिखाते  हुए दो बार राज्य सरकार को बहुमत साबित करने के लिए बाध्य कर दिया....! केंद्र सरकार को भी राज्य के हालातों की रिपोर्ट भेज दी...!! वहीं एक दूसरे राज्य जम्मू और कश्मीर में जिसमें कांग्रेस के समर्थन से सरकार चल रही है..., वहां भी राज्यपाल हैं..., मगर वे कर क्या रहे हैं...? यही प्रश्न है..? उन्होंने राज्य सरकार कि गतिविधियों कि क्या रिपोर्ट  भेजी यह भी पता नहीं है..? जबकि  उनकी यह परीक्षा की घड़ी थी , उन्हें अपना कर्त्तव्य निभाना जरुरी था..? उनके प्रान्त के मुख्यमंत्री ने , इस प्रान्त के भारत में विलय पर प्रश्न उठाया, वह भी संवैधानिक पद पर रहते हुए..?  जबकि यह भी स्पष्ट है कि वर्तमान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के दादाजी शेख अब्दुल्ला ने , जम्मू और कश्मीर प्रान्त के विलय के समय , इसी प्रान्त के आपातकालीन गवर्नर  के नाते, महाराजा हरिसिंह के साथ, हस्ताक्षर किये हैं ...! यह विलय तब के बने सभी नियमों के हिसाब से विधि  सम्मत थ

अमरीकी भ्रम जाल में नहीं फंसना चाहिए...!!

- अरविन्द सीसोदिया       अमरीका ; चीन के साथ पाकिस्तान के गहरे से भी गहरे संम्बध होने पर भी , लगातार उसकी मदद में कोई कमी नहीं रखता है , बल्की कुछ ज्यादा ही दे रहा है, इसका एक ही अर्थ है कि अमरीकी नीति के अनुसार आज भी पाकिस्तान आंग्ल- अमरीकी सैन्य गुट का सदस्य है और वह इस गुट के प्रति संवेदनशील है ! जबकि सच यह है कि जिस तरह से चीन की बातों में जवाहरलाल नेहरु ने फँस कर देश का सत्यानाश कर दिया, वही पाकिस्तान का होने वाला है ...! चीन की दोस्ती और दुश्मनी ; दोनों ही फायदे के , लाभ के दृष्टिकोण पर आधारित होती है.., जो भी है .., भारत को नुक्सान ही नुक्सान है ..!!      आज का मुख्य सवाल यह है कि ; भारत को अमरीका से पूछना चाहिए कि ' उसका भारत के प्रति दृष्टिकोण की सच्चाई क्या है ?' और  यह पूछना चाहिए कि ' क्या वह आंग्ल- अमरीकी सैन्य गुट और गुटनिरपेक्षता के प्रति १९६२ - ६३ के दृष्टिकोण पर कायम है ? ' क्यों कि इस प्रश्न के उत्तर में ही भारत के प्रति अमरीका  की सच्चाई व उसका  दृष्टिकोण का सच निर्भर करता है...!!! १९६२-६३ कि अमरीकी कहानीं ...    यह सभी को विदित ही है कि १९६२ में