महात्मा गांधी , सुन ले बापू ये पैग़ाम
आज महात्मा गांधी का जन्म दिवस है सभी और महात्मा गांधी कि जय बोली जा रही है.., जय बोली भी क्यों नहीं जाये.., पूरा विश्व यह आज स्वीकार चुका है की महात्मा गांधी अहिंसा और शान्ति के पुजारी थे और उन्होंने अहिंसा के लिए बड़ी बड़ी कीमतें चुकी हैं...! उनकी जयंती विश्व अहिंसा दिवस घोषित भी हो चुका है !! इस अवसर पर हम प्रशंसा और आलोचना से अलग हट कर १९६९ में प्रसिद्धी पा चुकी फिल्म बालक के इस गाने का स्मरण करते हैं जी सब कुछ वयां करने का सामर्थ्य रखता है ....! हालांकी बात तो इससे भी आगे निकाल चुकी है..... अरविन्द सीसोदिया
गांधी की विरासत पर नेहरुवंश का कब्जा है..,
धोती और लाठी पर ; टाई सूट का फरमा है ;
रामराज कहाँ भारत में , इतिहास कि थाती है ,
भ्रष्टाचार की गंगा - यमुना ही तेरी ख्याती है..,
गाव गरीवी , गाय क़त्ल - खानें में ,
जय जय पूंजीवाद में बहती सरिता यूरोप के जजमानों में ,
देख दुर्दशा भारत की रो उठता मय खाना भी....!
गांधी नीचे न झांक लेना ,
बहुत दुखः पायेगा जी तेरा भी ...!!
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सुन ले बापू ये पैग़ाम
सुन ले बापू ये पैग़ाम,मेरी चिट्ठी तेरे नाम
चिट्ठी में सबसे पहले,लिखता तुझको राम राम
लिखता तुझको राम राम
सुन ले बापू ये पैग़ाम
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काला धन काला व्यापार, रिश्वत का है गरम बाज़ार
सत्य अहिंसा करें पुकार टूट गया चरखे का तार
तेरे अनशन सत्याग्रह के बदल गये असली बर्ताव
एक नई विद्या उपजी जिसको कहते हैं घेराव
तेरी कठिन तपस्या का ये कैसा निकला अंजाम
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प्रांत प्रांत से टकराता है माया पर भाषा की लात
मैं पंजाबी तू बंगाली कौन करे भारत की बात
तेरी हिंदी के पाँव में अंग्रेजी न डाली डोर
तेरी लकड़ी ठगों ने ठग ली, तेरी बकरी ले गये चोर
साबरमती सिसकती तेरी तड़प रहा है सेवाग्राम
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राम राज की तेरी कल्पना उड़ी हवा में बन के कपूर
बच्चों ने पढ़ना चोड़ा तोड़ फोड़ में हैं मग़रूर
नेता हो गये दल बदलू देश की पगड़ी रहे उछाल
तेरे पूत बिगड़ गये बापू दारू बंदी हुई हलाल
तेरे राजघाट पर फिर भी फूल चढ़ाते सुबह शाम
........
गाना / Title: सुन ले बापू ये पैग़ाम, मेरी चिट्ठी तेरे नाम
- sun le baapuu ye paiGaam, merii chiTThii tere naam
चित्रपट / Film: Baalak फिल्म - बालक
संगीतकार / Music Director: Dattaram संगीतकार - दत्ताराम
गीतकार / Lyricist: Bharat Vyas गीतकार - भरत व्यास
गायक / Singer(s): Suman Kalyanpur गायिका - सुमन कल्याणपुरी
बर्ष / Year: 1969 वर्ष - १९६९
कलाकार / Starring: Jaymala , Devdatt , Master Sooraj
जयमाला , देवदत्त , बालक सूरज
गांधी की विरासत पर नेहरुवंश का कब्जा है..,
धोती और लाठी पर ; टाई सूट का फरमा है ;
रामराज कहाँ भारत में , इतिहास कि थाती है ,
भ्रष्टाचार की गंगा - यमुना ही तेरी ख्याती है..,
गाव गरीवी , गाय क़त्ल - खानें में ,
जय जय पूंजीवाद में बहती सरिता यूरोप के जजमानों में ,
देख दुर्दशा भारत की रो उठता मय खाना भी....!
गांधी नीचे न झांक लेना ,
बहुत दुखः पायेगा जी तेरा भी ...!!
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सुन ले बापू ये पैग़ाम
सुन ले बापू ये पैग़ाम,मेरी चिट्ठी तेरे नाम
चिट्ठी में सबसे पहले,लिखता तुझको राम राम
लिखता तुझको राम राम
सुन ले बापू ये पैग़ाम
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काला धन काला व्यापार, रिश्वत का है गरम बाज़ार
सत्य अहिंसा करें पुकार टूट गया चरखे का तार
तेरे अनशन सत्याग्रह के बदल गये असली बर्ताव
एक नई विद्या उपजी जिसको कहते हैं घेराव
तेरी कठिन तपस्या का ये कैसा निकला अंजाम
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प्रांत प्रांत से टकराता है माया पर भाषा की लात
मैं पंजाबी तू बंगाली कौन करे भारत की बात
तेरी हिंदी के पाँव में अंग्रेजी न डाली डोर
तेरी लकड़ी ठगों ने ठग ली, तेरी बकरी ले गये चोर
साबरमती सिसकती तेरी तड़प रहा है सेवाग्राम
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राम राज की तेरी कल्पना उड़ी हवा में बन के कपूर
बच्चों ने पढ़ना चोड़ा तोड़ फोड़ में हैं मग़रूर
नेता हो गये दल बदलू देश की पगड़ी रहे उछाल
तेरे पूत बिगड़ गये बापू दारू बंदी हुई हलाल
तेरे राजघाट पर फिर भी फूल चढ़ाते सुबह शाम
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गाना / Title: सुन ले बापू ये पैग़ाम, मेरी चिट्ठी तेरे नाम
- sun le baapuu ye paiGaam, merii chiTThii tere naam
चित्रपट / Film: Baalak फिल्म - बालक
संगीतकार / Music Director: Dattaram संगीतकार - दत्ताराम
गीतकार / Lyricist: Bharat Vyas गीतकार - भरत व्यास
गायक / Singer(s): Suman Kalyanpur गायिका - सुमन कल्याणपुरी
बर्ष / Year: 1969 वर्ष - १९६९
कलाकार / Starring: Jaymala , Devdatt , Master Sooraj
जयमाला , देवदत्त , बालक सूरज
बापू! मै भारत का वासी, तेरी निशानी ढूंढ रहा हूँ.
जवाब देंहटाएंबापू! मै तेरे सिद्धान्त, दर्शन,सद्विचार को ढूंढ रहा हूँ.
सत्य अहिंसा अपरिग्रह, यम नियम सब ढूंढ रहा हूँ.
बापू! तुझको तेरे देश में, दीपक लेकर ढूंढ रहा हूँ.
कहने को तुम कार्यालय में हो, न्यायालय में हो,
जेब में हो, तुम वस्तु में हो, सभा में मंचस्थ भी हो,
कंठस्थ भी हो, हो तुम इतने ..निकट - सन्निकट...,
परन्तु बापू! सच बताना आचरण में तुम क्यों नहीं हो?
उचट गया मन इस समाज से, देखो कितनी दूषित है.
रीति-नीति सब कुचल गयी, नभ-जल-थल सभी प्रदूषित है.
घूमा बहुत इधर उधर, मन बार - बार तुमपर टिकता है.
अब फिर आ जाओ गांधी बाबा, मुझे तेरी बहुत जरुरत है.
Ssaaaasasychcufufycucufigifubug
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