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राष्ट्रवाद के महानायक ‘ पूज्य श्री गुरूजी ’ The great hero of nationalism 'Pujya Shri Guruji'

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राष्ट्रवाद के महानायक ‘‘पूज्य श्री गुरूजी’ अरविन्द सीसौदिया विश्व स्तर पर भारतीय क्षितिज के जिन व्यक्तित्वों की आहट सुनी जाती थी, उनमें 1940 से 1945 तक, महात्मा गांधी ( नरमपंथी और अहिंसक के नाते ) सरदार वल्लभ भाई पटेल (गरमपंथी और कट्टरता के नाते) नेताजी सुभाषचन्द्र बोस (हर कीमत पर देश की आजादी के लिए प्रतिबद्ध सेनापति के नाते ), मौहम्मद अली जिन्ना (हर हाल में मुस्लिम वर्चस्व के नाते) और पं. जवाहरलाल नेहरू (साम्यवादी विचारों के साथ-साथ, रशिया के प्रति श्रृद्धा और ईस्ट इण्डिया कम्पनी के वफादार नेहरू खानदान के वंशज के नाते अंग्रेजवादी)। इस सूची में परिवर्तन 1945 में हुआ। नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की 18 अगस्त 1945 को हवाई दुर्घटना में कथित मृत्यु के पश्चात इस रिक्त स्थान की पूर्ति प्रखर राष्ट्रवादी ‘माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर’ उपनाम ‘श्री गुरूजी’ के प्रखर व्यक्तित्व ने की, जो उनके स्वर्गवास होने तक बनी रही। इसी कारण पूज्य श्री गुरूजी के संदर्भ में बी.बी.सी. लंदन ने अपने प्रसारण में कहा था ‘‘नेहरू और सरदार पटेल के बाद कौन....? इस प्रश्न का उत्तर वामपंथियों के ...

महात्मा गांधी के वध को लेकर स्वामी के उठाये सवालों की जांच में हर्ज क्या है

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 अरविन्द सिसौदिया 9414180151               महात्मा गांधी की हत्या का पहला प्रयास में २० जनवरी को एक बम गांधीजी पर फेंका जाने से होता है । गांधीजी बच जाते हैं। मगर बम फेंकने वाला मदनलाल पाहवा पकड़ा जाता है। गांधी जी की हत्या के प्रयास का पूरा प्लान एवं कारण दोनों ही सामनें आ जाते है। फिर भी नेहरू जी की सरकार की यह कैसी चूक थी कि 10 दिन बाद उसी स्थान पर गांधी जी की हत्या हो गई । इस नेग्लेजंसी की भी जबावदेही बनती है। वहीं स्वामी के प्रश्नों के जबाव खोजनें में क्या हर्ज है। हमारे राष्ट्रपिता की हत्या से जुडे और भी खुलाशे सामनें आ जाते हैं तो क्या हर्ज है।  मेरा व्यक्तिगत मत है कि महात्मा गांधी के वध की असलियत को महान श्रृंगार में झुपा दिया है।   महात्मा गांधी की हत्या पर चर्चा की जरूरत : सुब्रमण्यम स्वामी गांधी जी की हत्या की नए सिरे से जांच चाहते हैं सुब्रमण्यम स्वामी गांधी जी की हत्या की नए सिरे से जांच चाहते हैं सुब्रमण्यम स्वामी, कहा- क्यों नहीं हुई थी अटॉप्सी सुप्रीम कोर्ट पिछले साल ही एक आईटी प्रोफेशनल द्वारा द...

गांधीजी को भुनाने से बाज आएं राहुल : महात्मा गांधी के प्रपौत्र श्रीकृष्ण कुलकर्णी

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(यह आलेख 2014 का है, किन्तु इसकी निरंतरतर हैं। पाठक इसे इसी संदर्भ से ग्रहण करें।) गांधीजी को भुनाने से बाज आएं राहुल : महात्मा गांधी के प्रपौत्र श्रीकृष्ण कुलकर्णी   नई दिल्ली।  आरएसएस को महात्मा गांधी का हत्यारा बताने पर कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी को फटकार मिली है. कांग्रेस के युवराज को यह फटकार सुनाई है राष्‍ट्रपिता के परपोते श्रीकृष्‍ण कुलकर्णी ने.कुलकर्णी ने सोशल मीडिया पर एक पत्र लिखकर राहुल गांधी को जबर्दस्‍त फटकार लगाई है. उन्होंने फेसबुक पर लिखा है कि महात्मा जी की हत्या बहुत पुरानी बात हो चुकी है और उनका परिवार उस घटना से अब काफी दूर जा चुका है. कुलकर्णी ने लिखा है कि यह कहना कि आरएसएस ने महात्मा गांधी की हत्या की, कुछ इस तरह से होगा कि कहा जाए कि आपके पिता की हत्या तमिलों ने की थी. ऐसा कहना मिथ्या नहीं होगा क्या? दो लोगों के मिलने से ही एक समुदाय नहीं बन जाता है. उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह अपने स्वार्थों के लिए गांधी के नाम का इस्तेमाल कर रही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को विभिन्न आयोगों के फैसलों को स्वीकार कर लेना चाहिए. इसलिए इस पहेली को यहीं ...

देश की जनता को अपनी भाषा का मूल अधिकार मिले!

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    देश की जनता को अपनी भाषा का मूल अधिकार मिले! अरविन्द सीसौदिया “....एक मातृभाषा को जानने वाले दो व्यक्ति अंग्रेजी में बात करें और हमारा बस चले तो उन्हे  6 महीने की जेल कर देनी चाहिए।“     - राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ” शिक्षा भारत में विदेशी पौधा नहीं है। ऐसा कोई भी देश नहीं है जहाँ ज्ञान के प्रति प्रेम का इतने प्राचीन समय में प्रारम्भ हुआ हो या जिसने इतना स्थायी और शक्तिशाली प्रभाव उत्पन्न किया हो। वैदिक युग के साधारण कवियों से लेकर आधुनिक युग के बंगाली दार्शनिक काल तक शिक्षको और विद्वानों का एक निर्विघ्न क्रम रहा है।“ - एफ. डब्ल्यू. थामस     राजभाषा हिन्दी के संदर्भ में जब भी विषय संसद में आया तब तमिलनाडु के नेताओं को आगे करके कांग्रेस सरकारों ने अंग्रेजी को बनाये रखा! इसके पीछे उनके क्या निहित स्वार्थ हैं, यह तो भगवान ही अधिक जानता होगा। मगर पहली बात तमिलनाडू को हिन्दी के विरोध का क्या अधिकार था और अंग्रेजी से क्या मीठा है, यह भी समझ से परे है। क्योंकि कथित रूप से तमिलनाडू के विरोध के साथ, वहां की आम जनता हो यह समझ में नहीं आता! क्योंकि ...

देख न लेना नीचे झुक कर; गांधी हिन्दुस्तान को

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- अरविन्द सीसोदिया  देख न लेना नीचे झुक कर; गांधी  हिन्दुस्तान को , फफक - फफक कर रो उठेगो ;  अपने  स्वाभिमान को !  --१-- गांधी तेरी विरासत पर ; नेहरूवंश का कब्जा है,  गांधी तेरी फ़ोटू नीचे ही  ; बट्टा ही बट्टा है , गेहू चावल  दाल ओ घानी ; सब पर सट्टा ही सट्टा है , तू नहीं झुका अंग्रेजों से; पर अब अंग्रेजी का पट्टा है ! --२-- राजनीति के ऊचे हिमालय से ; भ्रष्टाचार क़ी गंगा बहती हैं ,  इसी त्रिवेणी  के संगम में ; सरस्वती भी बैठी है , कहाँ तुम भारत माता को खोजोगे; डिस्को के  वियावान में , वह तो बंद पड़ी है ; संसद के सन्दूकदान में ! --३-- रघुपति राघव राजा राम ; आपका था प्रिय धाम , उन्हें भी बंदी बनाया ; बरसों चला यह अपमान,  प्रातिबंध और आपातकाल ; बने लोकतंत्र का मान, सत्य अहिंसा और धर्म को ; भूल गई तेरी संतान,  --४-- गाँव गरीवी की गर्त में ; गायें क़त्ल खानों में , इलाज हुआ हैवान  यहाँ ; शिक्षा पूंजीवाद के नाम ,  क्या हुआ तेरी वसीयत का..; कहाँ तेरे सपनों की शान..! --...

महात्मा गांधी , सुन ले बापू ये पैग़ाम

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आज महात्मा गांधी का जन्म दिवस है सभी और महात्मा गांधी कि जय बोली जा रही है.., जय बोली भी क्यों नहीं जाये.., पूरा विश्व यह आज स्वीकार चुका  है की महात्मा गांधी अहिंसा और शान्ति के पुजारी थे और उन्होंने अहिंसा के लिए बड़ी बड़ी कीमतें चुकी हैं...! उनकी जयंती विश्व अहिंसा दिवस घोषित भी हो चुका है !! इस अवसर पर हम प्रशंसा और आलोचना से अलग हट कर १९६९ में प्रसिद्धी पा चुकी फिल्म बालक के इस गाने का स्मरण करते हैं जी सब कुछ वयां  करने का सामर्थ्य  रखता है ....! हालांकी बात तो इससे भी आगे निकाल चुकी है..... अरविन्द सीसोदिया   गांधी की विरासत पर नेहरुवंश का कब्जा है.., धोती और लाठी पर ; टाई सूट का फरमा है ;  रामराज कहाँ भारत में , इतिहास कि थाती है ,  भ्रष्टाचार की गंगा - यमुना ही तेरी ख्याती है.., गाव गरीवी , गाय क़त्ल - खानें में ,  जय जय पूंजीवाद में बहती सरिता यूरोप के जजमानों में ,  देख दुर्दशा भारत की रो उठता मय खाना भी....!   गांधी नीचे न झांक लेना ,  बहुत दुखः पायेगा जी तेरा भी ...!!   -------------------- सुन ले बाप...