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श्रीकृष्ण : विष्णुजी के आठवें अवतार

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कृष्ण जन्माष्टमी / Krishna Janmashtami http://hi.brajdiscovery.org कृष्ण जन्मभूमि, मथुरा कृष्णावतार प्रत्येक भारतीय भागवत पुराण में लिखित 'श्रीकृष्णावतार की कथा' से परिचित हैं। श्रीकृष्ण की बाल्याकाल की शरारतें जैसे - माखन व दही चुराना, चरवाहों व ग्वालिनियों से उनकी नोंक–झोंक, तरह - तरह के खेल, इन्द्र के विरुद्ध उनका हठ (जिसमें वे गोवर्धन पर्वत अपनी अँगुली पर उठा लेते हैं, ताकि गोकुलवासी अति वर्षा से बच सकें), सर्वाधिक विषैले कालिया नाग से युद्ध व उसके हज़ार फनों पर नृत्य, उनकी लुभा लेने वाली बाँसुरी का स्वर, कंस द्वारा भेजे गए गुप्तचरों का विनाश - ये सभी प्रसंग भावना प्रधान व अत्यन्त रोचक हैं। आस्था के केंद्र श्रीकृष्ण युगों-युगों से हमारी आस्था के केंद्र रहे हैं। वे कभी यशोदा मैया के लाल होते हैं तो कभी ब्रज के नटखट कान्हा और कभी गोपियों का चैन चुराते छलिया तो कभी विदुर पत्नी का आतिथ्य स्वीकार करते हुए सामने आते हैं तो कभी अर्जुन को गीता का ज्ञान देते हुए। कृष्ण के रूप अनेक हैं और वह हर रूप में संपूर्ण हैं। अपने भक्त के लिए हँसते-हँसते गांधारी के शाप

84 कोसी परिक्रमा पर रोक से हिंदुओं को लगी ठेस : राजनाथ सिंह

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धार्मिक यात्रा पर रोक लगना उचित नहीं : राजनाथ सिंह संतों को 84 कोसी परिक्रमा करवाए सरकार  : राजनाथ सिंह जो सरकार किसी भी धर्म या पंथ के आयोजन को सुरक्षा देने की जिम्मेदारी न निभा पाए उसका सत्ता में बने रहने का औचित्य नहीं है। प्रदेश सरकार के फैसले से दुर्भाग्यपूर्ण स्थित पैदा हो गई है  : राजनाथ सिंह 84 कोसी यात्रा पर रोक लगाना प्रदेश सरकार की सोची समझी रणनीति है। यात्रा पर लगाई गई रोक राजनीति से प्रेरित है। सपा सरकार ने हिंदुओं को ठेस पहुचाने का काम किया है : राजनाथ सिंह -------------- 84 कोसी परिक्रमा पर रोक से हिंदुओं को लगी ठेस: राजनाथ लखनऊ/ब्यूरो/इंटरनेट डेस्क | अंतिम अपडेट 23 अगस्त 2013  http://www.lucknow.amarujala.com भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने प्रदेश सरकार से अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा पर लगाए गए प्रतिबंध पर पुनर्विचार की अपील की है। उन्होंने कहा, यह पाबंदी हमारे लिए चुनौती है। हर धर्म के व्यक्ति को अपनी धार्मिक आस्था को अभिव्यक्त करने का अधिकार है। दो-ढाई सौ संत 84 कोसी परिक्रमा करना चाहते हैं तो सरकार को आपत्ति क्या है? राजनाथ सिंह ब

सोमवार को देशभर में विहिप का विरोध प्रदर्शन

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विहिप का सोमवार को देशभर में विरोध प्रदर्शन Sunday, August 25, 2013, लखनऊ/अयोध्या : शासन-प्रशासन की पावंदी तथा  सख्ती के चलते 84 कोसी परिक्रमा निकालने में लगभग आये गतिरोध  एवं संतों की गिरफ्तारी के विरोध में विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने अब सोमवार २६ अगस्त को देशभर में धरना-प्रदर्शन करने की घोषणा की है। रविवार को पुलिस ने कई बड़े संतों को गिरफ्तार कर लिया, जिसके खिलाफ विहिप ने एक बार फिर सरकार से दो-दो हाथ करने का मन बनाया है। विहिप ने 25 अगस्त से लेकर 13 सितम्बर तक 84 कोसी परिक्रमा की घोषणा की थी, लेकिन राज्य सरकार ने परिक्रमा पर पाबंदी लगा दी। इस बीच विहिप ने घोषणा की है कि संतों की गिरफ्तारी के विरोध में सोमवार को पूरे देश में प्रदर्शन किया जाएगा। विहिप के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने बताया कि संतों और धर्माचार्यों को जगह-जगह से गिरफ्तार किया जा रहा है। संतों की गिरफ्तारी के विरोध में विहिप सोमवार को पूरे देश में प्रदर्शन करेगी। विहिप सूत्रों के अनुसार, विहिप अक्टूबर में अयोध्या कूच करने की बड़ी घोषणा भी कर सकती है। विहिप के नेता इस बात पर विचार कर रहे हैं कि 18 अक्टूबर क

84 कोसी परिक्रमा, अयोध्या : सिंघल, तोगड़िया गिरफ्तार

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विहिप ने शुरू की यात्रा 84 कोसी परिक्रमा, अयोध्या : सिंघल, तोगड़िया गिरफ्तार,  ज़ी मीडिया ब्यूरो/एजेंसी अयोध्या/लखनऊ : विश्व हिन्दू परिषद ने आज अयोध्या से अपनी विवादास्पद यात्रा की प्रतीकात्मक शुरूआत की, जबकि प्रशासन ने जबर्दस्त धरपकड़ के बीच संगठन के शीर्ष नेताओं अशोक सिंघल, प्रवीण तोगड़िया और राम विलास वेदांती को गिरफ्तार कर लिया। तोगड़िया को जहां अयोध्या से गिरफ्तार किया गया, वहीं सिंघल को लखनऊ हवाई अड्डे से हिरासत में लिया गया। अधिकारियों ने लखनऊ में बताया कि स्वामी राम भद्राचार्य के साथ नई दिल्ली से पहुंचे सिंघल को उस समय गिरफ्तार किया गया जब वह अयोध्या जाने की जिद पर अड़ गए। अयोध्या के गोलाघाट में अपनी गिरफ्तारी के तुरंत बाद तोगड़िया ने कहा कि चौरासी कोसी परिक्रमा पर उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतिबंध के खिलाफ कल समूचे देश में प्रदर्शन किए जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘यह राजनीतिक नहीं, बल्कि धार्मिक यात्रा है और इस पर सरकार का प्रतिबंध तथा दमन किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’ तोगड़िया ने कहा, ‘अब यह आंदोलन भारत के गांव-गांव में जायेगा और कल देश के सभी जिला मुख्यालयों में धर

राजनीतिक दलों का अनर्थतंत्र

http://moneymantra.net.in राजनीतिक दलों का अनर्थतंत्र  पूर्व सदस्य, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और पूर्व महानिदेशक, आयकर विभाग (इन्वेस्टिगेशन) कई राज्यों में विधानसभा चुनाव और केंद्र में लोकसभा चुनाव करीब हैं जिसे देखते हुए देश के राजनीतिक अर्थव्यवस्था की गंदगी साफ करने और राजनीतिक दलों की फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ाने की मांग बढ़ गई है। राजनीतिक दलों का खजाना लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन उन्हें चंदा कौन दे रहा है, उनके द्वारा चुनाव में भारी खर्च के लिए इतना पैसा कहां से आ रहा है, इसका कोई हिसाब नहीं है। राजनीतिक दल खुद को मिली टैक्स छूट का दुरुपयोग करते हैं और उनके द्वारा मनी लांडरिंग करने तक के सबूत मिले हैं। सच तो यह है कि इस तरह के कई छूटों का फायदा उठाने के लिए ही कुकुरमुत्ते की तरह सैकड़ों की संख्या में राजनीतिक दल उग आए हैं। राजनीतिक दलों को २०,००० रुपए से कम के मिले चंदे का कोई हिसाब नहीं देना होता और इसी सहूलियत का फायदा उठाते हुए वे चंदे का स्रोत छिपाए रहते हैं। चुनाव आयोग के अधिकार सीमित होने की वजह से चुनावी खर्च पर भी प्रभावी अंकुश नहीं लग पा रहा। अचरज की बात यह

श्रद्धालुओं की मौत : धमारा स्टेशन पर यदि ऊपरी पुल होता, तो नहीं होता हादसा

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जानकारी के अनुसार, राजधानी एक्सप्रेस (गाड़ी संख्या 12567) सोमवार की सुबह सहरसा से पटना जा रही थी। मानसी रेलखंड पर धमारा रेलवे स्टेशन के पास मां कात्यायिनी का एक मंदिर है, जहां पूजा के लिए लोग जमा थे। सावन महीने के आखिरी सोमवार और सोमवारी मेले की वजह से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ थी। वे मंदिर में जल चढ़ाने आए थे। स्पीड में आ रही ट्रेन से बेखबर लोग ट्रैक पार कर दूसरी तरफ मंदिर की ओर जा रहे थे। इसी बीच अचानक राजधानी एक्सप्रेस आने से पटरी पर खड़े लोग इसकी चपेट में आ गए।इसमें करीब 50 लोग घायल हो गए। मृतकों में 22 महिलाएं और चार बच्चे हैं।   बिहार के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) ए. के. भारद्वाज और खगडिया के सांसद दिनेश चंद्र यादव ने इस हादसे में 35 लोगों की मौत की पुष्टि की थी। हालांकि, बाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि मृतकों की संख्या बढ़कर 37 हो गई है। कई घायलों की हालत गंभीर है और मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। इस हादसे के बाद लोगों में भारी आक्रोश फैल गया। गुस्साए लोगों ने ट्रेन के दोनों ड्राइवरों को उतार लिया और उनकी जमकर पिटाई

भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना

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‘भइया मेरे राखी के बंधन को निभाना’ भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना भैया मेरे, छोटी बहन को न भुलाना देखो ये नाता निभाना , निभाना भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना भैया मेरे, छोटी बहन को न भुलाना भैया मेरे............ ये दिन ये त्यौहार खुशी का पावन जैसे नीर नदी का भाई के उजले माथे पे बहन लगाये मंगल टीका झूमे ये सावन सुहाना भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना भैया मेरे, छोटी बहन को न भुलाना भैया मेरे............ बाँध के हमने रेशम डोरी तुमसे वो उम्मीद है जोड़ी नाज़ुक है जो साँस के जैसी पर जीवन भर जाए न तोडी जाने ये सारा ज़माना भैया मेरे , भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना ...... शायद वो सावन भी आए जो पहला सा रंग न लाये बहन पराये देश बसी हो अगर वो तुम तक पहुँच न पाए याद का दीपक जलाना भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना भैया मेरे, छोटी बहन को न भुलाना भैया मेरे............

गुलामी की मानसिकता से आजादी ही स्वतंत्रता है - नरेन्द्र मोदी

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६७वां आजादी पर्वः कच्छ जिला कच्छ के लालन कॉलेज से राज्यस्तरीय स्वतंत्रता पर्व के अवसर पर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी  का प्रेरणादायी संबोधन भारतमाता की आन-बान-शान के साथ राष्ट्र ध्वज को मुख्यमंत्री ने दी सलामी देश को संकटों और समस्याओं में डुबाने के लिए वर्तमान शासक संपूर्ण जिम्मेदारः मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी गुलामी की मानसिकता, स्थगित शासन और भ्रष्टाचार से आजादी ही जनता का फैसला है देश के शासकों पर से उठा जनता का भरोसा           गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हिन्दुस्तान को वर्तमान संकटों और समस्याओं से मुक्त कराने का आह्वान करते हुए कहा कि - स्थगितता और विफलताओं के कारण देश की सवा सौ करोड़ जनता का भरोसा वर्तमान शासन पर से उठ गया है। स्वराज के बाद अब देश को गुलामी की मानसिकता में से आजाद कराने का समय आ गया है। ६७वें आजादी पर्व के राज्य स्तरीय समारोह के अवसर पर कच्छ की धरती पर भुज के लालन कॉलेज के पटांगण में भारत के तिरंगे का आन-बान-शान के साथ ध्वज वंदन कराने के बाद श्री नरेन्द्र मोदी ने देश की ताकत और सामर्थ्य की उपेक्षा कर संकटों में धकेल देने वाली कांग्

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ता हमारा

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सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा हम बुलबुले है इसकी ये गुलसिता हमारा ॥धृ॥ घुर्बत मे हो अगर हम रहता है दिल वतन मे समझो वही हमे भी दिल है जहाँ हमारा ॥१॥ परबत वो सब से ऊंचा हमसाय आसमाँ का वो संतरी हमारा वो पासबा हमारा ।२॥ गोदी मे खेलती है इसकी हजारो नदिया गुलशन है जिनके दम से रश्क-ए-जना हमारा ।३॥ ए अब रौद गंगा वो दिन है याद तुझको उतर तेरे किनारे जब कारवाँ हमारा ॥४॥ मझहब नही सिखाता आपस मे बैर रखना हिन्दवी है हम वतन है हिन्दोस्तान हमारा ॥५॥ युनान-ओ-मिस्र-ओ-रोमा सब मिट गये जहाँ से अब तक मगर है बांकी नामो-निशान हमारा ॥६॥ कुछ बात है की हस्ती मिटती नही हमारी सदियो रहा है दुश्मन दौर-ए-जमान हमारा ॥७॥ इक़्बाल कोइ मेहरम अपना नही जहाँ मे मालूम क्या किसी को दर्द-ए-निहा हमारा ॥८॥

मेरी आवाज पाकिस्तान पहले पहुंचती है : नरेंद्र मोदी

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मेरी आवाज पाकिस्तान पहले पहुंचती है: मोदी नवभारतटाइम्स.कॉम | Aug 15, 2013,  भुज।। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर भुज के लालन कॉलेज से दिए गए भाषण में पीएम मनमोहन सिंह और कांग्रेस पर सीधा हमला बोला। मोदी ने पीएम के स्वतंत्रता दिवस भाषण को बेहद निराशाजनक बताते हुए कहा कि वह पाक को कड़ा संदेश देने में नाकाम रहे हैं और बस एक ही परिवार का गुणगान करते रहे। उन्होंने कहा कि देश के आखिरी छोर पर बैठे होने के बाद भी उनकी आवाज पाकिस्तान तक पहले पहुंचती है। गौरतलब है कि मोदी के इस भाषण पर सभी की नजरें लगी हुई थीं। मोदी ने बुधवार को ही अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में पीएम को निशाने पर लेने का इशारा कर दिया था। मोदी ने किया भी ऐसा ही। मनमोहन का भाषण सुनकर आए मोदी ने इसको आधार बनाकर पीएम को निशाने पर लिया।  पीएम को शास्त्री, पटेल क्यों नहीं याद आएः मोदी ने कहा, 'देश की भलाई के लिए विकास एकमात्र उपाय है। इसी वजह से हम चाहते थे कि लाल किले से प्रधानमंत्री देश को कुछ पॉजिटिव संदेश देंगे। प्रधानमंत्री लाल किले से केवल एक परिवार को याद करते दिखे। प्रधानमंत्री से क्या यह

आरती भारत माता की

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आरती भारत माता की आरती भारत माता की, जगत की भाग्यविधाता की॥धृ॥ मुकुटसम हिमगिरिवर सोहे, चरण को रत्नाकर धोए, देवता कण-कण में छाये वेद के छंद, ग्यान के कंद, करे आनंद, सस्यश्यामल ऋषिजननीकी॥1॥ जगत की........... जगत से यह लगती न्यारी, बनी है इसकी छवि प्यारी, कि दुनिया झूम उठे सारी, देखकर झलक, झुकी है पलक, बढ़ी है ललक, कृपा बरसे जहाँ दाता की॥2॥ जगत की........... पले जहाँ रघुकुल भूषण राम, बजाये बंसी जहाँ घनश्याम, जहाँ पग-पग पर तीरथ धाम, अनेको पंथ, सहस्त्रों संत, विविध सद्ग्रंथ सगुण-साकार जगन्माँकी॥3॥ जगत की........... गोद गंगा-जमुना लहरे, भगवा फहर-फहर फहरे, तिरंगा लहर-लहर लहरे, लगे हैं घाव बहुत गहरे, हुए हैं खण्ड, करेंगे अखण्ड, यत्न कर चण्ड सर्वमंगल-वत्सल माँ की॥4।। जगत की........... बढ़ाया संतों ने सम्मान, किया वीरों ने जीवनदान, हिंदुत्व में निहित है प्राण, चलेंगे साथ, हाथ में हाथ, उठाकर माथ, शपथ गीता - गौमाता की॥5॥ जगत की........... भारत माता की जय..... ---------- भारत-माता जिसका कंकर-कंकर शंकर है, और जिसकी बूँद-बूँद गंगा है; कश्मीर जिसका मस्तक है

नैतिकता ही सब कुछ - प. पू सरसंघचालक डा मोहन जी भागवत

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नैतिकता ही सब कुछ - प. पू  सरसंघचालक डा मोहन जी भागवत लाडनू (नागौर ) ६ अगस्त २०१३ . राष्ट्रीय  स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक परम पूजनीय डा मोहन जी भागवत ने राजनीति  और नैतिकता विषय पर अपना उध्बोधन देते हुए कहा कि समाज में विपरीत स्थिती में लगता है की नैतिकता चाहिए लेकिन कैसे आती है ? नैतिकता के मूल में आत्मीयता है. जहाँ मैं ही हूँ, मेरा ही  विचार है,  मेरा ही भला होना चाहिये  , मुझे ही सब कुछ मिलना चाहिए  नैतिकता नहीं होती , वहां स्वार्थ होता है. जहाँ सभी है, सभी को होना चाहिए  सभी को मिलना चाहिए वहां आदमी अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर सबके लिए कार्य करता है. वह नैतिकता है. जैन विश्व भारती में तेरापंथ के आचार्य महाश्रमण की उपस्तिथि में राजनीति और नैतिकता पर जनमानस  को संबोधित करते हुए भागवत  जी ने राजनीती और नैतिकता पर बोलते हुए  कहा की समाज या  प्रवाह जैसा है उसकी एक गति है, उसमे जो कुछ गिरेगा वो उस गति के साथ हो जायेगा।  नैतिक  व्यक्ति सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलता है।  त्याग और संयम आना चाहिए।  नैतिकता भाषणों  से नहीं आएगी। श्रद्धा को जगाना होगा और उदाहरण  से विश्वास पैदा करना यही

हिंदुओं के दमन की विश्वव्यापी दास्तान- उमाशंकर मिश्र

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हिंदुओं के दमन की विश्वव्यापी दास्तान September 17, 2008 - उमाशंकर मिश्र यह दास्तान है भारत समेत एशिया के अनेक देशों में हिन्दुओं के साथ होने वाले सौतेले व्यवहार की, जो बताती है कि अमरनाथ श्राईन बोर्ड की जमीन छीनकर हिन्दुओं की आस्था एवं उनके धार्मिक प्रतीकों पर पहली बार हमला नहीं हुआ है, इसकी जड़ें बहुत अधिक गहरी एवं विषैली हैं। अमरनाथ श्राईन बोर्ड से जमीन वापस लिये जाने का मसला पर्याय है मुस्लिम तुष्टीकरण का जो हिन्दुओं की आस्था और उनसे जुड़े प्रतीकों के समक्ष एक चुनौती बनकर आ खड़ी हुई है। हालांकि इस तरह से हिन्दुओं के साथ व्यवहार पहली बार किया गया हो ऐसा नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ भारत में ही इस तरह का जातीय भेदभाव हिन्दुओं को झेलना पड़ा है, बल्कि एशिया के अनेक देशों में वहां की सरकारों की शह पर हिन्दुओं पर न केवल अत्याचार किए गए बल्कि उनकी आस्था के प्रतीकों पर भी हमले हुए हैं। अमरनाथ श्राईन बोर्ड से जमीन छीने जाने के खिलाफ हिन्दुओं का उग्र होना लाजमी था। जम्मू-कश्मीर के नये राज्यपाल श्री एन.एन. वोहरा ने पद संभालते ही अमरनाथ श्राईन बोर्ड से जमीन वापिस लेने के आदेश द