श्रीकृष्ण : विष्णुजी के आठवें अवतार
कृष्ण जन्माष्टमी / Krishna Janmashtami http://hi.brajdiscovery.org कृष्ण जन्मभूमि, मथुरा कृष्णावतार प्रत्येक भारतीय भागवत पुराण में लिखित 'श्रीकृष्णावतार की कथा' से परिचित हैं। श्रीकृष्ण की बाल्याकाल की शरारतें जैसे - माखन व दही चुराना, चरवाहों व ग्वालिनियों से उनकी नोंक–झोंक, तरह - तरह के खेल, इन्द्र के विरुद्ध उनका हठ (जिसमें वे गोवर्धन पर्वत अपनी अँगुली पर उठा लेते हैं, ताकि गोकुलवासी अति वर्षा से बच सकें), सर्वाधिक विषैले कालिया नाग से युद्ध व उसके हज़ार फनों पर नृत्य, उनकी लुभा लेने वाली बाँसुरी का स्वर, कंस द्वारा भेजे गए गुप्तचरों का विनाश - ये सभी प्रसंग भावना प्रधान व अत्यन्त रोचक हैं। आस्था के केंद्र श्रीकृष्ण युगों-युगों से हमारी आस्था के केंद्र रहे हैं। वे कभी यशोदा मैया के लाल होते हैं तो कभी ब्रज के नटखट कान्हा और कभी गोपियों का चैन चुराते छलिया तो कभी विदुर पत्नी का आतिथ्य स्वीकार करते हुए सामने आते हैं तो कभी अर्जुन को गीता का ज्ञान देते हुए। कृष्ण के रूप अनेक हैं और वह हर रूप में संपूर्ण हैं। अपने भक्त के लिए हँसते-हँसते गांधारी के शाप