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विदेशी इशारों पर विकास को अवरुद्ध करते एनजीओ

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                                          पश्चिम के इशारे पर विकास को अवरुद्ध करते एन जी ओ  साभार - पाथेयकण, जयपुर, राजस्थान  http://www.patheykan.in देश की गुप्तचर संस्था आई.बी.ने हाल ही में एक बड़ा खुलासा किया है कि देश के अनेक एनजीओ (गैर सरकारी संगठन- Non Governmental Organisation) पर्यावरण सुरक्षा, विस्थापन आदि के नाम पर भारत में विकास की बड़ी परियोजनाओं का विरोध पश्चिमी देशों के इशारे पर करते हैं। इसके लिए उन्हें अमरीका व दूसरे पश्चिमी देशों से अथाह धनराशि प्राप्त होती है। ये एनजीओ पश्चिमी देशों के हितों को आगे बढ़ाने का माध्यम बन गये हैं। आई बी का तो यहॉं तक कहना है कि एनजीओ की इस भूमिका के कारण भारत का आर्थिक विकास धीमा हो गया है।  इंटेलिजेंस ब्यूरो का अनुमान है कि इससे भारत की जीडीपी वृद्धिदर 2 से 3 प्रतिशत कम हो रही है। एन जी ओ के बारे में आम धारणा रही है कि ये संगठन ग्रामीण विकास, स्वच्छता, शिक्षा,स्वास्थ्य, साक्षरता, अनाथालय आदि सामाजिक सेवा करने वाले संगठन हैं। परन्तु आई बी ने अपनी रपट में खुलासा किया है कि मानवाधिकार, पर्यावरण सुरक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता, असमानता

मदर टेरसा और उनका मकसद

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---------- संघ के परम पूज्य सरसंघचालक मोहनजी भगवत ने क्या कहा और उसे तोड़ मरोड़ कर क्या पेश किया यह सभी समझते हैं । उनका कहना था सेवा के पीछे कोई निहित स्वार्थ नहीं होना चाहिए । और यह भी सब जानते हैं की ईसाई मिशनरियां शुद्ध रूप से धर्मांतरण करवाती हैं । विदेशों से इस हेतु अरबों रूपये आते हैं । महात्मा  गांधी भी ईसाईयों के इस कुकृत्य के खिलाफ थे । ईसाईयों के रोम रोम में धर्मांतरण है , मात्र 2000 साल में यूरोप , दोनों अमरीका , ऑस्ट्रेलिया  , अफ्रीका महाद्वीपों पर इन्होनें वहां के मूल पंथों को समाप्त कर दिया है । ईसाई और इस्लाम ने बहुतसे धर्मयुद्ध लड़े हैं । एशिया को ईसाई बनाने  के लिए , भारत को ईसाई बनाओ के उद्देश्य से ईसाई मिशनरियां और ईसाई देश काम कर रहे हैं । ईसाई धर्मांतरण की रक्षा और उसके पोषण के लिए उनके धन से स्थापित मिडिया और व्यापारिक तथा रणनीतिक संस्थान तरह तरह के पाखंडों में लिप्त रहते हैं । --------- अरविन्द सिसोदिया, कोटा राजस्थान  आखिर मदर टेरेसा का मकसद क्या था? By  एबीपी न्यूज Tuesday, 24 February 2015 http://abpnews.abplive.in/ind/2015/02/24/article510902.

गरीब की सेवा में नहीं हो धर्मांतरण का भाव - परम पूज्य सरसंघचालक मोहन जी भागवत

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इसाईयत सिर्फ 2000 वर्ष पुराना है। विस्तारवाद उसकी रग रग में है। पहले यूरोप फिर , दोनों अमरीका , अस्ट्रेलिया, अफ्रिका महादीपों को  इसाई बनाया, अब हिन्दुस्तान को इसाई बनाने का कार्य योजनापूर्वक चल रहा है। इसी षडयंत्र का एक हिस्सा मदर टेरसा भी थीं, पोप ने उन्हे संत घोषित कर सम्मानि किया था। किसी भी षडयंत्र को उजागर करना अथवा उससे सावचेत करना कोई गलत नहीं है। - अरविन्द सिसोदिया ------------               गरीब की सेवा में नहीं हो धर्मांतरण का भाव - परम पूज्य सरसंघचालक मोहन जी भागवत कल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने राष्ट्रीय  स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन जी भागवत के भरतपुर के एक कार्यक्रम दिए उध्बोधन को अपने हित से तोड़ मरोड़ कर अपने कौन से मंसूबे पुरा कर रहा है किसी से छिपा नहीं है . सेवा और सेवा के पीछे के भाव  वास्तव में एक चिंता का विषय है। स्थानीय समाचार पत्रों  में छपे समाचार से स्थति स्पष्ट है कि भागवत जी ने ऐसा कुछ नहीं कहा था। गरीब की सेवा में नहीं हो धर्मांतरण का भाव- भागवत अपना घर के कार्यक्रम में बोले संघ प्रमुख भास्कर न्यूज | भरतपुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के

संघ वटवृक्ष के बीज – परम पूज्य आद्य सरसंघचालक डॉक्टर हेडगेवार जी

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मंगलवार, 17 फ़रवरी 2015 संघ वटवृक्ष के बीज – परम पूज्य आद्य सरसंघचालक डॉक्टर हेडगेवार जी (डॉक्टर  हेडगेवार की 125वीं जयन्ती) - डॉ. मनमोहन वैद्य (अ.भा.प्रचार  प्रमुख) लिंक  http://hi.tuffer.org/2015/02/life-tree-of-rss-dr-hedgevar.html राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम आज सर्वत्र चर्चा में है. संघ कार्य का बढ़ता व्याप देख कर संघ विचार के विरोधक चिंतित होकर संघ का नाम बार-बार उछाल रहे हैं. अपनी सारी शक्ति और युक्ति लगाकर संघ विचार का विरोध करने के बावजूद यह राष्ट्रीय शक्ति क्षीण होने के बजाय बढ़ रही है, यह उनकी चिंता और उद्वेग का कारण है. दूसरी ओर राष्ट्रहित में सोचने वाली सज्जन शक्ति संघ का बढ़ता प्रभाव एवं व्याप देख कर भारत के भविष्य के बारे में अधिक आश्वस्त होकर संघ के साथ या उसके सहयोग से किसी ना किसी सामाजिक कार्य में सक्रिय होने के लिए उत्सुक हैं, यह देखने में आ रहा है. संघ की वेबसाइट पर ही संघ से जुड़ने की उत्सुकता जताने वाले युवकों की संख्या 2012 में प्रतिमास 1000 थी. यही संख्या प्रतिमास 2013 में 2500 और 2014 में 9000 थी. इस से ही संघ के बढ़ते समर्थन का अंदाज लगाया जा सकता है.

हम सभी भारत माता के पुत्र हैं - परम पूज्य सरसंघचालक भागवत जी

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स्मारक  के अवलोकन के  समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक  डा. मोहन जी भागवत  ने अपने सन्देश में लिखा कि "शाश्वत सनातन भारत की रक्षा तथा संवर्धन के लिए सतत प्रेरणा देने वाले इस स्थल का उसी रूप में विकास करने का कार्य हो रहा है , सभी कार्यकर्ताओ का अभिनन्दन ".    कार्यक्रम की अध्यक्षता संत बालकदास महाराज ने की। उन्होंने कहा कि मुनि और ऋषियों के काम को संघ आगे बढ़ा रहा है। ईश्वर मनुष्य का भाग्य बनाता है और संघ मनुष्य का सौभाग्य। संघ हमें जीना सिखाता है।  कार्यक्रमके विशिष्ट अतिथि धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकारसिंह लखावत ने कहा कि इतिहास को पुन: लिखने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि अभी तक अबुल फजल और कर्नल टाड का लिखा विकृत इतिहास पढ़ाया जा रहा है। इसमें भारत के पक्ष को ठीक से प्रस्तुत नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार देश की एकता और अखंडता का संदेश देने वाले स्मारक खड़े कर रही है। इसी कड़ी में करीब 35 स्मारक राजस्थान में बनाए जा रहे हैं।   इस अवसर पर पर विशिष्ट अतिथि पर्यटन मंत्री कृष्णेंद्र कौर दीपा  ने   लोकार्पण टिकट खरीदने

21 मार्च 2015 से प्रारंभ होगा हिन्दू नव वर्ष विक्रम संवत् 2072

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                                    21 मार्च 2015 को विक्रम संवत् के नये साल का आरम्भ क्या है गुड़ी पड़वा या हिन्दू नववर्ष या चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (21 मार्च 2015 को) ? चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा या नववर्ष का आरम्भ माना गया है। ‘गुड़ी’ का अर्थ होता है विजय पताका । ऐसा माना गया है कि शालिवाहन नामक कुम्हार के पुत्र ने मिट्टी के सैनिकों का निर्माण किया और उनकी एक सेना बनाकर उस पर पानी छिड़ककर उनमें प्राण फूँक दिये। उसमें सेना की सहायता से शक्तिशाली शत्रुओं को पराजित किया। इसी विजय के उपलक्ष्य में प्रतीक रूप में ‘‘शालीवाहन शक’ का प्रारम्भ हुआ। पूरे महाराष्ट्र में बड़े ही उत्साह से गुड़ी पड़वा के रूप में यह पर्व मनाया जाता है। कश्मीरी हिन्दुओं द्वारा नववर्ष के रूप में एक महत्वपूर्ण उत्सव की तरह इसे मनाया जाता है। इसे हिन्दू नव संवत्सर या नव संवत् भी कहते हैं। इस वर्ष 21 मार्च 2015 को कीलक नामक विक्रम संवत् 2072 का प्रारंभ होगा| 21 मार्च 2015 (शनिवार) को इस धरा की 1955885115वीं वर्षगांठ है| पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह

संसद भवन की डिजाइन : चौसठ योगिनी मंदिर की

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                     हमारे संसद भवन की डिजाइन चौसठ योगिनी मंदिर जैसी है                                                     रविन्द्र झारखरिया    Apr 13, 2014, मुरैना. हमारा संसद भवन ब्रिटिश वास्तुविद् सर एडविन लुटियंस की मौलिक परिकल्पना माना जाता है। लेकिन, इसका मॉडल हू-ब-हू मुरैना जिले के मितावली में मौजूद चौसठ योगिनी शिव मंदिर से मेल खाता है। 9वीं सदी में प्रतिहार वंश के राजाओं द्वारा बनाए गए मंदिर में 101 खंभे कतारबद्ध हैं। और 64 कमरों में एक-एक शिवलिंग है। मंदिर के मुख्य परिसर में भी एक बड़ा शिवलिंग स्थापित है। माना जाता है कि हर कमरे में शिवलिंग के साथ देवी योगिनी की मूर्ति भी रही होगी, जिसके आधार पर इसका नाम चौसठ योगिनी मंदिर पड़ा। इकंतेश्वर महादेव के नाम से भी प्रतिष्ठित यह मंदिर कभी तांत्रिक अनुष्ठान के विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता था। छह एकड़ में फैली संसद में 12 दरवाजे और 27 फीट ऊंचे 144 खंभे कतारबद्ध हैं। इसका व्यास 560 फीट और घेरा 533 मीटर है। इसके निर्माण में 1927 में 83 लाख रुपए की राशि खर्च हुई थी। ------------------ अतुलनीय भारत का दिल बेह

शिव थे मुस्लिमों के पहले पैगंबर: मुफ्ती मोहम्मद इलियास

शिव थे मुस्लिमों के पहले पैगंबर: जमीयत उलेमा नवभारत टाइम्स| Feb 18, 2015 मनोज पांडेय, फैजाबाद जमीयत उलेमा के मुफ्ती मोहम्मद इलियास ने अयोध्या में चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा कि भगवान शंकर मुस्लिमों के पहले पैगंबर हैं। उन्होंने कहा कि इस बात को मानने में मुसलमानों को कोई गुरेज नहीं है। जमीयत उलेमा का एक डेलिगेशन बुधवार को अयोध्या आया था। जमीयत उलेमा 27 फरवरी को बलरामपुर में कौमी एकता का कार्यक्रम करने जा रहा है। इसी सिलसिले में वह अयोध्या के साधु-संतों को कार्यक्रम में हिस्सा लेने की अपील करने आए थे। मौलाना ने कहा कि मुसलमान भी सनातन धर्मी है और हिंदुओं के देवता शंकर और पार्वती हमारे भी मां-बाप है। उन्होंने आरएसएस के हिंदू राष्ट्र वाली बात पर कहा कि मुस्लिम हिंदू राष्ट्र के विरोधी नहीं हैं। मुफ्ती मोहम्मद इलियास ने कहा कि जिस तरह से चीन में रहने वाला चीनी, अमेरिका में रहने वाला अमेरिकी है, उसी तरह से हिंदुस्तान में रहने वाला हर शख्स हिंदू है। यह तो हमारा मुल्की नाम है। उन्होंने कहा कि जब हमारे मां-बाप, खून और मुल्क एक है तो इस लिहाज से हमारा धर्म भी एक है। इस दौरान मुस्लिम डेलिगेशन