हम सभी भारत माता के पुत्र हैं - परम पूज्य सरसंघचालक भागवत जी




स्मारक  के अवलोकन के समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा.मोहन जी भागवत  ने अपने सन्देश में लिखा कि "शाश्वत सनातन भारत की रक्षा तथा संवर्धन के लिए सतत प्रेरणा देने वाले इस स्थल का उसी रूप में विकास करने का कार्य हो रहा है , सभी कार्यकर्ताओ का अभिनन्दन ". 

 कार्यक्रम की अध्यक्षता संत बालकदास महाराज ने की। उन्होंने कहा कि मुनि और ऋषियों के काम को संघ आगे बढ़ा रहा है। ईश्वर मनुष्य का भाग्य बनाता है और संघ मनुष्य का सौभाग्य। संघ हमें जीना सिखाता है। 


कार्यक्रमके विशिष्ट अतिथि धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकारसिंह लखावत ने कहा कि इतिहास को पुन: लिखने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि अभी तक अबुल फजल और कर्नल टाड का लिखा विकृत इतिहास पढ़ाया जा रहा है। इसमें भारत के पक्ष को ठीक से प्रस्तुत नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार देश की एकता और अखंडता का संदेश देने वाले स्मारक खड़े कर रही है। इसी कड़ी में करीब 35 स्मारक राजस्थान में बनाए जा रहे हैं। इस अवसर पर पर विशिष्ट अतिथि पर्यटन मंत्री कृष्णेंद्र कौर दीपा  ने  लोकार्पण टिकट खरीदने वाले खरीदारों को सम्मानित किया गया।

अखण्डता और अक्षुण्णता को जीवन का सर्वोपरि ध्येय बनाकर सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले महाराणा सांगा (महाराणा संग्राम सिंह ) की स्मृति को चिर स्थाई बनाये रखने के लिए राणा सांगा  स्मृति समिति - खानुआं , रूपवास , भरतपुर  ने यह कार्यक्रम आयोजित किया था  

उल्लेखनीय है कि खानुआं का युद्ध १७ मार्च १५२७ को आगरा से ६० किमी दूर खानुआं गाँव (रूपवास , भरतपुर) में लड़ा गया था। बाबर द्वारा लड़ा गया पानीपत के युद्ध के बाद यह दूसरा बड़ा युद्ध था।

पूर्व में समितिके संरक्षक डा. जीसी कपूर तथा अध्यक्ष हरि ओमसिंह जादौन ने सरसंघचालक डा. मोहनराव भागवत का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया। धीरेंद्र बिष्ट ने वंदेमातरम् गीत प्रस्तुत किया। प्रारंभ में संघ प्रमुख ने राणा सांगा स्मारक पर पुष्प चढाए। इस मौके पर कवि सूर्यद्विज द्वारा लिखित और प्रकाश माली द्वारा संगीतमय गीत मैं खानवा गांव बोल रहा हूं का भी संघ प्रमुख ने लोकार्पण किया। साथ ही  कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक दुर्गादासजी, अखिल भारतीय अधिकारी गुणवंत सिंह जी कोठारी,जयपुर प्रान्त प्रचारक शिव लहरी जी, सह प्रान्त प्रचारक निम्बा राम जी, सांसद बहादुरसिंह कोली, पूर्व मंत्री डा. दिगंबरसिंह, विधायक विजय बंसल,  सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।   कार्यक्रम स्थल पर निहाला एंड पार्टी शीशवाड़ा ने बंब वादन एवं लोक गायन किया। इसमें कई संदेश दिए गए।  

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                                                      भागवत ने की एकजुटता की अपील, 
                                       सभी धर्मों के लोगों ने आक्रमणकारियों का सामना किया

परम पूज्य सरसंघचालक आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जी ने कहा कि विभिन्न धर्म, जाति और भाषा होने के बावजूद देश के लोग बाहरी आक्रमणकारियों के खिलाफ एकजुट होकर खड़े रहें क्योंकि ‘हमारे पूर्वज एक थे.’
उन्होंने भरतपुर से 35 किलोमीटर दूर खानवा में कहा, ‘‘हम सभी भारत माता के पुत्र हैं और विभिन्न संस्कृति, जाति और धर्म होने के बजाय अनंतकाल से साथ में रह रहे हैं.’’

इतिहास से एक उदाहरण लेते हुए भागवत ने राणा सांगा और बाबर के बीच 1527 के खानवा के युद्ध का जिक्र किया तथा कहा कि यह युद्ध दुनिया में मील का पत्थर था.

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि सांगा के योद्धा हसन खान मेवाती ने बाबर की ओर से अपनी सेना में धार्मिक आधार पर शामिल होने की पेशकश ठुकरा दी थी और वह भारत मात्रा के पुत्र थे.

उन्होंने बताया, ‘‘हसन ने कहा था कि उसकी भाषा, जाति और धर्म भले ही बाबर जैसी हो सकती है लेकिन वह सबसे पहले पहले भारतीय है और भारत माता का पुत्र है.’’ उन्होंने लोगों से तुच्छ मुद्दों में शामिल हुए बगैर एकजुट रहने की अपील की.

उन्होंने लोगों से अपील की, ‘‘छोटी-छोटी बातों को लेकर आपस में नहीं लड़ना, एक साथ खड़े रहो, देश को खड़ा करो, एकता की जय बोलो, सारी दुनिया को एकता सिखाइए.’’

भागवत ने कहा, ‘‘हम भारत माता के पुत्र हैं, हम परमभागवत पुत्र हैं और हमारे पूर्वज एक थे.’’  वह यहां राणा सांगा की एक पट्टिका का अनावरण करने के बाद लोगों को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा, ‘‘बुलंद दरवाजे से बड़ा स्मारक यहां खड़ा है खानवा में..जो जवाब देगा कि भारत यहां खड़ा है एकता के साथ.’’ उन्होंने कहा कि भारत के पास विश्व को दिशानिर्देशित करने की शक्ति है.

भागवत ने कहा, ‘‘दिया तले अंधेरा होता है, सूरज तले अंधेरा नहीं होता..हमारा राष्ट्र सूरज के जैसा है जो दुनिया को ऊर्जा देता है. यह हमारी संस्कृति का प्रसाद है और प्रसाद देश दुनिया में हर एक तक पहुंचना चाहिए.’’

खानवा में स्मारक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘सीकरी दरवाजा यह बताता है कि हम एक थे, हम एक हैं और हमारा धर्म, जाति या भाषा चाहे जो कुछ हो हम एक बने रहेंगे.’’

उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सांगा और उनकी सेना हार गई लेकिन इसने जाहिर कर दिया कि भारत एक है और प्रत्येक व्यक्ति साहस दिखाते हुए अपना बलिदान देने के लिए तैयार है जो पहला धर्म है.

उन्होंने अन्य योद्धाओं को याद करते हुए कहा कि चाहे महाराष्ट्र में शिवाजी हों या अयोध्या में संत, प्रत्येक देशभक्त का एक जवाब है कि हम ‘भारत पुत्र’ हैं और धर्म एवं भाषा अपनी जगह है, मुझे बदलने की कोशिश नहीं करें.

इससे पहले लोगों को संबोधित करते हुए धरोहर एवं संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने कहा कि राजस्थान सरकार ने राणा सांगा स्मृति बनाने के लिए डेढ़ करोड़ रूपये आवंटित किये हैं.

उन्होंने बताया कि भाजपा सरकार ने राज्य के अलग-अलग हिस्सों में इस तरह के प्रसिद्ध स्मारकों के जीर्णोद्धार के लिए 37 बड़ी परियोजनाएं भी आवंटित की हैं.

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                                     ऐतिहासिक धरोहर: 3 करोड़ 75 लाख रुपये
July 23, 2014 - राजस्थान

जयपुर – ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री गुलाब चंद कटारिया ने   विधानसभा में कहा कि सरकार राजस्थान की सभी ऐतिहासिक अमूल्य धरोहरों को समुचित  संरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के शासी बोर्ड का पुनर्गठन किया है।

श्री कटारिया  ने  कहा कि रविन्द्र मंच के नवीनीकरण एवं सुधार कार्य पर वर्ष 2014-15 में 3 करोड़ 75 लाख रुपये खर्च किये जायेंगे। इसी तरह झालावाड के प्राचीन अवशेष मऊबोरदा में 3 करोड़ 53 लाख रुपये तथा दलहनपुर में 6 करोड़ 25 लाख रुपये की लागत से संरक्षण जीर्णोंधार और विकास के नवीन कार्य करवाये जायेंगे।

उन्होंने कहा कि पुरातत्व महत्व के भरतपुर के खानवा ग्राम में राणा सांगा स्मारक एवं पैनोरमा, वैर में किला व सफेद महल तथा भरतपुर के संग्रहालय का विकास कार्य पर इस वित्तीय वर्ष में 3 करोड़ 55 लाख रुपये खर्च किये जायेंगे।

श्री कटारिया ने कहा कि राज्य में विभिन्न भाषाओं को समुचित संरक्षण प्रदान करने के लिए राजस्थान भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, संस्कृत, ब्रजभाषा, सिंधी, उर्दू एवं पंजाबी भाषा अकादमियों को प्रभावी बनाने का प्रयास किया जायेगा।

राजस्थान की लोक कलाओं की चर्चा करते हुए श्री कटारिया ने कहा कि लोक कलाओं को आगे बढाने के समुचित प्रयास नहीं किये गये लेकिन अब कलाकारों को मंच प्रदान करने, सहायता करने और प्रोत्साहन दिया जायेगा।

ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री ने यह भी बताया कि ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेजों एवं प्राचीन पाण्डलुपियों का संरक्षण किया जायेगा ताकि हमारे पूर्वजों के इस विशान ज्ञान को सुरक्षित रखा जा सकें। इन प्रचीन ग्रंथों एवं दस्तावेजों का डिजीटाईजेशन एवं माईक्रोफिल्मीकरण कर उन्हें शोधकार्ताओं एवं अध्येताओं के लिए ऑनलाईन किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि कला साहित्य एवं संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग राज्य की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, कलात्मक एवं साहित्यिक एवं विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है।
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                                    "राष्ट्र को नहीं तोड़ सकती मजहब की दीवारें"
Saturday, February 21, 2015

जयपुर/भरतपुर।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत ने अखंडता का संदेश देते हुए कहा कि मजहब की दीवारें राष्ट्र को नहीं तोड़ सकती। उन्होंने आह्वान किया कि हमारी पूजा पद्धति, भाषा, जीवन शैली अलग-अलग होने के बावजूद राष्ट्र रक्षा के लिए एकजुट होकर सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए तत्पर रहना चाहिए।

भागवत ने खानवा (भरतपुर) में राणा संागा स्मारक पर आयोजित समारोह में कहा कि हिंदुस्तान में पहली बार विदेशी हमलावर बाबर ने "मैं भी मुसलमान और तुम भी मुसलमान" कहकर वीर योद्धा देशभक्त हसनखां मेवाती को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया, लेकिन मेवाती भारत की मिट्टी और देशभक्ति का परिचय देते हुए देश पर कुर्बान हो गए। मेवाती का बाबर को दिया गया यह उत्तर भारतीयता का परिचय है। भारत एक है और राष्ट्र पर होने वाले विदेशी हमले का हम सब मिलकर मुंहतोड़ जवाब देंगे।

हमारे लिए खानवा तीर्थ
भागवत ने कहा कि खानवा हमारे लिए तीर्थ है और इसकी मिट्टी देशभक्तों के लहू से सिंचित है, इसलिए पावन और पूजने योग्य है। हमारे जीवन में राणा सांगा स्मारक का महत्व और ऊंचाई बाबर की ओर से निर्मित बुलंद दरवाजे से कई गुना अधिक है। राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्रधिकरण अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने कहा कि राणा सांगा स्मारक केवल एक किलोमीटर की परिधि में निर्मित किया और इसमें भारत के उन सभी शूरवीरों की मूर्तियां लगाई गई हैं, जिन्होंने राणा सांगा के नेतृत्व में बाबर की सेना का मुकाबला किया।

"भेद करते हैं तो हार जाते हैं"
भागवत ने कहा कि भारत में करीब पौने सात लाख गांव हैं। सभी की बोली, रीति-रीवाज, रहन-सहन अलग-अलग हैं, लेकिन सभी भारत माता के पुत्र हैं। जब तक हम इसे याद रखते हैं, तब तक सुखी रहते हैं। जब हम जात-पांत का भेद करते हैं, तब हार जाते हैं। उन्होंने कहा, "क्या आप जात-पांत में पड़कर भारत छोड़ दोगे?"

आरएसएस राष्ट्रभक्ति वाला संगठन
संत बालकदास महाराज ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आतंकवाद नहीं, राष्ट्र भक्त संगठन है। पहले जो काम ऋषि-मुनि किया करते थे, वही कार्य आरएसएस के स्वयंसेवक करते हैं।

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