कौन दे रहा आतंकवाद को हथियार - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

मोदी ने सख्ती से उठाया आतंकवाद का मुद्दा, 

बोले-कौन दे रहा इन्हें हथियार?Posted on: September 04, 2016 

Updated on: September 05, 2016 



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हांगझोउ। भारत ने आज ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) के अन्य सदस्यों से आतंकवाद पर अंकुश के लिए सामूहिक प्रयासों को तेज करने का आह्वान किया। पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘आतंकवाद के समर्थकों और प्रायोजकों’ को अलग-थलग करने के लिए समूह द्वारा समन्वित कार्रवाई पर जोर दिया।

ब्रिक्स नेताओं की बैठक के दौरान चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए मोदी ने सख्त शब्दों में कहा कि दक्षिण एशिया या किसी अन्य क्षेत्र में आतंकवादियों के पास न तो बैंक है और न ही हथियारों का कारखाना है। इससे साफ पता चलता है कि कोई न कोई उनको पैसा और हथियार दे रहा है। मोदी ने कहा कि ब्रिक्स को आतंकवाद से लड़ने के लिए संयुक्त प्रयासों के लिए समन्वित कार्रवाई भी करनी चाहिए जिससे आतंकवाद के समर्थकों और प्रायोजकों को अलग-थलग किया जा सके।

हालांकि, उन्होंने चीन के नजदीकी सहयोगी पाकिस्तान का नाम नहीं लिया। प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय संवाद में ब्रिक्स को एक प्रभावशाली आवाज करार दिया है। उन्होंने आज कहा कि यह ब्रिक्स समूह की सामूहिक जिम्मेदारी है कि वह वैश्विक एजेंडा को आकार दे, जिससे विकासशील राष्ट्रों को अपने उद्देश्यों को हासिल करने में मदद मिल सके।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद अस्थिरता का प्रमुख स्रोत है और यह हमारे समाज और देशों के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा कि कट्टरपंथी विचारधारा का प्रचार इस खतरे का बढ़ता आयाम है।
मोदी ने ब्रिक्स नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि ब्रिक्स के रूप में हम अंतरराष्ट्रीय बातचीत या संवाद में एक प्रभावशाली आवाज हैं। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय एजेंडा को आकार देना हमारी साझा जिम्मेदारी है।

पूर्वी चीन के शहर में जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय एजेंडा को हमें साझा रूप से इस प्रकार से आकार देना चाहिए जिससे विकासशील राष्ट्रों को अपने उद्देश्यों को हासिल करने में मदद मिल सके।

ब्रिक्स में पांच प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। दुनिया की आबादी का 43 प्रतिशत इन देशों में रहता है। वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में इन देशों का हिस्सा 37 प्रतिशत का है। वैश्विक कारोबार में ब्रिक्स की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत की है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमें दायित्वपूर्ण, समावेशी और सामूहिक समाधान का निर्माण करने का विषय चुना है। जी-20 शिखर सम्मेलन में यह केंद्रीय प्राथमिकताओं में होंगे। इस बैठक में जिन चार अन्य नेताओं ने भाग लिया उनमें ब्राजील के राष्ट्रपति माइकल तेमेर, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और दक्षिणी अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा शामिल हैं।
मोदी ने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि अगले महीने हमारा शिखर सम्मेलन आपसी संबंधों को गहराई देने का अवसर ही नहीं होगा बल्कि हम भारत के बिम्सटेक के पड़ोसी देशों नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमा और थाइलैंड से भी बातचीत करेंगे, जिन्हें आउटरीच सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है। हम अगले महीने गोवा में आप सभी का स्वागत करते हैं।

साल 2006 में जी-आठ के सम्पर्क-विस्तार सम्मेलन के मौके पर अलग से रूस, भारत और चीन के नेताओं के बीच सेंट पीट्सबर्ग में बैठक के बाद ब्रिक की शुरआत हुई थी। न्यूयार्क में 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के मौके पर अलग से ब्रिक के विदेश मंत्रियों की औपचारिक बैठक के दौरान इस समूह को अंतिम रूप दिया गया।

पहला ब्रिक शिखर सम्मेलन 16 जून, 2009 को रूस के येकातेरिनबर्ग में हुआ। ब्रिक में सितंबर, 2010 को ब्रिक विदेश मंत्रियों की न्यूयार्क में हुई बैठक में दक्षिण अफ्रीका को शामिल किया गया। इससे यह समूह ब्रिक्स हो गया।

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