विश्व को वर्तमान विकट स्थिति से निकालने का कार्य हिन्दू संस्कृति ही कर सकती है – गुणवंत सिंह जी
जयपुर (विसंकें). हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउण्डेशन, जयपुर के तत्वावधान में अमरूदों के बाग जयपुर में लगभग एक लाख से अधिक लोगों ने एक साथ राष्ट्रगीत वन्देमातरम् का गायन करके रिकार्ड बनाया. इनमें देश भर से आये 504 कलाकारों ने 18 प्रकार के वाद्य यंत्रों के साथ मंच पर भगवा, श्वेत एवं हरे रंग के परिधानों में वाद्य कला का प्रदर्शन किया. पं. आलोक भट्ट के संगीत निर्देशन में पूरे 100 मिनट संगीतमय कार्यक्रम में श्रोता रस विभोर रहे. विक्रम हाज़रा और सौम्य ज्योतिघोष द्वारा बांसुरी पर संगत की गई तो शंख वादन जयकिशन और अश्विनी घोष द्वारा किया गया.
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे, विशिष्ठ अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख गुणवंत सिंह जी, विश्व विभाग के सह संयोजक रवि कुमार जी, संघ के अखिल भारतीय सह शारीरिक शिक्षण प्रमुख जगदीश जी, सह बौद्धिक प्रमुख मुकुंद जी, क्षेत्रीय प्रचारक दुर्गादास जी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे.
शंख वादन से प्रारम्भ हुए कार्यक्रम में सभी 504 कलाकारों और श्रोताओं द्वारा पूरा साथ निभाया गया. सर्वप्रथम गणेश वन्दना के बाद देशभक्ति गीत पर उपस्थित जनों ने तालियों से लय में लय मिलायी. तत्पश्चात विभिन्न देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति के बाद अन्त में एक साथ खड़े होकर राष्ट्रगीत वन्देमातरम् का सामूहिक गायन हुआ जो देश ही नहीं वरन् विश्व के इतिहास में शायद एक रिकार्ड है.
गुणवंत सिंह जी ने कहा कि डेढ़ सौ वर्ष पूर्व शिकागो में स्वामी विवेकानन्द ने मेरे भाईयों और बहनों के सम्बोधन से सम्बोधित किया था. पहली बार लोगों ने लेडीज एण्ड जेण्टलमैन के स्थान पर जब प्यारे भाईयो और बहनों सुना तो हिन्दू संस्कृति का तालियों से स्वागत हुआ. सन् 1905 में जब अंग्रेजों ने बंगाल विभाजन किया तो बंकिम चन्द्र चटर्जी द्वारा सन् 1876 में लिखित इस गीत (वंदे मातरम्) ने राष्ट्र भाव की ज्वाला पैदा की तो अंग्रेजों को बंगाल विभाजन के आदेश को वापस लेना पड़ा. तब से अब तक यह गीत देशवासियों में राष्ट्रभाव की अलख जगा रहा है. इस गीत का एक एक शब्द देश भक्ति से ओत-प्रोत है. उन्होंने कहा कि हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला आयोजित करने का उद्देश्य हिन्दू समाज की भिन्न-भिन्न संस्थाओं, व्यक्तियों, साधू संतों, मंदिर मठों द्वारा प्राणी मात्र हित में निःस्वार्थ भाव से जो सेवाएं दी जा रही हैं, उनका परिचय जन-जन को कराना है.
वर्तमान समय में पर्यावरण सुरक्षा का संकट है, नारी के प्रति सम्मान में कमी हुई है, मानवीय मूल्यों में कमी हुई है, जिन्हें दूर करने के लिये सारा विश्व भारत की ओर देख रहा है. हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला इन सब समस्याओं का समाधान देने का मंच हो सकता है. उन्होंने अरनाल टायनी, कॉफी अन्नान द्वारा कही गई बातों का उल्लेख करते हुए कहा कि वे चाहते हैं कि हिन्दू धर्म के अनुयायी ही बिना धर्म परिवर्तन कराये पूरे विश्व को मानवता का पाठ पढ़ायें. उन्हें विश्वास है कि विश्व जिस विकट स्थिति में है, उससे निकालने का कार्य हिन्दू ही कर सकते हैं. विश्व हमसे जो चाहता है, उसे हम आगामी 10-15 वर्षों में पूरा करने का संकल्प लें. भारत के परिवारों में रोटी बनाते समय पहली रोटी गाय की और दूसरी कुत्ते की बनाते हैं, जिससे सेवा भाव जगता है. सितम्बर 23 से 26 तक चलने वाले हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले में 205 सेवा संस्थाओं द्वारा सेवाओं का प्रकटीकरण किया जाएगा.
मुख्य अतिथि राज्य की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे जी ने सबका स्वागत करते हुए कहा कि आज के इस कार्यक्रम की गूंज पूरे देश में होगी. यह कार्यक्रम सब लोगों के लिये राष्ट्रभाव सीखने का है. कुछ दिनों पूर्व तिरंगा यात्रा कार्यक्रम हुआ. उसमें एक दो जगह दुर्घटनाएं हुई, जिन लोगों ने तिरंगा झण्डा अपने हाथ में ले रखा था, वे भी घायल हुए. किन्तु उन्होंने कहने के बाद भी अपने हाथ से यह कहते हुए झण्डा नहीं छोड़ा कि देश का जवान मरते दम तक राष्ट्रध्वज को नहीं छोड़ता तो थोड़ी सी चोट के कारण मैं क्यों छोडूं. वन्दे मातरम् जीवन का लक्ष्य है. हिन्दू एक रिलीजन नहीं है, यह जीवन जीने की पद्धति है. इस बात पर चिन्ता व्यक्त की कि आज लोग घर से बाहर निकल कर एक दूसरे को देख कर मुस्कराना ही भूल गये. उन्होंने आग्रह किया कि वन्दे मातरम् के साथ यह संकल्प भी लें कि हम एक दूसरे को प्यार से देखेंगे, सबसे प्यार से मिलेंगे, गले मिलना होगा गले मिलेंगे. उन्होंने प्रतिज्ञा करवाई.
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जयपुर में वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ 1 लाख लोगों ने गाया 'वन्दे मातरम्'
Samachar Jagat | Wednesday, 21 Sep 2016
जयपुर। देशभक्ति से लबरेज हजारों युवाओं ने मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की मौजूदगी में बुधवार को अमरूदों के बाग में राष्ट्र गीत वन्देमातरम् का गायन कर अपने जज्बे का इजहार किया। इस माहौल से अभिभूत मुख्यमंत्री ने मंच पर तिरंगा लहराकर देश के लिए मर मिटने का संदेश दिया। उनके साथ-साथ मंत्रिपरिषद के सदस्यों एवं अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी तिरंगा लहराया और भारत माता के जयकारे लगाए।
संगीतकार पण्डित आलोक भट्ट एवं विक्रम हाजरा के निर्देशन में देश के 11 राज्यों से आए 504 कलाकारों के समूह ने देश भक्ति गीतों की प्रस्तुतियां दी तो पूरा जनसमुदाय जोश से भर उठा और चहुंओर भारत माता के जयकारे गूंज उठे।
हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउण्डेशन की ओर से आयोजित इस वन्देमातरम् कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि देश को एकता के सूत्र में बांधने वाला ’वन्देमातरम्’ गीत हमारे रोम-रोम में बसा है। हम भारत माता के चरणों को चूमते हुए सभी 36 कौमों को साथ लेकर देश के लिए मर मिटेंगे।
राजे ने हाल ही में कश्मीर के उरी में शहीद हुए जवानों को नमन करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने जो दुस्साहस किया है उसे हम कभी नहीं भूलेंगे और इसका कड़ा जवाब देंगे। उन्होंने देश एवं प्रदेश को सर्वोपरि मानते हुए सभी को वृक्षों, नागदेवता, गौमाता, गंगामाता, धरती माता, शिक्षक, नारी शक्ति, माता-पिता तथा राष्ट्र नायकों के सम्मान, वन्दन एवं रक्षा की शपथ दिलाई।
इससे पहले कार्यक्रम के मार्गदर्शक श्री गुणवंत सिंह कोठारी ने बताया कि देश की युवा पीढ़ी को सेवा कार्यों से जोड़ने के लिए इस बार देश के 12 शहरों में वन्देमातरम् कार्यक्रम एवं सेवा मेला का भव्य आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने आयोजक संस्था द्वारा चलाये जा रहे सेवा प्रकल्पों की जानकारी दी।
कार्यक्रम से जुडे़ डॉ. सुभाष बापना, अनुराग अग्रवाल, अमित अग्रवाल, सोमकान्त शर्मा सहित आयोजन समिति के अन्य पदाधिकारियों ने अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर राज्य मंत्री परिषद के सदस्य, सांसद, विधायक, विभिन्न आयोगों एवं निगमों के अध्यक्ष, बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, अर्जुन पुरस्कार विजेता खिलाड़ी, 600 दिव्यांग बच्चे, कॉलेज एवं स्कूली छात्र-छात्राओं सहित गणमान्य नागरिक, वरिष्ठ पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे।
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