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आजाद भारत का पहला तिरंगा ध्वजारोहण : 30 दिसंबर 1943 अंडमान-निकोबार first tricolor hoisting on 30 December 1943

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- अरविन्द सिसौदिया 9414180151 भारत को पहली आजादी 1943 में ही मिल गई थी जिसका नेतृत्व आजाद हिन्द फौज के प्रमुख नेताजी सुभाषचन्द्र बोस कर रहे थे। उनकी अंतरिम सरकार को 9 देशों से मान्यता भी मिल गई थी। नेताजी ने सबसे पहले 30 दिसम्बर 1943 को स्वतंत्र भारत की अधिकृत सरकार की ओर से पहला ध्वजारोहण अंडमान निकोबार दीप समूह की भूमि पर , तिरंगा ध्वज फहरा कर किया था। आजाद हिन्द सरकार का मंत्रीमण्डल था, सेना थी , बैंक था, मुद्रा थी। इतिहास में हमें यह सच पढ़ाया नहीं जाता, बताया नहीं जाता कि 30 दिसम्बर 1943 को जो स्वतंत्रता की यात्रा अंडमान से चली थी । वही 15 अगस्त 1947 को पूर्णाहूती हमें स्वतंत्रता दिवस के रूप में परिलक्षित हुई।  आजाद भारत का पहला तिरंगा ध्वजारोहण  30 दिसंबर 1943 अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में। Independent India's first tricolor hoisting on 30 December 1943 in the Andaman and Nicobar Islands. 79 वीं वर्ष गांठ ( 30 दिसंबर 2022 ) आजाद भारत का पहला ध्वजारोहण : पहली बार नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने अंडमान निकोबार में किया था    29 दिसंबर 1943 नेताजी सुभाष चंद्र बोस अं...

आजादी नेताजी सुभाषचंद बोस की आजाद हिंद फौज के कारण

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18 अगस्त: उनके कथित शहादत  दिवस पर विशेष अरविन्द सीसौदिया ‘‘हमारा कार्य आरम्भ हो  चुका है।       ‘दिल्ली चलो’ के नारे के साथ हमें तब तक अपना श्रम और संघर्ष समाप्त नहीं करना चाहिए, जब तक कि दिल्ली में ‘वायसराय हाउस’ पर राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया जाता है और आजाद हिन्द फौज भारत की राजधानी के प्राचीन ‘लाल किले’ में विजय परेड़ नहीं निकाल लेती है।’’ ये महान स्वप्न, एक महान राष्ट्रभक्त स्वतंत्रतासेनानी नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का था, जो उन्होंने 25 अगस्त 1943 को आजाद हिन्द फौज के सुप्रीम कमाण्डर के नाते उन्होने अपने प्रथम संदेश में कहे थे। यह सही है कि नेताजी ने जो सोचा होगा, उस योजना से सब कुछ नहीं हो सका, क्योंकि नियति की योजना कुछ ओर थी। मगर यह आश्चर्यजनक है कि उस वायसराय भवन पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने और लाल किले पर भारतीय सेना की परेड़ निकालने का अवसर महज चार वर्ष बाद ही यथा 15 अगस्त 1947 को नेताजी की ही आजाद हिन्द फौज की गिरफ्तारी के कारण उत्पन्न हुए ,सैन्य विद्रोह और राष्ट्र जागरण के कारण ही मिल गया और आज हम आजाद हैं....। यद्यपि नेताजी हमारे बीच नह...