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हिन्दुन्व की जय जनचेतना की महाक्रांति : गोस्वामी तुलसीदास

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तुलसी जयंती एवं पुण्य तिथि पर विशेष: श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी  - अरविन्द सीसौदिया चन्दन है इस देश कि माटी, तपोभूमि हर ग्राम है । हर बाला देवी कि प्रतिमा, बच्चा बच्चा राम है । इन पंक्तियों को किसी ने वास्तव में अपने कर्म - कौशल से सिद्ध किया है तो उस महान राष्ट्रभक्त का नाम पूज्य श्रीगोस्वामी तुलसीदास जी है, श्रीरामचरित मानस वह ग्रंथ जिसने, मुगलों के आततायी हिंसक साम्राज्य में अपने अस्तित्व की लडाई लड़ रहे हिन्दुओं में नये विश्वास और नई ऊर्जा का संचार किया था, वह मौन धर्म क्रांति जो कलम से लिखी गई, सहास व आत्मोत्थान की अखण्ड ज्योती थी, जो सम्पूर्ण विश्व को आज भी प्रकाशमान किए हुये है। जिसनें हिन्दुत्व को नई तेजस्विता प्रदान की। करोडों-करोड योद्धाओं जैसा काम उन्होने अकेले अपने बलवूते पर कर दिखाया। विश्व साहित्य में गोस्वामी तुलसीदास की विशिष्ट पहचान,एक जनचेतना और लोक शिक्षण के महान कवि के रूप में है। उनके समकक्षता की बात तो बहुत दूर की है, कहीं कोई अन्य नजर ही नहीं आता। जब-जब होई धर्म की हानी,बाढ़ैं पाप असुर अभिमानी। तब तब प्रभु धरि सरीरा, हरां ह...

हनुमान चालीसा hanuman chalisaa की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने जेल में की थी

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  हनुमान चालीसा की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने जेल में की थी हनुमान चालीसा की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी और इसकी रचना किसी आश्रम में या दरबार में नहीं की गई थी. हनुमान चालीसा की रचना मुगल शासक अकबर की जेल में हुई थी. आप शायद ही जानते होंगे कि हनुमान चालीसा जेल में लिखी गई थी... * हनुमान चालीसा कब लिखा गया क्या आप जानते हैं। नहीं तो जानिये, शायद कुछ ही लोगों को यह पता होगा?* *पवनपुत्र हनुमान जी की आराधना तो सभी लोग करते हैं और हनुमान चालीसा का पाठ भी करते हैं, पर यह कब लिखा गया, इसकी उत्पत्ति कहाँ और कैसे हुई यह जानकारी बहुत ही कम लोगों को होगी।* *बात 1600 ईस्वी  की है यह काल अकबर और तुलसीदास जी के समय का काल था।* *एक बार तुलसीदास जी मथुरा जा रहे थे, रात होने से पहले उन्होंने अपना पड़ाव आगरा में डाला, लोगों को पता लगा कि तुलसीदास जी आगरा में पधारे हैं। यह सुन कर उनके दर्शनों के लिए लोगों का ताँता लग गया। जब यह बात बादशाह अकबर को पता लगी तो उन्होंने बीरबल से पूछा कि यह तुलसीदास कौन हैं।* *तब बीरबल ने बताया, इन्होंने ही रामचरित मानस का अनुवाद किया है, यह रामभक्त तुलसीदास...