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भारत तिब्बत सहयोग मंच के तत्वाधान में 14 वीं तवांग तीर्थयात्रा 19 से 25 नवंबर तक आयोजित होगी - पंकज गोयल

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भारत तिब्बत सहयोग मंच के तत्वाधान में 14 वीं तवांग तीर्थयात्रा 19 से 25 नवंबर तक आयोजित होगी - पंकज गोयल  भारत तिब्बत सहयोग मंच के तत्वाधान में 14 वीं तवांग तीर्थयात्रा 19 से 25 नवंबर तक आयोजित होगी - गोयल  कोटा / नई दिल्ली 18 अगस्त। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं भारत तिब्बत सहयोग मंच के मार्गदर्शक माननीय डॉ. इन्द्रेश कुमार जी के मार्गदर्शन में अरुणाचल के चीन बार्डर तक पहुंचने वाली "14वीं तवांग तीर्थंयात्रा " 19 से 25 नबंवर तक मंच के राष्ट्रीय महामंत्री पंकज गोयल के संयोजन में आयोजित होगी।  मंच के चित्तौड़ प्रान्त महामंत्री अरविन्द सिसोदिया नें बताया कि " मंच के कार्यक्रमों की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम अरुणाचल प्रदेश बॉर्डर स्थित बौद्ध पंथ के प्रमुख तीर्थ तवांग की मंच के कार्यकर्ताओं द्वारा प्रतिवर्ष  " तवांग तीर्थ-यात्रा " करना है, इस यात्रा को मंच के मार्गदर्शक  माननीय डॉ. इन्द्रेश कुमार जी ने वर्ष 2012 में प्रारम्भ किया था|, अभी तक 13 यात्राएँ हो चुकीं हैँ और इस वर्ष  19 से 25 नवम्बर तक 14 वीं तवांग यात्रा आयोजित होगी...

कैलाश मानसरोवर के बिना भारत अधूरा है - इन्द्रेश कुमार

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प्रभु श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा, सृष्टि का सबसे बड़ा उत्सव - इंद्रेश कुमार कैलाश मानसरोवर के बिना भारत अधूरा है - इन्द्रेश कुमार कोटा 6 फरवरी। भारत तिब्बत सहयोग मंच की तृतीय अखिल भारतीय आनलाईन बैठक सोमवार की रात्री में सम्पन्न हुईं। बैठक के मुख्यवक्ता संघ के प्रचारक एवं मंच के संरक्षक इन्द्रेश कुमारजी रहे , बैठक का संचालन मंच के अखिल भारतीय महामंत्री पंकज गोयल नें किया और इस बैठक में मंच के अखिल भारतीय अधिकारीगण, क्षेत्रीय एवं प्रांतीय पदाधिकारी , विभाग एवं प्रकोष्ठ के दायित्ववान कार्यकर्ता जुड़े। इसमें राजस्थान के चित्तौड़ प्रान्त प्रचार प्रमुख अरविन्द सिसोदिया नें भाग लिया। सिसोदिया नें बताया कि मुख्यवक्ता और मंच के संरक्षक इन्द्रेश कुमार नें अपने संबोधन में " प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि पर रामलला की प्राणप्रतिष्ठा उत्सव को वर्तमान सृष्टि का सबसे बड़ा एवं भव्य उत्सव बताया, कैलाश मानसरोवर के बिना भारत अधूरा है, इसे चीन से मुक्त करवाना है, संघ के सौ वर्ष पूर्ण होनें के कार्यक्रमों में और मंच के 25 वे वर्ष पर आयोजित कार्यक्रमों को सम्पन्न करने में समर्पण भाव से जुट जाने...

तिब्बत : हिमालय में चीन की सामरिक नीति का आधार BTSM

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  तिब्बत : हिमालय में चीन की सामरिक नीति का आधार जयदेव रानाडे /  5 दिसंबर 2023   साभार  Link...... तिब्बत : हिमालय में चीन की सामरिक नीति का आधार चीन संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र में अपनी रणनीतिक नीति के लिए तिब्बत को आधार के रूप में स्थापित कर रहा है, जिससे भारत पर सीधा और प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि बीजिंग ने यह आकलन कर लिया है कि उसने तिब्बत को विदेशी देशों के साथ बातचीत के लिए व्यापक रूप से खोलने में पर्याप्त रूप से सुरक्षित महसूस करने के लिए तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) को पर्याप्त रूप से शांत कर लिया है। चीन की विदेश नीति के उद्देश्यों का उद्देश्य क्षेत्र के हिमालयी राज्यों, जो भारत की उत्तरी परिधि पर हैं, को चीन-प्रभुत्व वाले समूह में शामिल करना है। हालाँकि इसे पारिस्थितिकी और पर्यावरण के संरक्षण की आड़ में लपेटा जाएगा, लेकिन मुख्य उद्देश्य बीजिंग के रणनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाना होगा। टीएआर में हाल की दो घटनाओं और टीएआर पार्टी सचिव की इस महीने की शुरुआत में नेपाल, श्रीलंका और सिंगापुर की यात्रा को इस पृष्ठभूमि में देखने की जरूरत है। ...

विश्व,तिब्बत को अलग देश के रूप में दिखाए - अरविन्द सिसोदिया

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विश्व , तिब्बत को अलग देश के रूप में दिखाए - अरविन्द सिसोदिया चीन लगातार खुराफात पर खुराफात करता जा रहा है, उसकी यह आदत 1950 से लेकर, अभी तक लगातार चल रही है। 2014 में भी जब राष्ट्रपति महोदय अरुणाचल प्रदेश जाना चाहते थे तभ भी चीन ने खुराफात की थी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अरुणाचल प्रदेश जाना चाहते थे, तब भी चीन ने नौटंकी की थी। चीन छल कपट और झूठ के बल पर आस पास के तमाम देशों पर कब्जा करने में कामयाब रहा है। उसका कोई कड़ा प्रतिरोध नहीं हुआ, इस कारण उसके होंसले बड़े हुए हैं, उसे भारत में बैकअप देनें राजनैतिक दलों सहित अनेकों प्रकार की संस्थाओं का लाभ भी प्राप्त होता है। चीन के द्वारा दबाव और न्यूसेंस की नीति लंबे समय से है। यह उसकी आदत में है। उसके न्यूसेंस में फंसे बगैर भारत दृढ़ता पूर्वक उसको लगातार जवाब दे रहा है। वर्तमान में चीन ने जो नया नक्सा जारी किया है उसमें एक दर्जन से ज्यादा देशों और क्षेत्रो पर विवाद उत्पन्न किया है, जिसका विश्व स्तर पर विरोध हो रहा है। भारत नें भी विरोध किया है। यूँ तो कब्जा सच्चा नक्सा झूठा का सिद्धांत ही काम करता है, अरुण...