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भारत की आध्यात्मिक विश्व विजय :11 सितम्बर 1893 शिकागो विश्व सर्वपंथ सभा Swami Vivekananda,

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  - अरविन्द सिसौदिया 9414180151 स्वामी विवेकानंद जी भारत के पहले सन्यासी है। जिन्होने 11 सितंबर 1893 को विश्व धर्म संसद में,वर्तमान सम्पूर्ण विश्व को सबसे पहले विराट हिन्दुत्व के दिग्दर्शन बहुत ही कम शब्दों में उनकी ही भाषा में ही करवाये। आपका अग्रेजी पर बहुत अच्छी पकड़ थी। वास्तविक तौर पर आज ही के दिन से भारतीय आध्यात्म की विश्वविजयी यात्रा प्रारम्भ हुई थी। हम सभी इसे स्मरण करके गौरवान्वित है। इस मार्ग को और आगे ले जाने के लिये विश्व की विविध भाषाओं में हिन्दुत्व के लिये काम करने की जरूरत है।      शिकागो धर्म संसद में दिए स्वामी विवेकानंद के इस भाषण का हिन्दी अनुवाद भी मैं नीचे दे रहा हूँ।    अमेरिका की बहनों और भाइयो !     आपने हमारा जैसा हार्दिक और स्नेहपूर्ण स्वागत किया है, उसके लिए आभार व्यक्त करने के लिए जब मैं यहां खड़ा हुआ हूं तो मेरा मन एक अकथनीय आनंद से भरा हुआ है.     मैं विश्व की सबसे प्राचीन संन्यासियों की पंरपरा की ओर से आपको धन्यवाद देता हूं ; मैं आपको धर्मो की जननी की ओर से धन्यवाद देता हूं और मैं सभी वर्ग...

स्वामी विवेकानन्द : प्रेरक प्रसंग Swami Vivekananda motivational incident

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National Youth Day 2022: स्वामी विवेकानंद की जयंती पर मनाया जाता है राष्ट्रीय युवा दिवस, राष्ट्रीय युवा दिवस भारत के उन युवाओं व नौजवानों को समर्पित एक खास दिन है, जो देश के भविष्य को बेहतर और स्वस्थ बनाने का क्षमता रखते हैं।         स्वामी विवेकानंद के ये 8 अनमोल विचार जीवन से दूर कर सकते हैं निराशा   भारतीय संस्कृति युगप्रर्वतक महान प्रवक्ता स्वामी विवेकानंद जी का 12 जनवरी जन्मदिन हैं। उनके विचार आज पहले से भी ज्यादा प्रासांगिक हैं. उनके विचार किसी भी व्यक्ति की निराशा को दूर कर उसमें आशा एवं विश्वास का संचार करते है। प्रस्तुत हैं स्वामी जी के कुछ ऐसे ही विचार ... 1- उठो और जागो और तब तक रुको नहीं जब तक कि तुम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते. 2- एक नायक की तरह जिएं. हमेशा कहें मुझे कोई डर नहीं, सबको यही कहें कोई डर नहीं रखो 3-आप जो भी सोचेंगे. आप वही हो जाएंगे. अगर आप खुद को कमजोर सोचेंगे तो आप कमजोर बन जाएंगे. अगर आप सोचेंगे की आप शक्तिशाली हैं तो आप शाक्तिशाली बन जाएंगे. 4-एक विचार चुनिए और उस विचार को अपना जीवन बना लिजिए. उस विच...

राष्ट्र चेतना के कीर्ति पुरुष - स्वामी विवेकानन्द Swami Vivekananda,

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  राष्ट्र चेतना के कीर्ति पुरुष - स्वामी विवेकानन्द भारतीय दर्शन एवं अध्यात्म के प्रखर प्रवक्ता और मीमांसाकार, मानवता के ओजस्वी प्रणेता, विश्व में सनातन चेतना का साकार स्वरूप स्वामी विवेकानंद जी थे। जिनकी वाणी में तेज, हृदय में जिज्ञासाओं का महासागर, स्वस्फूर्त स्पष्टताओं से भरी प्रेरणाशैली, सुसुप्त को भी पुनः जागृत कर देने वाली संजीवनी सा प्रभाव, उनकी विशिष्टता थी। स्वामीजी की आध्यात्मिक चेतना और वैचारिक प्रेरणाओं के अमृत घट से भारत ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण विश्व ने मानव कल्याण के लिये बहुत कुछ पाया है। हम उनके कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर विचार करते हैं। स्वामीजी ने देश व दुनिया के दिग्भ्रमित लोगों को नवजीवन, नई सोच, नई दिशा दी। वे स्वयं तेजस्वी जीवन के धनी, गौरवशाली ज्ञान गरिमा के प्रतीक और प्रेरक, युवा युगपुरुष थे। उन्होंने भारत की रग-रग में स्वाभिमान व राष्ट्र-चेतना का संचार किया। समाज सुधारक, राष्ट्र चेतना के उन्नायक अध्येता-ज्ञाता-कीर्ति पुरुष स्वामी विवेकानंद के व्यक्तित्व व ज्ञान आभा से देश ही नहीं, सारा संसार आलोकित हुआ। इसी कारण स्वामी विवेकानन्द जी के उपदेश आज भी महत्वपूर्ण...

स्वामी विवेकानंद और राष्ट्रवाद Swami Vivekananda and Nationalism

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स्वामी विवेकानंद और राष्ट्रवाद Swami Vivekananda and Nationalism विवेकानंद का राष्ट्रवाद डॉ अ कीर्ति वर्धन यह आलेख इस साइट से आभार सहित जनहित में लिया गया है ।   "राष्ट्रीयता का आधार धर्म व संस्कृति होता है |" लगभग १२० वर्ष पूर्व का स्वामी विवेकानंद का यह चिंतन आज विश्व व्यापी परिलक्षित होता दिख रहा है | 9 /11 /2001 की घटना के बाद अमेरिका के रणनीति विशेषज्ञ सेम्युएल हेन्तिन्ग्त्न ( semual hantingtan) ने पिछले 25 -30 वर्षों की खोज के बाद कहा " हम कौन हैं ?" और इसके निष्कर्ष में बताया "अमेरिका में भले ही विश्व के लगभग सभी समुदायों के लोग बसते हैं किन्तु अमेरिका की मौलिक पहचान श्वेत(wasp -white ), आंग्ल -सैक्शन(anglo -saxon ) ,प्रोतेस्तंत (protestant ) ही हैं | बाकी सभी समुदाय इसमें शामिल हैं | हाल ही में क्रिश्मस के अवसर पर ऑक्सफोर्ड में बोलते हुए ब्रिटिश प्रधान मंत्री ने घोषणा की " ब्रिटेन एक ईसाई राष्ट्र है और इसे कहने में किसी को संकोच अथवा भय की आवश्यकता नहीं |" स्वामी विवेकानंद का चिंतन 120 वर्ष बाद सत्य सिद्ध हो रहा है | उन्होने कहा था ...