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हनुमान प्रसाद पोद्दार, राष्ट्रकवि प्रदीप, रामानन्द सागर और बी आर चोपडा को भारत रत्न मिलना चाहिये - अरविन्द सिसौदिया Bharat Ratn

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  हनुमान प्रसाद पोद्दार,राष्ट्रकवि पण्डित प्रदीप, रामानन्द सागर और बी आर चोपडा को भारत रत्न मिलना चाहिये - अरविन्द सिसौदिया जब हिन्दू देवी देवताओं के नग्न चित्र बनानें वाले मकबूल फ़िदा हुसैन को पदम विभूषण पदम भूषण और पदमश्री पुरस्कार दिया जा सकता है तो इन्हे भारत रत्न दिया जाना चाहिये।  कई बार मुझे लगता है , कि भारत रत्नों की सूची में  1_...हनुमान प्रसाद पोद्दार जिन्होने गीता प्रेस गोरखपुर की स्थापना करके सनातन धर्म की रक्षा और विचसारों का प्रचार प्रसार कर महती कार्य किया है। उन्हे भारत रत्न पुरस्कार दिया जाना चाहिये।    2_ ...ए मेरे वतन के लोगों , गीत की रचना करने वाले राष्ट्रवादी कवि पंण्डित प्रदीप,  3_रामायण सीरियल के निर्माता रामानंद सागर एवं  4_महाभारत सीरियल के निर्माता बी आर चोपडा का नाम भी होना चाहिये।  वन्दे मातरम के लिये बंकिम चन्द्र चटटोपाध्याय एवं जन गन मन के लिये रविन्द्र नाथ टैगोर को भी सम्मिलित किया जाना चाहिये।  यदि भारत रत्न में बाधा है तो भारत गौरव के नाम से नया सम्मान स्थापित करना चाहिये और वह इस तरह के महान कार्यों को करने ...

गीताप्रेस और कल्याण मासिक के संस्थापक हिन्दुत्व शिरोमणी हनुमान प्रसाद पोद्दार (भाई जी) Hanuman Prasad Poddar

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  सनातन साहित्य अर्थात हिन्दुत्व के ज्ञान को सरल भाषा और अत्यंत कम मूल्य पर हिन्दू समाज के घर घर में पहुंचानें वाले हिन्दुत्व शिरोमणी हनुमान प्रसाद जी पोद्दार का नाम स्मरण करना ही हजार यज्ञों के पुण्य के बराबर है। उनके कार्यों का अनुगमन करना करोडों यज्ञों के पुण्य के समान है। इस तरह के महान धर्म पुरूष ईश्वर की योजना से ही पृथ्वी पर अवतरित होते है। उन्हे 22 मार्च पुण्यतिथि पर कोटि कोटि नमन । विश्व इतिहास में भारत सदा ऋषियों, मुनियों आचार्यों, योगियों और संतों की तपोभूमि रहा है। आत्म रूपी सूर्य की रश्मियों के नित्य रमण करने वाले स्वानुभूति में प्रतिष्ठित संतों-महात्माओं ने ही इस राष्ट्र को गौरव प्रदान किया है।  आत्मानुसंधान, आत्म संयम और आत्मानुभूति से प्रेरित एवं प्रकाशित जीवन भारतीय संस्कृति की अमूल्य देन है। पोद्दारजी का विशाल वाङ्मय उनके अनुभव रत्नों का अक्षय भंडार है। उनकी साहित्य रचना का उद्देश्य इन अमूल्य रत्नों की अटल गहाराई से बाहर निकालकर जीवन तट पर बिखेरना रहा है, जिससे ये रत्न जन सामान्य को सुलभ हो सके।  व्यवहार और परमार्थ दोनों क्षेत्रों में इस महामानव की पैठ क...