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आजादी नेताजी सुभाषचंद बोस की आजाद हिंद फौज के कारण

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18 अगस्त: उनके कथित शहादत  दिवस पर विशेष अरविन्द सीसौदिया ‘‘हमारा कार्य आरम्भ हो  चुका है।       ‘दिल्ली चलो’ के नारे के साथ हमें तब तक अपना श्रम और संघर्ष समाप्त नहीं करना चाहिए, जब तक कि दिल्ली में ‘वायसराय हाउस’ पर राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया जाता है और आजाद हिन्द फौज भारत की राजधानी के प्राचीन ‘लाल किले’ में विजय परेड़ नहीं निकाल लेती है।’’ ये महान स्वप्न, एक महान राष्ट्रभक्त स्वतंत्रतासेनानी नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का था, जो उन्होंने 25 अगस्त 1943 को आजाद हिन्द फौज के सुप्रीम कमाण्डर के नाते उन्होने अपने प्रथम संदेश में कहे थे। यह सही है कि नेताजी ने जो सोचा होगा, उस योजना से सब कुछ नहीं हो सका, क्योंकि नियति की योजना कुछ ओर थी। मगर यह आश्चर्यजनक है कि उस वायसराय भवन पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने और लाल किले पर भारतीय सेना की परेड़ निकालने का अवसर महज चार वर्ष बाद ही यथा 15 अगस्त 1947 को नेताजी की ही आजाद हिन्द फौज की गिरफ्तारी के कारण उत्पन्न हुए ,सैन्य विद्रोह और राष्ट्र जागरण के कारण ही मिल गया और आज हम आजाद हैं....। यद्यपि नेताजी हमारे बीच नह...

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, मास्को जेल में..?

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                                    Netaji in Moscow jail   खे लेने दो नाव आज माँ, कल पतवार रहे न रहे .. जीवन सरिता की नदियों में, फिर ये धार बहे न बहे .. जीवन पुष्प चढ़ा चरणों पर, मांगे मातृभूमि से यह वर .. तेरा वैभव सदा रहे माँ, हम दिन चार रहे न रहे ....   सही तथ्य सामने आने चाहिए ,नेताजी के साथ मास्को जेल में क्या हुआ था   - अरविन्द सीसोदिया       राजस्थान के कोटा जिले में आयोजित प्रबुद्ध जन सम्मलेन को संबोधित करते हुए ; राष्ट्रिय स्वयसेवक सघ के पूर्व सरसंघ चालक कु. सी. सुदर्शन जी ने अपने संबोधन में एक रहस्य उजागर किया क़ी , नेताजी सुभाषचन्द्र बोस  का निधन हवाई दुर्घटना में नहीं हुआ था.., बल्कि वे १९४९ तक जीवित थे और उनसे मास्को जेल में विजयलक्ष्मी पंडित और सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भेंट की थी.....!  वे (  विजयलक्ष्मी पंडित  ) एक जगह यह रहस्य उजागर भी करने वाली थी.., मगर जवाहरलाल नेहरु ने उन्हें रोक दिया...!! सुदर्शन जी का कहना था क...