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हल्दिघाटी : एक दिन एक स्थान तीन पीढ़ियों का बलिदान, धन्य है ग्वालियर के राजा रामशाह तोमरHaldighati

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 "तीन पीढियों का बलिदान"........    हल्दिघाटी : एक दिन एक स्थान तीन पीढ़ियों का बलिदान, धन्य है ग्वालियर के राजा रामशाह तोमर Haldighati: One day at one place the sacrifice of three generations, blessed is Raja Ramshah Tomar of Gwalior   विश्व के इतिहास में वीरता और बलिदानों की एक से बढ़ कर एक गौरव गाथा विद्यमान हैं किन्तु एक ही युद्ध में एक ही दिन एक ही स्थान पर एक ही परिवार की तीन पीढियां एक साथ वीरगति को प्राप्त हुई हों ऐसा उदाहरण विश्वभर में मात्र वीर प्रसविनी मेवाड़ धरा पर ही मिलता है। मित्रों! भारत के विभिन्न प्रान्तों में बसे तोमर या तँवर राजपूत महाभारत के नायक अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु के वंशज हैं। इसी वंश के राजा अनंगपाल (प्रथम)ने दिल्ली को बसाया, इन्हीं के द्वारा निर्माण करवाये गये 'लाल कोट' नामक स्थान को आज हम दिल्ली के लाल किले के नाम से जानते हैं। 1192 ई.में राजा अनंगपाल द्वितीय के समय तोमर साम्राज्य का पतन हो गया। सन् 1375 में अनंगपाल द्वितीय की पाँचवीं पीढ़ी के वीरसिंह देव ने ग्वालियर में तोमर राजवंश की स्थापना की।वीरसिंह के बाद ग्वालियर का छठा तोमर राजा विक...

पराक्रमी महाराणा प्रताप Mighty Maharana Pratap

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महाराणा प्रताप Maharana Pratap महाराणा प्रताप वीर विनोद के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ला 13 संवत 1596 विक्रम अर्थात 31 मई 1539 है । नैनसी के अनुसार  4 मई 1540 और कर्नल टाड  के अनुसार 9 मई 1549 है ...... (जन्म- 9 मई, 1540, राजस्थान, कुम्भलगढ़; मृत्यु- 19 जनवरी, 1597) उदयपुर, मेवाड़ में शिशोदिया राजवंश के राजा थे। वह तिथि धन्य है, जब मेवाड़ की शौर्य-भूमि पर मेवाड़-मुकुट मणि प्रताप का जन्म हुआ। उनका नाम इतिहास में वीरता और दृढ प्रण के लिये अमर है। जीवन परिचय राजस्थान के कुम्भलगढ़ में प्रताप का जन्म महाराणा उदयसिंह एवं माता राणी जीवत कँवर (  जैवंता  बाई    ) के घर हुआ था। बप्पा रावल के कुल की अक्षुण्ण कीर्ति की उज्ज्वल पताका, राजपूती आन एवं शौर्य का वह पुण्य प्रतीक, राणा साँगा का वह पावन पौत्र जब (वि. सं. 1628 फाल्गुन शुक्ल 15) तारीख 1 मार्च सन् 1573 को सिंहासनासीन हुआ। शौर्य की मूर्ति प्रताप एकाकी थे। अपनी प्रजा के साथ और एकाकी ही उन्होंने जो धर्म एवं...