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हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा जीते थे अकबर हारा था HaldiGhati Yudhh

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हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा जीते थे अकबर हारा था कांग्रेस और उसके अनेकों मुस्लिम शिक्षा मंत्रियों नें देश का सच्चा इतिहास भारत की युवा पीढ़ी के सामनें आनें ही नहीं दिया। बल्कि मुगल महिमा मंडन किया गया । जिससे कामुक व्याभिचारी अकबर तो महान पढ़ाया और अंतिम सांस तक अकबर से अजेय रहा महाराणा प्रताप को चार लाईनों में समेटा गया।  1- हल्दीघाटी के युद्ध में मुगल जीते नहीं बल्कि हार थक कर बिना विजय के वापस गये थे।  2- राजपूत पीठ नहीं दिखाता और धोखे से बार नहीं करता, इसलिये बलिदान राजपूतों का ज्यादा हुआ था।  3- हल्दीघाटी क्षैत्र के युद्ध के उपरांत एक वर्ष की अवधी में गांवों के पट्टे बताते हैं कि महाराणा प्रताप ने पटटे जारी किये, इसका अर्थ है कि महाराणा प्रताप का कब्जा हल्दीघाटी और उसके पास लगातार बना रहा। ये पट्टे ताम्रपत्र पर होते थे। जिन पर एकलिंग के दीवान के नाते महाराणा प्रताप के दस्तखत हैं। 4- युद्ध के उपरांत  मुगल सम्राट अकबर नाराज हुआ और हल्दीघाटी युद्ध के देनों सेनापती राजा मानसिंह व आसिफ खां को दरबार में नहीं आने की सजा दी गई। इसे दरबार निकाला कहा जाता है। 5- हल्दीघाटी ...

महाराणा प्रताप के पराक्रम feat of maharana pratap

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महाराणा  प्रताप ( जन्म दिवस 09 मई 1540 ) /   ( बलिदान दिवस 19 जनवरी)     महाराणा  प्रताप के पराक्रम से अकबर भी घबराता था. इसलिए युद्ध को टालने और अधीनता स्वीकार कराने के लिए अकबर ने 6 बार अपने दूत और मुग़लों के अधीन मेवाड़ का सिंहासन चलाने की पेशकश की लेकिन महाराणा प्रताप ने इसे हर बार मानने से इन्कार कर दिया.                     महाराणा प्रताप बेहद बलशाली और युद्ध-कौशल में निपुण थे. उनके रण-भूमि में आते ही दुश्मनों में भय का माहौल बन जाता था. युद्ध में वे अपने चहेते घोड़े चेतक पर सवार होकर जाते थे.                  यूँ तो महाराणा के अदम्य साहस, वीरता के अनेक किस्से हैं लेकिन कुछ बातों की जानकारी इस प्रकार है.-                                             *महाराणा प्रताप के युद्ध हथियार* 1. महाराणा प्रताप युद्ध के वक्त हमेशा एक भाला अपने साथ रखते थे, जिसका...

पराक्रमी महाराणा प्रताप Mighty Maharana Pratap

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महाराणा प्रताप Maharana Pratap महाराणा प्रताप वीर विनोद के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ला 13 संवत 1596 विक्रम अर्थात 31 मई 1539 है । नैनसी के अनुसार  4 मई 1540 और कर्नल टाड  के अनुसार 9 मई 1549 है ...... (जन्म- 9 मई, 1540, राजस्थान, कुम्भलगढ़; मृत्यु- 19 जनवरी, 1597) उदयपुर, मेवाड़ में शिशोदिया राजवंश के राजा थे। वह तिथि धन्य है, जब मेवाड़ की शौर्य-भूमि पर मेवाड़-मुकुट मणि प्रताप का जन्म हुआ। उनका नाम इतिहास में वीरता और दृढ प्रण के लिये अमर है। जीवन परिचय राजस्थान के कुम्भलगढ़ में प्रताप का जन्म महाराणा उदयसिंह एवं माता राणी जीवत कँवर (  जैवंता  बाई    ) के घर हुआ था। बप्पा रावल के कुल की अक्षुण्ण कीर्ति की उज्ज्वल पताका, राजपूती आन एवं शौर्य का वह पुण्य प्रतीक, राणा साँगा का वह पावन पौत्र जब (वि. सं. 1628 फाल्गुन शुक्ल 15) तारीख 1 मार्च सन् 1573 को सिंहासनासीन हुआ। शौर्य की मूर्ति प्रताप एकाकी थे। अपनी प्रजा के साथ और एकाकी ही उन्होंने जो धर्म एवं...