महाराणा प्रताप के पराक्रम feat of maharana pratap

महाराणा प्रताप

( जन्म दिवस 09 मई 1540 ) /  (बलिदान दिवस 19 जनवरी)
 
 महाराणा प्रताप के पराक्रम से अकबर भी घबराता था. इसलिए युद्ध को टालने और अधीनता स्वीकार कराने के लिए अकबर ने 6 बार अपने दूत और मुग़लों के अधीन मेवाड़ का सिंहासन चलाने की पेशकश की लेकिन महाराणा प्रताप ने इसे हर बार मानने से इन्कार कर दिया.
                    महाराणा प्रताप बेहद बलशाली और युद्ध-कौशल में निपुण थे. उनके रण-भूमि में आते ही दुश्मनों में भय का माहौल बन जाता था. युद्ध में वे अपने चहेते घोड़े चेतक पर सवार होकर जाते थे.
                 यूँ तो महाराणा के अदम्य साहस, वीरता के अनेक किस्से हैं लेकिन कुछ बातों की जानकारी इस प्रकार है.-
 
                                          *महाराणा प्रताप के युद्ध हथियार*
1. महाराणा प्रताप युद्ध के वक्त हमेशा एक भाला अपने साथ रखते थे, जिसका वजन 81 किलो था. वह इस भाले को एक हाथ से नजाते हुए दुश्मन पर टूट पड़ते थे.
2. युद्ध के वक्त महाराणा प्रताप 72 किलो का कवच पहनते थे.
3. इतिहासकारों के अनुसार महाराणा प्रताप के भाले, कवच, ढाल और दो तलवारों का वजन कुल मिलाकर 208 किलोग्राम होता था.
4. महाराणा प्रताप के हथियार इतिहास के सबसे भारी युद्ध हथियारों में शामिल हैं.
5. महाराणा प्रताप अपने एक वार से ही घोड़े के दो टुकड़े कर देते थे.
 
               *महाराणा प्रतापः परिचय व परिवार*
1. महाराणा प्रताप का जन्म 09 मई 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ था.
2. महाराणा प्रताप ने राजनैतिक कारणों से कुल 11 शादियां की थीं.
3. महाराणा प्रताप के कुल 17 बेटे और 05 बेटियां थीं.
4. महारानी अजाब्दे से पैदा हुए पुत्र अमर सिंह को महाराणा प्रताप का उत्तराधिकारी बनाया गया था.
5. अमर सिंह भी अपने पिता महाराणा प्रताप की तरह बहुत बहादुर और पारक्रमी थे.
6. इतिहासकारों के अनुसार हल्दी घाटी युद्ध के वक्त अमर सिंह की आयु 17 वर्ष थी.
7. मेवाड़ की रक्षा करते हुए महाराणा प्रताप की 19 जनवरी 1597 को मृत्यु हुई थी.
8. अकबर जानता था कि धरती पर महाराणा प्रताप जैसा कोई दूसरा वीर नहीं है.
 
               *महाराणा प्रताप के 10 वाक्य*-
1. समय इतना ताकतवर होता है कि एक राजा को भी घास की रोटी खिला सकता है.
2. मनुष्य का गौरव व आत्म सम्मान उसकी सबसे बड़ी कमाई होती है. इसलिए इनकी सदैव रक्षा करनी चाहिए.
3. अपने व अपने परिवार के साथ जो अपने राष्ट्र के बारे में भी सोचते हैं, वही सच्चे नागरिक होते हैं.
4. तब तक परिश्रम करो, जब तक तुम्हे तुम्हारी मंजिल न मिल जाए.
5. अन्याय व अधर्म आदि का विनाश करना पूरी मानव जाति का कर्तव्य है.
6. जो अत्यंत विकट परिस्थिति में भी हार नहीं मानते हैं, वो हार कर भी जीत जाते हैं.
7. जो सुख में अतिप्रसन्न और विपत्ति में डर कर झुक जाते हैं, उन्हें न तो सफलता मिलती है और न ही इतिहास उन्हें याद रखता है.
8. अगर सांप से प्रेम करोगे तो भी वह अपने स्वभाव अनुरूप कभी न कभी डसेगा ही.
9. शासक का पहला कर्तव्य अपने राज्य का गौरव और सम्मान बचाए रखना होता है.
10. अपना गौरव, मान-मर्यादा और आत्म सम्मान के आगे जीवन की भी कोई कीमत नहीं है.
               *महाराणा प्रताप के 10 रोचक किस्से*-
1. महाराणा प्रताप के सबसे प्रिय घोड़े का नाम चेतक था. महाराणा प्रताप की तरह उनका घोड़ा भी बहुत बहादुर और समझदार था.

2. महाराणा प्रताप को बचपन में प्यार से कीका कहकर बुलाया जाता था.

3. महाराणा प्रताप और मुगल शासक अकबर के बीच हल्दी घाटी का विनाशकारी युद्ध 18 जून 1576 को हुआ था. इतिहास में हल्दी घाटी के युद्ध की तुलना महाभारत के युद्ध से की गई है.

4. इतिहासकारों के अनुसार हल्दी घाटी के युद्ध में न तो अकबर की जीत हुई थी और न ही महाराणा प्रताप हारे थे. इसकी वजह महाराणा प्रताप के मन में राज्य की सुरक्षा का अटूट जज्बा था.

5. हल्दी घाटी के युद्ध को टालने के लिए अकबर ने छह बार महाराणा प्रताप के पास अपने शांति दूत भेजे, लेकिन राजपूत राजा ने हर बार अकबर के प्रस्ताव को ठुकरा दिया.

6. हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप ने मात्र 20 हजार सैनिकों के साथ मुगल बादशाह अकबर के 80 हजार सैनिकों का डटकर सामना किया था. बावजूद अकबर महाराणा प्रताप को झुका नहीं सका था.

7. महाराणा प्रताप के सबसे प्रिय और वफादार घोड़े ने भी दुश्मनों के सामने अद्भुत वीरता का परिचय दिया था. 
हालांकि इसी युद्ध में घायल होने से उसकी मौत हुई थी.

8. चित्तौड़ की हल्दी घाटी में आज भी महाराणा प्रताप के प्रिय घोड़े चेतक की समाधि मौजूद है.

9. चेतक ने अंतिम दम तक महाराणा प्रताप का साथ दिया. युद्ध में मुगल सेना से घिरने पर चेतक महाराणा प्रताप को बैठाकर कई फील लंबा नाला फांद गया था.

10. महाराणा प्रताप जितने बहादुर थे, उतने ही दरियादिल और न्याय प्रिय भी. एक बार उनके बेटे अमर सिंह ने अकबर के सेनापति रहीम खानखाना और उसके परिवार को बंदी बना लिया था. महाराणा ने उन्हें छुड़वाया था.

          ऐसे महान् देश-भक्त, बलशाली और अदम्य साहस से परिपूर्ण महाराणा प्रताप को कोटि-कोटि प्रणाम्.

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नाम - कुँवर प्रताप जी (श्री महाराणा प्रताप सिंह जी)
जन्म - 9 मई, 1540 ई.
जन्म भूमि - कुम्भलगढ़, राजस्थान
पुण्य तिथि - 29 जनवरी, 1597 ई.
पिता - श्री महाराणा उदयसिंह जी
माता - राणी जीवत कँवर जी
राज्य - मेवाड़
शासन काल - 1568–1597ई.
शासन अवधि - 29 वर्ष
वंश - सुर्यवंश
राजवंश - सिसोदिया
राजघराना - राजपूताना
धार्मिक मान्यता - हिंदू धर्म
युद्ध - हल्दीघाटी का युद्ध
राजधानी - उदयपुर
पूर्वाधिकारी - महाराणा उदयसिंह
उत्तराधिकारी - राणा अमर सिंह

अन्य जानकारी -
महाराणा प्रताप सिंह जी के पास एक सबसे प्रिय घोड़ा था,
जिसका नाम 'चेतक' था।

राजपूत शिरोमणि महाराणा प्रतापसिंह उदयपुर,
मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे।

वह तिथि धन्य है, जब मेवाड़ की शौर्य-भूमि पर मेवाड़-मुकुटमणि
राणा प्रताप का जन्म हुआ।

महाराणा का नाम
इतिहास में वीरता और दृढ़ प्रण के लिये अमर है।

महाराणा प्रताप की जयंती विक्रमी सम्वत् कॅलण्डर
के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती
है।

महाराणा प्रताप के बारे में कुछ रोचक जानकारी:-

1... महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोड़े समेत दुश्मन सैनिक को काट डालते थे।

2.... जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे तब उन्होने , अपनी माँ से पूछा कि हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर, आए| तब माँ का जवाब मिला- ”उस महान देश की वीर भूमि हल्दी घाटी से एक मुट्ठी धूल लेकर आना जहाँ का राजा अपनी प्रजा के प्रति इतना वफ़ादार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले अपनी मातृभूमि को चुना ” लेकिन बदकिस्मती से उनका वो दौरा रद्द हो गया था | “बुक ऑफ़
प्रेसिडेंट यु एस ए ‘किताब में आप यह बात पढ़ सकते हैं |

3.... महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलोग्राम था और कवच का वजन भी 80 किलोग्राम ही था|

कवच, भाला, ढाल, और हाथ में तलवार का वजन मिलाएं तो कुल वजन 207 किलो था।

4.... आज भी महाराणा प्रताप की तलवार कवच आदि सामान उदयपुर राज घराने के संग्रहालय में सुरक्षित हैं |

5.... अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते है तो आधा हिंदुस्तान के वारिस वो होंगे पर बादशाहत अकबर की ही रहेगी| लेकिन महाराणा प्रताप ने किसी की भी अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया |

6.... हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से 20000 सैनिक थे और अकबर की ओर से 85000 सैनिक युद्ध में सम्मिलित हुए |

7.... महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक का मंदिर भी बना हुआ है जो आज भी हल्दी घाटी में सुरक्षित है |

8.... महाराणा प्रताप ने जब महलों का त्याग किया तब उनके साथ लुहार जाति के हजारो लोगों ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा कि फौज के लिए तलवारें बनाईं| इसी समाज को आज गुजरात मध्यप्रदेश और राजस्थान में गाढ़िया लोहार कहा जाता है| मैं नमन करता हूँ ऐसे लोगो को |

9.... हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वहाँ जमीनों में तलवारें पाई गई। आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 में हल्दी घाटी में मिला था |

10..... महाराणा प्रताप को शस्त्रास्त्र की शिक्षा "श्री जैमल मेड़तिया जी" ने दी थी जो 8000 राजपूत वीरों को लेकर 60000 मुसलमानों से लड़े थे। उस युद्ध में 48000 मारे गए थे , जिनमे 8000 राजपूत और 40000 मुग़ल थे |

11.... महाराणा के देहांत पर अकबर भी रो पड़ा था |

12.... मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने हल्दी घाटी में अकबर की फौज को अपने तीरो से रौंद डाला था वो महाराणा प्रताप को अपना बेटा मानते थे और राणा बिना भेदभाव के उन के साथ रहते थे| आज भी मेवाड़ के राजचिन्ह पर एक तरफ राजपूत हैं तो दूसरी तरफ भील |

13..... महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक महाराणा को 26 फीट का दरिया पार करने के बाद वीर गति को प्राप्त हुआ | उसकी एक टांग टूटने के बाद भी वह दरिया पार कर गया। जहाँ वो घायल हुआ वहां आज खोड़ी इमली नाम का पेड़ है जहाँ पर चेतक की मृत्यु हुई वहाँ चेतक मंदिर है |

14..... राणा का घोड़ा चेतक भी बहुत ताकतवर था उसके मुँह के आगे दुश्मन के हाथियों को भ्रमित करने के लिए हाथी की सूंड लगाई जाती थी । यह हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे|

15..... मरने से पहले महाराणा प्रताप ने अपना खोया हुआ 85 % मेवाड फिर से जीत लिया था । सोने चांदी और महलो को छोड़कर वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में घूमे |

16.... महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लम्बाई 7’5” थी, दो म्यान वाली तलवार और 80 किलो का भाला रखते थे हाथ में।

महाराणा प्रताप के हाथी की कहानी :- 

मित्रो आप सब ने महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक के बारे में तो सुना ही होगा, लेकिन उनका एक हाथी भी था। जिसका नाम था रामप्रसाद. उसके बारे में आपको कुछ बाते बताता हुँ।

रामप्रसाद हाथी का उल्लेख अल- बदायुनी, जो मुगलों की ओर से हल्दीघाटी के युद्ध में लड़ा था ने अपने एक ग्रन्थ में किया है।

वो लिखता है की जब महाराणा प्रताप पर अकबर ने चढाई की थी तब उसने दो चीजो को ही बंदी बनाने की मांग की थी एक तो खुद महाराणा और दूसरा उनका हाथी रामप्रसाद।

आगे अल बदायुनी लिखता है की वो हाथी इतना समझदार व ताकतवर था की उसने हल्दीघाटी के युद्ध में अकेले ही अकबर के 13 हाथियों को मार गिराया था।

वो आगे लिखता है कि उस हाथी को पकड़ने के लिए हमने 7 बड़े हाथियों का एक चक्रव्यूह बनाया और उन पर
14 महावतो को बिठाया तब कहीं जाकर उसे बंदी बना पाये। अब सुनिए एक भारतीय जानवर की स्वामी भक्ति।

उस हाथी को अकबर के समक्ष पेश किया गया जहा अकबर ने उसका नाम पीरप्रसाद रखा। रामप्रसाद को मुगलों ने गन्ने और पानी दिया। पर उस स्वामिभक्त हाथी ने 18 दिन तक मुगलों का न तो दाना खाया और न ही पानी पिया और वो शहीद हो गया।

तब अकबर ने कहा था कि जिसके हाथी को मैं अपने सामने नहीं झुका पाया उस महाराणा प्रताप को क्या झुका पाउँगा। ऐसे ऐसे देशभक्त चेतक व रामप्रसाद जैसे तो यहाँ जानवर थे।

इसलिए मित्रो हमेशा अपने भारतीय होने पे गर्व करो। पढ़कर सीना चौड़ा हुआ हो

#महाराणा_प्रताप__जयंती_पर_शत्_शत_नमन ।

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