महाराणा प्रताप जयंती : जेष्ठ शुल्क तृतीय



जेष्ठ शुल्क तृतीय
सही जन्म तिथि
भारत के वीर पुत्र महाराणा प्रताप जयंती आज
Tue, 11 Jun 2013

नई दिल्ली| भारत की धन्य भूमि पर अनगिनत ऐसे वीर पुरुष पैदा हुए जिन्होंने अपने बल, पराक्रम और त्याग से समय-समय पर देशभक्ति के अद्वितीय उदाहरण पेश किए हैं। इन्ही में से एक हैं मेवाड़ की धरती पर जन्मे महारणा प्रताप। महाराणा प्रताप का स्मरण आते ही मातृभूमि के प्रति उनके त्यागं और समर्पण की कहानी याद आती है।

आज 473 साल बाद भी उस वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का नाम आते ही शूरवीरों के शरीर में दौड़ रहे गर्म खून में देश भक्ति की भावना उफान मारने लगती है। इसी अदम्य साहस एवं वीरता के प्रतीक महाराणा प्रताप की आज जयंती है।

महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास में वीरता और राष्ट्रीय स्वाभिमान के पर्याय हैं। वे एक कठिन और उथल-पुथल भरे कालखण्ड में पैदा हुए थे, जब मुगलों की सत्ता समूचे भारत पर छाई हुई थी। मेवाड़ के राजा उदय सिंह के घर जन्मे उनके ज्येष्ठ पुत्र महाराणा प्रताप को बचपन से ही उच्च कोटी के संस्कार प्रदान थे। वीरता तो उनके लहु में थी। बालक प्रताप जितने वीर थे उतने ही पितृ भक्त भी थे। पिता की आज्ञा से महाराणा चित्तौड़ छोड़कर वनवास चले गए लेकिन उन्होंने अपने पिता को कुछ नहीं कहा।

1576 में हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप और अकबर के बीच ऐसा युद्ध हुआ जो पूरे विश्व के लिए आज भी एक मिसाल है। अभूतपूर्व वीरता और मेवाड़ी साहस के चलते मुगल सेना के दांत खट्टे कर दिए और सैकड़ों अकबर के सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया गया। अकबर जैसा महान योद्धा भी महाराणा से डरने लगा था। कहतें हैं कि रात को सोते सोते वो डर के उठ जाया करता था। महाराणा की बात की जाये तो उनके साथ उनके प्रिय घोड़े चेतक का नाम ना आये। एक दुसरे के बिना ये दोनों अधुरें हैं। कहतें है कि हल्दी घाटी के युद्ध में बिना किसी सहायक के प्रताप अपने पराक्रमी चेतक पर सवार हो पहाड़ की ओर चल पड़े। उसके पीछे दो मुग़ल सैनिक लगे हुए थे, परन्तु चेतक ने प्रताप को बचा लिया। चेतक ने हर कदम पर उनका साथ दिया।

सम्पूर्ण जीवन युद्ध करके और भयानक कठिनाइयों का सामना करके भी महाराणा प्रताप ने मेवाड़ राज्य के आन, मान और स्वाभिमान को गिरने नहीं दिया और यही कारण है कि आज भी सदियों बाद उन्हें याद किया जाता है। उन्हें शत-शत प्रणाम किया जाता है।

आन-बान-शान और शौर्य स्वाभिमान के प्रतीक, अमर उद्धघोषक वीर-वंश शिरोमणि महाराणा प्रताप के जन्मदिन के 473 जन्म दिन पर देशवासियों को ढ़ेर सारी शुभकामनायें ।

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