राहुल का अमेठी से रायबरेली भागना, क्या वायनाड से भी हार का संकेत है - अरविन्द सिसोदिया

 Rahul's running away from Amethi to Rae Bareli, is it a sign of defeat from Wayanad also 

- Arvind Sisodia


राहुल का अमेठी से भागना, गठबंधन की हार का संकेत - अरविन्द सिसोदिया

Rahul running away from Amethi, a sign of defeat of the alliance - Arvind Sisodia

जब कांग्रेस के नेतृत्व में ईडी गठबंधन बना और पूरे देश में अपनी जीत के बढ चढ कर दावे किये तो लगता था कि राहुल गांधी केरल के वायनाड के साथ - साथ परम्परागत सीट अमेठी से भी चुनाव लड़ेंगे और सोनिया गांधी द्वारा रिक्त की गई रायबरेली से प्रियंका गांधी वाड्रा चुनावी राजनीति में उतारी जायेंगी । यह होता तो उत्तरप्रदेश में कांग्रेस को मजबूत एन्ट्री मिल सकती थी। वहीं कांग्रेस अमेठी और रायबरेली से परम्परागत कांग्रेसी वोटर को भी सम्बल दे पाती, जिनने उन्हे कई दसकों से अपना प्रतिनिधि चुना और संसद में भेजा। किन्तु कांग्रेस का अमेठी से पलायनवाद यह भी प्रगट करता है कि क्या राहुल वायनाड में भी अबकी वार हार रहे हैं ? जो मजबूत सीट की उन्हे दरकार हुई ! 

When the INDI alliance was formed under the leadership of Congress and made boastful claims of victory across the country, it seemed that Rahul Gandhi would contest from Wayanad in Kerala as well as the traditional seat Amethi and Priyanka would contest from Rae Bareli vacated by Sonia Gandhi. Gandhi Vadra will be fielded into electoral politics. If this had happened, Congress could have got a strong entry in Uttar Pradesh. At the same time, Congress would also be able to support the traditional Congress voters from Amethi and Rae Bareli, who had elected them as their representatives for many decades and sent them to Parliament. But Congress's exodus from Amethi also reveals whether Rahul is losing this battle in Wayanad too? The strong seat he needed!

लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र के चुनावी प्रक्रिया हेतु नामांकन भरने के आख़री दिन की सुबह कांग्रेस यह निर्णय ले पाई कि राहुल गांधी कांग्रेस के गढ़ रहे अमेठी से नहीं बल्कि रायबरेली से चुनाव लड़ रहे हैं ! वहीं प्रियंका चुनाव नहीं लड़ेंगी तथा  अमेठी से वर्तमान भाजपा सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री श्रीमति स्मृति इरानी के सामने गांधी परिवार से लंबे समय से जुड़े रहे किशोरी लाल शर्मा को चुनावी जंग में उतारा गया है। जो चुनाव पूर्व ही हारे हुए मानें जा रहे हैं।

On the morning of the last day of filing nominations for the electoral process in this region in the Lok Sabha elections, Congress was able to decide that Rahul Gandhi is contesting the elections from Rae Bareli and not from Amethi, the Congress stronghold. While Priyanka will not contest the elections, Kishori Lal Sharma, who has been associated with the Gandhi family for a long time, has been fielded in the electoral battle against the current BJP MP from Amethi and Union Minister Smriti Smriti Irani. Those who are considered defeated even before the elections.

कांग्रेस के इस निर्णय के दो संकेत मिलते हैं कि राहुल क्या केरल की मजबूत मानी जानें वाली वायनाड सीट से हार रहे हैं , जो उन्हे बहुत ही मजबूत दूसरी सीट की जरूरत पडी ? क्यों कि उनकी वायनाड से जीत सुनिश्चित होती तो वे अमेठी से चुनाव लडते और संदेश देनें की कोशिश करते ! हो सकता है कि अमेठी की जनता उन्हे पुनः चुनने का मानस भी बना लेती । किन्तु उनका रायबरेली जाना पहले से ही तय था, इसी कारण सोनिया गांधी राज्यसभा में गईं। मुझे लगता है कि सोनिया गांधी भी चुनाव से डर रहीं थीं, क्यों कि 2019 के चुनाव में उनकी जीत का अन्तर कॉफी कम हुआ था। 

There are two indications of this decision of Congress that whether Rahul is losing from Wayanad seat which is considered strong in Kerala, which is why he needs a very strong second seat? Because if his victory from Wayanad was certain, he would have contested the elections from Amethi and tried to send a message. It is possible that the people of Amethi might even decide to re-elect him. But it was already decided that she would go to Rae Bareli, that is why Sonia Gandhi went to Rajya Sabha. I think Sonia Gandhi was also afraid of the elections, because her victory margin had reduced in the 2019 elections.

दूसरा यह भी लगता है कि चिद्दी बच्चे की तरह कांग्रेस के सभी निर्णय राहुल गांधी ही ले रहे हैं , वे सबसे ज्यादा अपनी बहन प्रियंका गांधी से ही भयभीत हैं और प्रियंका को टिकिट नहीं देनें में भी राहुल का ही नाम उछलता है, इनके गुट भी अलग अलग बने हुये हैं। मुझे लगता है कि अब कांग्रेस की परफोरमेंस में गिरावट आयेगी और वह पहले से भी कम सीटों पर जा सकती है।

Secondly, it also seems that like a petulant child, Rahul Gandhi is taking all the decisions of Congress and he is most afraid of his sister Priyanka Gandhi and even in not giving ticket to Priyanka, Rahul's name comes up and his factions too. Are made different. I think that now the performance of Congress will decline and it may get even less seats than before.

प्रियंका गांधी वाड्रा ने अमेठी सीट पर किशोरी लाल शर्मा को उम्मीदवार बनाए जाने पर सोशल मीडिया पर लिखा, ’’किशोरी लाल शर्मा जी से हमारे परिवार का वर्षों का नाता है। अमेठी, रायबरेली के लोगों की सेवा में वे हमेशा मन-प्राण से लगे रहे। उनका जनसेवा का जज्बा अपने आप में एक मिसाल है।’’ प्रियंका ने लिखा, ’’आज खुशी की बात है कि किशोरी लाल जी को कांग्रेस पार्टी ने अमेठी से उम्मीदवार बनाया है। किशोरी लाल जी की निष्ठा और कर्तव्य के प्रति उनका समर्पण अवश्य ही उन्हें इस चुनाव में सफलता दिलाएगा।’’

Priyanka Gandhi Vadra wrote on social media on making Kishori Lal Sharma the candidate for Amethi seat, “Our family has a relationship with Kishori Lal Sharma ji for years. He was always engaged whole-heartedly in serving the people of Amethi and Rae Bareli. His passion for public service is an example in itself.'' Priyanka wrote, ''It is a matter of happiness that today Kishori Lal ji has been made the candidate from Amethi by the Congress Party. Kishori Lal ji's loyalty and dedication to duty will definitely bring him success in this election.

अमेठी से सांसद व वर्तमान भाजपा प्रत्याशी श्रीमति स्मृति इरानी ने राहुल के रायबरेली से चुनाव लड़ने पर कहा “अमेठी से गांधी परिवार का ना लड़ना इस बात का संकेत है कि कांग्रेस पार्टी चुनाव में वोट पड़ने से पहले ही अमेठी से अपना हार स्वीकार कर चुकी है.“

Amethi MP and current BJP candidate Smriti Smriti Irani said on Rahul contesting from Rae Bareli, “The Gandhi family not contesting from Amethi is an indication that the Congress party has accepted its defeat from Amethi even before the voting in the elections. "


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