महान सपूत भैरोंसिंह शेखावत : अंतिम पायदान पर खडे व्यक्ति के नेता -अरविन्द सिसौदिया

- अरविन्द सिसौदिया
  9414180151
 
 भारत की राजनीति में लोक कल्याण एवं आम जन को सहायता का युग 1947 से नहीं 1977 से प्रारम्भ हुआ और उसके प्रणेता थे, राजस्थान के मुख्यमंत्री ठा. भैरांसिंह शेखावत । जनसंघ के संस्थापक महामंत्री प. दीनदयाल उपाध्याय के स्वप्न समाज में अंतिम पायदान पर खडे व्यक्ति की मदद करो को,मुख्यमंत्री शेखावत ने सबसे पहले अन्त्योदय योजना के माध्यम से लागू किया । कतार में अंतिम  पायदान पर खडे व्यक्ति की मदद सरकार के धन से की जाये यह सबसे पहले शेखावत ने ही किया । इस योजना के लिये उनका सार्वजनिक सम्मान देश के सबसे नेता जयप्रकाश नारायण ने किया था। सरकार के सहयोग से गरीवों को आर्थिक उत्थान एवं रोजगार परक कार्यों हेतु सबसिडी सबसे पहले शेखावत युग से ही प्रारम्भ हुईं । वे आम जन के नेता थे इसलिये सामान्य विधायक से उपराष्ट्रपति के पद तक की उनकी राजनैतिक यात्रा सम्पन्न हुई।
 


* पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत का जन्म 23 अक्टूबर 1923 को वृश्चिक लग्न में राजस्थान के प्रसिद्ध सिकर जिले के खाचरियावास गाँव में हुआ tha । 

** भैरो सिंह शेखावत राजनीति मे बेदाग व्यक्तित्व थे. अपने निजी संबंधों के लिए कभी विचारधारा से समझौता नहीं किया लेकिन निजी संबंधों में राजनीतिक विचारधारा को भी कभी आड़े नहीं आने दिया. 

**** भैरोंसिंह शेखावत (२३ अक्तूबर १९२३ - १५ मई, २०१०) भारत के उपराष्ट्रपति थे। वे १९ अगस्त २००२ से २१ जुलाई २००७ तक इस पद पर रहे। वे १९७७ से १९८०, १९९० से १९९२ और १९९३ से १९९८ तक राजस्थान के मुख्यमंत्री भी रहे। 

**** भैरो सिंह शेखावत बहुत ही सामान्य परिवार से आते थे. पूरे जीवन उन्होंने राजनीतिक ऊंचाई कुछ भी हासिल कर ली हो लेकिन वे एक आम इंसान ही बने रहे. आम आदमी के हक और हित की चिंता उनकी राजनीति के केन्द्र में हमेशा बना रहा. ऐतिहासिक रूप से भैरों सिंह शेखावत ने दो काम ऐसे किये हैं जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि भैरों सिंह न होते तो शायद ये दोनों पहल कभी नहीं होती. 

इसमें पहला काम था बतौर मुख्यंत्री राजस्थान में अन्त्योदय योजना की शुरूआत. 1977 में जब वे पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने तो पहली दफा उन्होंने गरीबों के लिए जिन योजनाओं की शुरूआत की उसे अन्त्योदय योजना का नाम दिया. इन योजनाओं से खुद जयप्रकाश नारायण इतने प्रभावित हुए कि उन्हें पटना बुलाकर उनका सार्वजनिक सम्मान किया. 

इसी तरह भैरो सिंह शेखावत ही ऐसे पहले मुख्यंत्री थे जिन्होंने सूचना का अधिकार आंदोलन को आधार प्रदान किया. 1993 में जब वे एक बार फिर राजस्थान के मु्ख्यमंत्री बने तो उन्होंने अनिवार्य कर दिया कि ग्राम पंचायतों में जो भी विकास का काम किया जा रहा है उसका शिलापट लगाया जाए और किसी भी नागरिक द्वारा जानकारी मांगे जाने पर अधिकारी उसे जानकारी मुहैया कराएं. 

हालांकि शुरूआत में अधिकारियों ने आनाकानी की लेकिन मुख्यमंत्री की सख्ती के कारण उनको ऐसा करना पड़ा. इसी का परिणाम है कि राजस्थान में हुई इस शुरूआत को अरुणा राय ने सूचना अधिकार का आंदोलन बनाया और उसे केन्द्र सरकार द्वारा लागू किया गया.
 
 

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

Veer Bal Diwas वीर बाल दिवस और बलिदानी सप्ताह

महाराष्ट्र व झारखंड विधानसभा में भाजपा नेतृत्व की ही सरकार बनेगी - अरविन्द सिसोदिया

‘फ्रीडम टु पब्लिश’ : सत्य पथ के बलिदानी महाशय राजपाल

चुनाव में अराजकतावाद स्वीकार नहीं किया जा सकता Aarajktavad

भारत को बांटने वालों को, वोट की चोट से सबक सिखाएं - अरविन्द सिसोदिया

शनि की साढ़े साती के बारे में संपूर्ण

ईश्वर की परमशक्ति पर हिंदुत्व का महाज्ञान - अरविन्द सिसोदिया Hinduism's great wisdom on divine supreme power

देव उठनी एकादशी Dev Uthani Ekadashi