ईडी गठबंधन की सरकार, न बनेगी - न चलेगी - अरविन्द सिसोदिया

....भानुमति ने कुनबा जोड़ा....
कहीं का ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा।  इसे आज का हालात में देखें तो यह उसी तरह से है, जैसे अलग-अलग विचारधारा की पार्टियां मिलकर एक गठबंधन बना लेती हैं। प्राचीन कथाओं के अनुसार महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद दुर्योधन की पत्नि भानुमति ने अर्जुन से विवाह कर लिया था। भानुमति ने अपने कुनबे को बचाने के लिए हर वो असंगत कार्य किया, हर उस चीज को जोड़ा, जिसका जुड़ना संभव नहीं था। इसीलिए यह कहावत बनी। यही हालात ईडी गठबंधन के हैं। तमाम विसंगतियों का, विरोधाभाषों का एकत्रीकरण ही ईडी गठबंधन है।


चार जून के बाद इंडी गठबंधन बिखर जायेगा 

- अरविन्द सिसोदिया 

अगली लोकसभा गठन के लिए 4 जून को मतगणना होनें जा रही है। भाजपा और एन डी ए की सीटें कम हों, उतनी ही रहें या ज्यादा हों... केंद्र में तीसरीवार प्रधानमंत्री मोदीजी ही आरहे हैँ यह निश्चित है। क्योंकि सबसे बड़ा दल और सबसे बड़ा गठबंधन भाजपा का ही रहने वाला है।

यूँ तो यह गठबंधन बिखर जायेगा और कुछ सालों में राहुल और प्रियंका के बीच कांग्रेस भी बंट जायेगी। 

वहीं आप और कांग्रेस एक दूसरे के सामनें होंगे। क्योंकि अरविन्द केजरीवाल की आप भले ही 20 सीटों पर लड़ रहे हों मगर अहंकार 2000 सीटों जैसा है। कांग्रेस भी आम आदमी पार्टी को अपना कटटर दुश्मन मानती और यह सच भी है दिल्ली और पंजाब से कांग्रेस को उखाड़ फेंकने का काम आप नें ही किया है। आप, भाजपा को अभी तक कोई बहुत बड़ा नुकसान नहीं पहुँचा पाई है। जबकि उसने कांग्रेस को दो प्रांतों में ध्वस्त कर दिया है। पंजाब में ईडी गठबंधन के ही आप और कांग्रेस एक दूसरे के सामने हैँ।

इसी तरह बंगाल में वामपंथी सरकार को उखाड़ फेंकने का काम तत्कालीन कांग्रेस से अलग होकर ममता बैनर्जी नें किया और ममता नें वहाँ कांग्रेस को भी पनपने नहीं दिया। आज बंगाल में भाजपा और कांग्रेस मुख्य दो दल हैँ। ममता इंडी गठबंधन का सदस्य होते हुये भी, बंगाल में इंडी गठबंधन के खिलाफ लड़ रही है। वहाँ ममता की त्रणमूल कांग्रेस, भाजपा और वामपंथियों के साथ कांग्रेस इस तरह से त्रिकोण मुकाबला है. जिसमें ममता और भाजपा में ही मुख्यतौर पर बंटवारा होगा। 

केरल में वामपंथी गठबंधन ईडी गठबंधन के सामने है अर्थात ईडी गठबंधन दो धड़ों में बंट कर एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैँ। कांग्रेस के राहुल गाँधी के विरुद्ध वामपंथी मोर्चा में मज़बूत प्रत्याशी उतारा हुआ है, वहाँ की हार के डर से ही राहुल को रायबरेली से भी उतारा गया है।

कांग्रेस अपने इतिहास की सबसे कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है। उसके अन्य तीन बड़े पार्टनर अखिलेश यादव यूपी में, तेजश्वी यादव बिहार में और डीएमके तमिलनाडु में हैँ। किन्तु कांग्रेस इन प्रांतों में बहुत कम सीटों पर लड़ रही है। और ये तीनों दल मनमौजी हैँ, चुनाव वाद रहें भी न भी रहें।

इन परिषतिथियों में यह बहुत स्पष्ट है कि भूल से भी कांग्रेस सत्ता के निकट पहुंच गईं तो भी सरकार न तो बनेगी और न ही चलेगी।

क्योंकि ईडी गठबंधन में पांच प्रधानमंत्री हैँ राहुल, ममता, अखिलेश, तेजश्वी और केजरीवाल और इसी तरह 500 केंद्रीय मंत्री हैँ। महत्वाकांक्षा से लवालव भरे राजनेताओं का भंडार ईडी गठबंधन है। जो मेड़कों से भरी बाल्टी की तरह है। एक लाओ तब तक दो बाहर...!

अर्थात पहली बात तो ईडी गठबंधन सरकार में आ नहीं रहा, आया तो कांग्रेस को प्रधानमंत्री पद इसके घटकदल स्वीकार नहीं करेंगे, कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनीं तो अधिकतम चार माह से ज्यादा नहीं चलेगी। कांग्रेस ने जब भी केंद्र में कोई सरकार बनवाई उसे गिराने में बहुत समय नहीं लगाया। 

ईडी गठबंधन की न तो सरकार बनेगी न ही सरकार चलेगी।

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

कविता - दीपक बनो प्रकाश करो

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

My Gov दवा लेबलिंग में स्थानीय भाषा का उपयोग हो

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

असंभव को संभव करने का पुरुषार्थ "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ"

"जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है"।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS की शाखा में जाने के लाभ