कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता नें स्विकारा “ रामलला को फिर से टॉट में जाने का कांग्रेस से खतरा है “
कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता नें स्विकारा “ भव्य रामजन्म भूमि मंदिर को कांग्रेस से खतरा है “
कांग्रेस के लिये लगातार टी वी चैनलों पर कांग्रेस के पक्ष में दहाडा करने वाले आध्यात्मिक गुरू, कल्किधाम पीठाधीश्वर आर्चाय प्रमोद कृष्णम नें एक बयान से पूरे देश में भूचाल ला दिया है कि “ वर्तमान में अयोध्या में बना श्रीराम लला का भव्य और दिव्य मंदिर ......राहुल गांधी, कांग्रेस सरकार में आते ही तोड देंगे। “ इस विचार के आर्चाय प्रमोद कृष्णम प्रगटीकरण में कोई अतिश्योक्ति नहीं है, बल्कि वह ईमानदारी है जो कांग्रेस के अर्न्तमन में पल रही है। क्यों कि बाबरी ढ़ाचा ढ़हने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव नें संसद में इसी संदर्भ में बोलते हुये कहा था कि “.... हम वहां मस्जिद बनाएंगे....” यह उसी संकल्प को पूरा करनें का प्लान है। इसकी पुष्ठि इसी बात से होती है कि श्रीराम लला के मंदिर में वर्तमान मंदिर बनने से पहले और बाद में कांग्रेस के हाई कमान नें लगातार दूरी बना कर रखी है। यह दूरी बना कर रखना भी इस बात की पुष्ठि करता है कि आर्चाय प्रमोद कृष्णम के द्वारा कही गई एक एक बात सत्य है। देश को कांग्रेस के आंतरिक मंसूबों को लेकर पूरी तरह सावधान रहना चाहिये।
Former Congress spokesperson admitted, “The grand Ram Janmabhoomi temple is in danger from Congress.”
Kalkidham Peethadheeshwar Archay Pramod Krishnam, the spiritual guru who has been continuously roaring in favor of Congress on TV channels, has created a stir in the entire country with his statement that “At present, the grand and divine temple of Shri Ram Lala built in Ayodhya… ....Rahul Gandhi will break the Congress government as soon as he comes to power. “There is no exaggeration in the expression of this idea by Archaya Pramod Krishnam, rather it is the sincerity that is growing in the heart of Congress. Because after the collapse of Babri structure, the then Prime Minister Narasimha Rao, while speaking in the Parliament in this context, had said that "...we will build a mosque there..." This is a plan to fulfill that resolution. This is confirmed by the fact that before and after the construction of the present temple of Shri Ram Lala, the high command of the Congress has continuously maintained a distance. Maintaining this distance also confirms that everything said by Archaya Pramod Krishnam is true. The country should be completely cautious about the internal intentions of the Congress.
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श्रीराम मंदिर जानें पर छत्तीसगढ़ से कांग्रेस की तेजतर्रार नेता राधिका खेड़ा को डांटा गया , उन्होनें कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया
राम को लेकर कांग्रेस मुझसे नफरत करने लगी - कांग्रेस प्रवक्ता रहीं राधिका खेड़ा
लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं का सिलसिला जारी है, छत्तीसगढ़ से कांग्रेस की पूर्व नेता व तेजतर्रार प्रवक्ता रहीं राधिका खेड़ा ने अपमानित होकर कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है।
कांग्रेस पार्टी से अपने इस्तीफे पर राधिका खेड़ा ने कहा कि “ मैंने हमेशा सुना है कि कांग्रेस राम विरोधी, सनातन विरोधी और हिंदू विरोधी है, लेकिन मैंने कभी इस पर विश्वास नहीं किया था। महात्मा गांधी हर बैठक की शुरुआत ’रघुपति राघव राजा राम’ से करते थे। मुझे असलियत तब पता चली जब मैं अपनी दादी के साथ बयोध्या राम मंदिर गई और वहां से लौटने के बाद मैंने अपने घर के दरवाजे पर ’जय श्री राम’ का झंडा लगा दिया । उसके बाद से कांग्रेस पार्टी मुझसे नफरत करने लगी । जब भी मैंने तस्वीरें या वीडियो पोस्ट किए तो मुझे डांटा गया और पूछा जब चुनाव चल रहे थे तो मैं अयोध्या क्यों गई ?
कांग्रेस की पूर्व प्रवक्ता राधिका खेडा के साथ घटी घटना इस बात का सबूत है कि कांग्रेस में राम मंदिर को लेकर कितनी घ्रणा भरी हुई है।
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हाइलाइट्स
- पूर्व कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राहुल गांधी पर बड़ा आरोप लगाया
- आचार्य प्रमोद ने राम मंदिर का फैसला पलटने के लेकर बयान दिया
- कांग्रेस फिर सत्ता में आती है तो वो राम मंदिर पर फैसला पलट देगी- प्रमोद कृष्णम
- प्रमोद कृष्णम ने कहा, ‘जब राम मंदिर का फैसला आया तो राहुल गांधी ने अपने करीबियों के साथ बैठक की थी और कहा था कांग्रेस सरकार बनने के बाद वह एक सुपर पावर कमेटी का गठन करेंगे। राम मंदिर के फैसले को वैसे ही पलट देंगे जैसे राजीव गांधी ने शाह बानों के फैसले को पलट दिया था।’
ANI
#WATCH | Sambal, Uttar Pradesh: Former Congress leader Acharya Pramod Krishnam says, "I have spent more than 32 years in the Congress and when the Ram Mandir decision came, Rahul Gandhi in a meeting with his close aides said that after the Congress govt is formed, they will form a superpower commission and will overturn the Ram Mandir decision just like Rajiv Gandhi overturned the Shah Bano decision..."
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राम मंदिर का फैसला पलट देंगे राहुल गांधी, मीटिंग में कर चुके हैं फैसला, प्रियंका गांधी के पूर्व सलाहकार का दावा
कल्कि पीठ के प्रमुख और प्रियंका गांधी के पूर्व सलाहकार आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा है।
कल्कि पीठ के प्रमुख और प्रियंका गांधी के पूर्व सलाहकार आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा है। सोमवार को मीडिया से बात करते हुए पूर्व कांग्रेसी नेता राम मंदिर और कांग्रेस को लेकर बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि अगर आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत होती है और देश में इंडी गठबंधन की सरकार बनी तो वो राम मंदिर का फैसला पलट सकते हैं। राहुल गांधी इसको लेकर योजना बना चुके हैं और अपने नेताओं के साथ बैठक कर चुके हैं।
राम मंदिर पर फैसला आते ही राहुल गांधी ने बनाई थी योजना
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने दावा किया कि राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद राहुल गांधी ने अपने करीबी सहयोगियों के साथ बैठक की। इस बैठक में उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार बनने के बाद वे एक महाशक्ति आयोग बनाएंगे और राम मंदिर के फैसले को वैसे ही पलट देंगे जैसे राजीव गांधी ने शाह बानो के फैसले को पलट दिया था। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने दावा करते हुए कहा कि मैंने कांग्रेस में 32 साल से अधिक समय बिताया है इसलिए मैं उनके बारे में अच्छे से जानता हूं।
Rahul Gandhi will reverse the decision of Ram Mandir like the decision of Sah Bano, has already taken the decision in the meeting, claims former advisor of Priyanka Gandhi
क्या था शाह बानो केस?
बता दें कि अप्रैल 1978 में 62 वर्षीय मुस्लिम महिला शाह बानो ने पति से तीन तलाक मिलने के बाद अदालत में गुजारा भत्ता पाने के लिए एक याचिका डाली थी। इस पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने शाह बानो के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा। इसके बाद तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने मई 1986 को मुस्लिम महिला (विवाह विच्छेद पर अधिकार संरक्षण) अधिनियम पारित किया। संसद में अधिनियम पास होने के बाद शीर्ष अदालत के फैसले को रद्द कर दिया गया।
कांग्रेस के नेता राम विरोधी
राम मंदिर के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरते हुए प्रमोद कृष्णम ने कहा कि कांग्रेस के नेता राम विरोधी हैं और तभी वो राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में नहीं गए थे। बता दें कि आचार्य प्रमोद पहले भी कांग्रेस को राम मंदिर के मुद्दे पर घेरते रहे हैं। राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण को अस्वीकार करने पर आचार्य ने कांग्रेस के बड़े नेताओं पर निशाना साधा था। इसी कारण उन्हें पार्टी ने निष्कासित कर दिया था।
चुनाव के बाद दो धड़ों में बंटेगी कांग्रेस
आचार्य ने हाल ही में कहा था कि प्रियंका के खिलाफ कांग्रेस में राजनीतिक साजिश हो रही है। उन्होंने कहा कि प्रियंका को पार्टी अध्यक्ष बनने से रोका गया और फिर न राज्यसभा भेजा गया और न ही उन्हें कोई बड़ा पद दिया गया। ये साजिश कई सालों से चल रही है। उन्होंने कहा कि चार जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद कांग्रेस दो धड़ों में बंट जाएगी,
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बाबरी ढ़ाचा पुनः बनाने का वचन कांग्रेस की नरसिंह राव सरकार नें भी संसद में दिया था,
6 दिसंबर, 1992. वो दिन जब बाबरी मस्जिद को ढहाया गया था, तब पी. वी. नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री थे. राव ने अगले दिन यानी 7 दिसंबर, 1992 को संसद में भाषण दिया.
भाषण में राव ने कई बार राज्य सरकार और मुख्यमंत्री का ज़िक्र किया है. वो उत्तर प्रदेश की BJP गवर्नमेंट और वहां के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की बात कर रहे हैं.
ये भाषण राव की लिखी किताब ' अयोध्या - 6 दिसंबर 1992' में छपा है. हम आपको प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के इस भाषण के मुख्य पॉइंट्स बताएंगे. राव के इस भाषण में सफाई है. शिकायत है. घटनाक्रम है. अफसोस है. और एक वादा है.
सफाई - 'हमने मुख्यमंत्री को यह जानकारी दी थी कि हमारे अनुमान के मुताबिक राज्य सरकार द्वारा अयोध्या में तैनात सुरक्षाबल पर्याप्त नहीं हैं. 30 नवंबर, 1992 को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का ध्यान इस कमी की ओर खींचा. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा, कि केंद्र सरकार के सुझावों पर ध्यान दें. केंद्र सरकार ने 24 नवंबर, 1992 को ही अयोध्या के नज़दीक कई इलाकों में अर्धसैनिक बलों को तैनात कर दिया था. ताकि जब भी राज्य सरकार को आवश्यकता हो तो कम से कम समय में सुरक्षा बल उपलब्ध करवाए जा सकें.'
शिकायत - 'मुख्यमंत्री ने बलों का इस्तेमाल करने के बजाय हमारे इस काम की आलोचना की और इन्हें वापस बुलाने की मांग की. उन्होंने केंद्र सरकार के इस काम की वैधता को चुनौती तक दे डाली. राज्य सरकार केवल बम निरोधी दस्ते और स्निफ़र-डॉग स्क्वाड सेवाएं लेने के लिए मानी. और वो भी तब जब केंद्र सरकार ने ढांचे पर विस्फोटकों से संभावित हमले की ओर राज्य सरकार का ध्यान दिलाया. मुख्यमंत्री के विचित्र और अड़ियल रवैये के बावजूद अयोध्या के आसपास तैनात केन्द्रीय अर्धसैनिक बल को सचेत रहने को कहा गया था. ताकि मौका पड़ने पर वे राज्य सरकार के लिए उपलब्ध रहें.'
घटनाक्रम - '6 दिसंबर, 1992 को प्रारंभिक सूचना ये थी कि स्थिति शांतिपूर्ण है. राम कथा कुंज में एक सार्वजनिक सभा के लिए करीब 70,000 कारसेवक इकट्ठे हुए थे. उन्हें संघ परिवार के वरिष्ठ नेता संबोधित कर रहे थे. चबूतरे पर लगभग 500 साधु-संत पूजा की तैयारियां कर रहे थे.
11:45 से 11:50 के बीच लगभग 150 कारसेवक बाड़ को तोड़ कर चबूतरे पर जा चढ़े और पुलिस पर पथराव करने लगे. लगभग 1000 कारसेवक ढांचे में जा घुसे. और लगभग 80 कारसेवक ढांचे के गुंबद पर चढ़कर उसे तोड़ने लगे.
लगभग 12:20 तक परिसर में करीब 25000 कारसेवक थे, जबकि एक बड़ी संख्या बाहर जमा हो रही थी.
2:20 पर 75,000 लोग ढांचे को घेरे हुए थे. ज़्यादातर इसे तोड़ने में लगे थे. 6 दिसंबर की शाम तक ढांचे को पूरी तरह मिटा दिया गया था. ऐसा समझा जाता है कि मुख्य पुजारी ने ढांचे के भीतर से रामलला की मूर्ति को हटा लिया और कथित रूप से मूर्तियों को फिर से रख कर उनके ऊपर एक टीन शेड डाल दिया गया.'
अफसोस - 'कई बलिदानों के बाद स्वतंत्रता हासिल करने वाला देश इस क्रूर घटना का साक्षी बना. हमारे प्राचीन देश में सदियों से अनेक मत और संप्रदाय रहे हैं. जिन्होंने विभिन्न धर्मों और मान्यताओं के लोगों प्रेरित किया है. धर्मों, मान्यताओं और समप्रदायों की यही बहुलता भारतवर्ष की पहचान रही है. सांप्रदायिक ताकतों ने इस पवित्र विश्वास को तोड़ा है. विनाश की पागलपन भरी दौड़ को रोकने का सर संभव उपाय किया गया. हर राजनैतिक और संवैधानिक उपाय को अपनाया गया. ताकि हम विवेक और बुद्धि से काम ले सकें. यही एकमात्र तरीका है, जिससे कोई प्रजातांत्रिक और सभ्य देश काम कर सकता है.'
वादा - 'मेरी सरकार इन ताकतों के खिलाफ खड़ी होगी. इस घिनौने कार्य के लिए भड़काने वाले लोगों के खिलाफ हम संविधान के अनुसार सख्त कार्रवाई करेंगे. और मैं वादा करता हूं कि कानून ऐसे लोगों को अवश्य पकड़ेगा, फिर चाहे वे कोई भी हों.'
इस भाषण के अंत में नरसिम्हा राव ने एक और वादा किया - 'मस्जिद को गिराना बर्बर कार्य था, सरकार इसका पुनर्निर्माण करवाएगी.'
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