भारत विभाजन से जुड़े गद्दारों की संपत्तियां मुक्त ना हों

शत्रु सम्पत्ति (संशोधन और विधिमान्यकरण) विधेयक, २०१० पारित कर,
भारत सरकार सावित करे की वह पाकिस्तानियों की नहीं है......!
- अरविन्द सीसोदिया
   लोकसभा के मानसून सत्र के दौरान, अगस्त माह के प्रथम सप्ताह में  उपस्थित किए गए  प्रस्ताव शत्रु सम्पत्ति (संशोधन और विधिमान्यकरण) अध्यादेश, 2010 (2010 का सं. 4) को सरकार पारित नही करवाना चाहती . क्यों कि मुस्लिम सांसदों ने  अति  संपन्न पाकिस्तान भागे मुस्लिमों के हितों के लिए  भारी  दवाव बनाया है . सरकार बिना कुछ समझे ही यह ना समझी का कदम उठाने जा रही है . पूर्व में इस तरह की संपत्तियों के मामले में सर्वोच्च  न्यायालय ने कानूनी खामियों के कारण, इन संपत्तियों का निस्तारण   पाकिस्तान भागे मुस्लिमों के भारत में रह रहे वंशज  या अन्य दावेदारों के पक्ष में कर दिए थे . सरकार ने इन संपत्तियों  को पुनः कब्जे  में लेने के लिए उपरोक्त  सन्दर्भ ऐसा अध्यादेश निकला हुआ है,  . यदी यह विधेयक पारित  नहीं किया गया तो ,इस आध्यादेश  का प्रभाव स्वतः ही समाप्त हो जाएगा. हजारों करोड़ की वह सम्पत्ती  जो देश विभाजन के समय पाकिस्तान चले गये शत्रु लोगों की सरकार के पास जप्त है वह उनके तथाकथित वंशजों या अन्य दावेदारों को बिना कारण मिल जायेगी .  
इस हेतु सरकार ने निम्न संसोधन विधेयक रख हुआ है :-
02.07.2010 को प्रख्यापित शत्रु सम्पत्ति (संशोधन और विधिमान्यकरण) अध्यादेश, 2010 (2010 का सं. 4) को प्रतिस्थापित करना। शत्रु सम्पत्ति अधिनियम, 1968 और सरकारी स्थान (अप्राधिकृत अधिभोगियों की बेदखली) अधिनियम, 1971 में संशोधन करना।
  भारत विभाजन से जुड़े गद्दारों   की बहुत सी संपत्तियां सरकार के पास जप्त हैं बहुत सों  को बटवारे के समय उसके बदले रकम दे दी गई थी. उनमें पाकिस्तान बनाने की जिद्द करने बाले देश के शत्रु जिन्ना भी हैं . उनका मुम्बई में बहुत बड़ा और सबसे मंहगे इलाके में जिन्ना हॉउस है उसकी वर्तमान कीमत हजारों करोड़ में है , उनकी बेटी भारत में ही रहती है उनका बेटा प्रसिद्ध उद्योगपती नुस्लीवाडिया हैं  और उसे प्राप्त करना चाहते  है . इन्होनें जिन्ना को राष्ट्र भक्त साबित करने के लिए कथित तोर पर किताब भी लिखवाई थी . 
  हजारों करोड़ की इन जायदातों   को पुनः हांसिल करने के लिए , अमीर जमींदार - नबाव मुसलमानों के लिए कांग्रेस के कुछ मुस्लिम नेता यथा सलमान खुर्शीद , अहमद पटेल , गुलाम नवी आजाद आदी नेता सक्रीय हैं व ये इस विधेयक को वापस करवाना कहते हैं , इसके लिए सीधा सा तरीका है की सरकार पास ही नही करवाए तो सत्रावसान के साथ ही यह समाप्त हो जाएगा . मुस्लिम वोट के नाम पर देश के ह्रदय - स्थल  पर यह चोट देश से शुद्ध गद्दरी होगी...!      

मुंबई के पॉश इलाके मलाबार हिल्स में स्थित ‘जिन्ना हाउस’ को जिन्ना की इकलौती बेटी दीना वाडिया को लीज पर देने की वकालत भी हो चुकी हैं। पहले साउथ कोर्ट के नाम से मशहूर यह संपत्ति आज ५/७  हजार करोड़ रुपए की है।

एक अन्य उदाहरण __
राजा महमूदाबाद  की  करोड़ों की सम्पत्ति का विवाद  
 देश की आजादी के दौरान ही महमूदाबाद के राजा अमीर मोहम्मद भारत छोड़ कर पाकिस्तान चले गये थे। उनकी सम्पत्ति को 1965 में सरकार ने शत्रु सम्पत्ति घोषित कर दी थी।इसमें राजा की सीतापुर, लखीमपुर, लखनऊ व देहरादून में स्थित आलीशान भवन के अलावा महमूदाबाद तहसील क्षेत्र में ही 367 हेक्टेयर जमीन शामिल थी।इसके बाद कोर्ट में मुकदमा चलता रहा। सन् 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि राजा की जो सम्पत्ति शत्रु सम्पत्ति घोषित की गई है, उसे राजा के पुत्र मोहम्मद अमीर मोहम्मद को सौंप दी जाये। तत्कालीन डीएम आमोद कुमार ने सम्पत्ति सौंपने में लापरवाही बरती, लिहाजा डीएम समेत 24 अफसरों को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना नोटिस का सामना करना पड़ा सभी को कोर्ट में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देना पड़ा। बाद में सम्पत्तियां मोहम्मद खान को सौंप दी गयी। मोहम्मद खान ने सभी सम्पत्तियों पर कब्जा कर लिया था, लेकिन राज्य सरकार ने कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी, कोर्ट में मामला विचाराधीन है।उधर, केंद्र सरकार ने शत्रु सम्पत्ति पर कब्जा बरकरार रखने के सन्दर्भ में एक अध्यादेश जारी कर दिया।
   इसी अध्यादेश के तहत अभिरक्षक शत्रु सम्पत्ति कार्यालय ने दो अगस्त को डीएम को निर्देश जारी किया। डीएम  ने मंगलवार को मोहम्मद खान को नोटिस जारी कर दी, जिसमें अभिरक्षक शत्रु सम्पत्ति के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया है कि आप को पूर्व में हस्तगत कराई गई सभी शत्रु सम्पत्तियां संबंधित एसडीएम को तत्काल हस्तगत करा दें। डीएम ने शाम को जिला मुख्यालय स्थित तत्कालीन डीएम, सीएमओ व एसपी बंगला पर स्वयं जाकर कब्जा कर लिया। खतौनी में अमल दरामद भी करा दी गई। यहां तैनात मोहम्मद खान के कर्मचारी चले गये। उधर, प्रेम नगर के लोगों में खुशी का ठिकाना नहीं था, उनके मकान दांव पर लगे थे, जो अब बेफिक्र हो गये। महमूदाबाद एसडीएम ने बताया कि 367 हेक्टेयर जमीन व अन्य कई भवन की अमलदरामद शत्रु सम्पत्ति के खाते में कर दी गई है। डीएम ने भी देर शाम बताया कि मोहम्मद खान को पूर्व में सौंपी गयी सभी शत्रु सम्पत्तियों को कब्जे में कर लिया गया है।
यह एक उदाहरण  है जिससे सावित होता है की हम पाकिस्तान भी जाएँ और हिंदुस्तान पर भी कब्ज़ा रखें  ...!!
भारत सरकार इस प्रवृति के आगे नत मस्तक हो !

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