कलमाडी : भ्रष्टाचार कि महागंगा को वास्तव में कोंन पी रहा है ..?
राष्ट्रमंडल भ्रष्टाचार, शुद्ध कांग्रेस का खेल
- अरविन्द सीसोदिया
चुप चुप खड़े हो जरुर कोई बात है , यह एक फ़िल्मी गीत था ,
आज सोनिया जी चुप हैं ,
राहुल साहब चुप हैं ,
मनमोहन सिंह चुप हैं.
कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ संसद सदस्य राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाडी पर घन घोर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं और उनके ही सांसद मणिशंकर अय्यर हैं भी भ्रष्टाचार से इतने दुखी हैं कि इस आयोजन के असफल होने की तक कर चके हैं कामना की है . खेल मंत्रालय व लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग भी खिलाफ है . यह सभी संस्थाएं फ़िलहाल तो इन तीनों के ही अंतर्गत हैं . लेकिन कलमाडी इन सबसे बेपरवाह लगते हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय से मिली नसीहत के बावजूद उन्हें न तो खेल मंत्रालय के खिलाफ ताल ठोंकने से कोई गुरेज हैं और न ही विवादों से परे रहने की कोशिस ही वे कर रहें हैं, इस का अर्थ है कि कलमाडी की पीठ पर भी कोई है . इस भ्रष्टाचार कि महा गंगा को वास्तव में कोंन पी रहा है ..? क्यों कि सब कुछ वहां हो रहा है जहाँ कांग्रेस की सर्वे सर्व सोनिया जी रहती हैं , यह बातें उँ तक नहीं पहुच रही होंगी यह हो नही सकता , ५ अगस्त २०१० के पंजाब केसरी के संपादक अश्वनी कुमार ने लिखा है ,
'' पनप चुके गद्दार देश का क्या होगा ?
अंधे पहरेदार देश का क्या होगा ?
लुटेरे पालनहार देश का क्या होगा ?
खादी है खूंखार देश का क्या होगा ?
जनता है लचर देश का क्या होगा ?
प्रश्न यही हर बार देश का क्या होगा ?
उत्तर ढूँढ़ो यार देश का क्या होगा ? "
राष्ट्रमंडल खेलों में हो रहे निरंतर भ्रष्टाचार के बाद अब देश को अपनी इज्जत बचाना मुश्किल हो गया है . कांग्रेस का इतिहास भ्रष्टाचार से भरा हुआ है , इस पार्टी के एक प्रधानमंत्री को भ्रष्टाचार के आरोप में सजा हुई है जिसे बाद में दूसरी अदालत ने दोष मुक्त तो किया मगर भ्रष्टाचार हुआ मना गया. सवाल यह है क़ी सुरेश कलमाडी भ्रष्ट हैं और कांग्रेस को पाता नही यह कैसे हो सकता है, यह सच है की बहुत सी बातों के प्रमाण नही होते ..., मसलन राज्यों में चलने वाली राज्य सरकारों को अपनीं पार्टी के केन्द्रीय कार्यालयों को मोटी रकम हर महीनें भिजवानी होती है , ब्लेक एंड व्हाइट कागज पर यह हिसाब कभी नही आता . इस रकम को जुटाने के लिए किया गया काला पीला काम भी सामने नही आता . इस तरह के भ्रष्टाचार खुल जाने पर भी आरोप स्वंय अपने ऊपर लेलिये जाते हैं. पार्टी और ऊपर के नेताओं को बचाया जाता है . यही कहानी इस भ्रष्टाचार की है . सैंकड़ो करोड़ का खर्चा हो रहा है , पार्टी और नेताओं के लिए भी तो देना है.....!
- २००३ में इन खेलों के आयोजन हेतु ६५५ करोड़ का अनुमान था , मन्हगाई , भ्रष्टाचार और हेराफेरी के चलते यह खर्च कहाँ जा कर टिकेगा यह कहना मुश्किल है .
- भ्रष्टाचार की बानगी देखिये क़ी दिवालिया हो चुकी , ए. एम् . फिल्म्स को बिना खाना पूर्ति के ४,५०,००० पौंड का भुगतान कर दिया गया. कलमाडी कह रहे हैं कि यह ठेका और भुगतान उच्चायोग के एक बाबू के कहने पर किया है तो बड़े नेताओं के कहने पर क्या क्या किया होगा ...! इससे सावित होता है कि कलमाडी बहुत ही कमजोर और किसीके भी कहने पर देश के सामान्य कानून से भी खिलबाड़ कर सकते हैं ...?
इसी पंजाब केसरी के स्तंभ आज का छक्का में कृष्ण मित्र ने लिखा गया है ,
कलमाडी के सिर चढ़ा तथाकथित ई-मेल !
घोटाला साबित हुआ, उसी मेल का खेल!!
उसी मेल का खेल , हुआ है फर्जीवाड़ा !
भ्रष्ट व्यवथा ने ही , सारा खेल बिगड़ा !!
भ्रष्टाचारों की जद में सारा आयोजन !
जाँच करेगा स्वंय, उन्हीं का बना कमीशन !!
- कॉमनवेल्थ खेलों में कथित भ्रष्टाचार की खबरों से मुसीबत में फंसे टीएस दरबारी खुद का ‘प्रधानमंत्री राजीव गांधी से करीबी संबंध’ बताते हैं।कॉमनवेल्थ खेलों (सीडब्ल्यूजी) की आयोजन समिति (ओसी) के उप महानिदेशक पद से निलंबन का खतरा झेल रहे दरबारी ने अपनी वेबसाइट बना कर अपना काफी गुणगान किया है।इस क्रम में अपनी वेबसाइट पर वह राजीव गांधी को आज भी ‘प्रधानमंत्री’ ही बता रहे हैं।राजीव गांधी से करीबी?दरबारी रौब जमाने में खूब माहिर हैं। इसके लिए वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं।
- खेल आयोजक समिति उपकरणों और साजो-सामान के लिए इतना किराया चुका रही है, जिसे सुनकर कोई भी हैरत में पड सकता है।एक ट्रेडमिल का किराया दस लाख रूपए और अधिकारियों के लिए इस्तेमाल होने वाले फ्रिज का किराया 42 हजार रूपए चुका रही है।सुरेश कलमाडी और अन्य अधिकारियों के लिए जो कुर्सियां किराए पर ली गई है, उनका किराया 800 रूपए और 100 लीटर की फ्रिज का किराया है केवल 42,000 रूपए। बिजली 80 रूपए प्रति यूनिट बिजली की दरें भी बाजार भाव से काफी ज्यादा दी जा रही हैं। बाजार में बिजली का रेट 8 से 10 रूपए प्रति यूनिट चल रहा है। कॉमनवेल्थ खेलों के लिए बिजली करीब 80 रूपए प्रति यूनिट की दर से ली जा रही है। आयोजन समिति ने 45 दिन के लिए ट्रेड मिल मशीनें प्रति मशीन 9,75,000 रूपए की दर से किराए पर ली है, जबकि दुनिया में सबसे बढिया ट्रेड मिल की कीमत 7 लाख रूपए से अधिक नहीं है।
- कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि पार्टी सांसद कलमाडी आयोजन समिति में कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में काम नहीं कर रहे हैं।
- अरविन्द सीसोदिया
चुप चुप खड़े हो जरुर कोई बात है , यह एक फ़िल्मी गीत था ,
आज सोनिया जी चुप हैं ,
राहुल साहब चुप हैं ,
मनमोहन सिंह चुप हैं.
कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ संसद सदस्य राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाडी पर घन घोर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं और उनके ही सांसद मणिशंकर अय्यर हैं भी भ्रष्टाचार से इतने दुखी हैं कि इस आयोजन के असफल होने की तक कर चके हैं कामना की है . खेल मंत्रालय व लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग भी खिलाफ है . यह सभी संस्थाएं फ़िलहाल तो इन तीनों के ही अंतर्गत हैं . लेकिन कलमाडी इन सबसे बेपरवाह लगते हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय से मिली नसीहत के बावजूद उन्हें न तो खेल मंत्रालय के खिलाफ ताल ठोंकने से कोई गुरेज हैं और न ही विवादों से परे रहने की कोशिस ही वे कर रहें हैं, इस का अर्थ है कि कलमाडी की पीठ पर भी कोई है . इस भ्रष्टाचार कि महा गंगा को वास्तव में कोंन पी रहा है ..? क्यों कि सब कुछ वहां हो रहा है जहाँ कांग्रेस की सर्वे सर्व सोनिया जी रहती हैं , यह बातें उँ तक नहीं पहुच रही होंगी यह हो नही सकता , ५ अगस्त २०१० के पंजाब केसरी के संपादक अश्वनी कुमार ने लिखा है ,
'' पनप चुके गद्दार देश का क्या होगा ?
अंधे पहरेदार देश का क्या होगा ?
लुटेरे पालनहार देश का क्या होगा ?
खादी है खूंखार देश का क्या होगा ?
जनता है लचर देश का क्या होगा ?
प्रश्न यही हर बार देश का क्या होगा ?
उत्तर ढूँढ़ो यार देश का क्या होगा ? "
राष्ट्रमंडल खेलों में हो रहे निरंतर भ्रष्टाचार के बाद अब देश को अपनी इज्जत बचाना मुश्किल हो गया है . कांग्रेस का इतिहास भ्रष्टाचार से भरा हुआ है , इस पार्टी के एक प्रधानमंत्री को भ्रष्टाचार के आरोप में सजा हुई है जिसे बाद में दूसरी अदालत ने दोष मुक्त तो किया मगर भ्रष्टाचार हुआ मना गया. सवाल यह है क़ी सुरेश कलमाडी भ्रष्ट हैं और कांग्रेस को पाता नही यह कैसे हो सकता है, यह सच है की बहुत सी बातों के प्रमाण नही होते ..., मसलन राज्यों में चलने वाली राज्य सरकारों को अपनीं पार्टी के केन्द्रीय कार्यालयों को मोटी रकम हर महीनें भिजवानी होती है , ब्लेक एंड व्हाइट कागज पर यह हिसाब कभी नही आता . इस रकम को जुटाने के लिए किया गया काला पीला काम भी सामने नही आता . इस तरह के भ्रष्टाचार खुल जाने पर भी आरोप स्वंय अपने ऊपर लेलिये जाते हैं. पार्टी और ऊपर के नेताओं को बचाया जाता है . यही कहानी इस भ्रष्टाचार की है . सैंकड़ो करोड़ का खर्चा हो रहा है , पार्टी और नेताओं के लिए भी तो देना है.....!
- २००३ में इन खेलों के आयोजन हेतु ६५५ करोड़ का अनुमान था , मन्हगाई , भ्रष्टाचार और हेराफेरी के चलते यह खर्च कहाँ जा कर टिकेगा यह कहना मुश्किल है .
- भ्रष्टाचार की बानगी देखिये क़ी दिवालिया हो चुकी , ए. एम् . फिल्म्स को बिना खाना पूर्ति के ४,५०,००० पौंड का भुगतान कर दिया गया. कलमाडी कह रहे हैं कि यह ठेका और भुगतान उच्चायोग के एक बाबू के कहने पर किया है तो बड़े नेताओं के कहने पर क्या क्या किया होगा ...! इससे सावित होता है कि कलमाडी बहुत ही कमजोर और किसीके भी कहने पर देश के सामान्य कानून से भी खिलबाड़ कर सकते हैं ...?
इसी पंजाब केसरी के स्तंभ आज का छक्का में कृष्ण मित्र ने लिखा गया है ,
कलमाडी के सिर चढ़ा तथाकथित ई-मेल !
घोटाला साबित हुआ, उसी मेल का खेल!!
उसी मेल का खेल , हुआ है फर्जीवाड़ा !
भ्रष्ट व्यवथा ने ही , सारा खेल बिगड़ा !!
भ्रष्टाचारों की जद में सारा आयोजन !
जाँच करेगा स्वंय, उन्हीं का बना कमीशन !!
- कॉमनवेल्थ खेलों में कथित भ्रष्टाचार की खबरों से मुसीबत में फंसे टीएस दरबारी खुद का ‘प्रधानमंत्री राजीव गांधी से करीबी संबंध’ बताते हैं।कॉमनवेल्थ खेलों (सीडब्ल्यूजी) की आयोजन समिति (ओसी) के उप महानिदेशक पद से निलंबन का खतरा झेल रहे दरबारी ने अपनी वेबसाइट बना कर अपना काफी गुणगान किया है।इस क्रम में अपनी वेबसाइट पर वह राजीव गांधी को आज भी ‘प्रधानमंत्री’ ही बता रहे हैं।राजीव गांधी से करीबी?दरबारी रौब जमाने में खूब माहिर हैं। इसके लिए वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं।
- खेल आयोजक समिति उपकरणों और साजो-सामान के लिए इतना किराया चुका रही है, जिसे सुनकर कोई भी हैरत में पड सकता है।एक ट्रेडमिल का किराया दस लाख रूपए और अधिकारियों के लिए इस्तेमाल होने वाले फ्रिज का किराया 42 हजार रूपए चुका रही है।सुरेश कलमाडी और अन्य अधिकारियों के लिए जो कुर्सियां किराए पर ली गई है, उनका किराया 800 रूपए और 100 लीटर की फ्रिज का किराया है केवल 42,000 रूपए। बिजली 80 रूपए प्रति यूनिट बिजली की दरें भी बाजार भाव से काफी ज्यादा दी जा रही हैं। बाजार में बिजली का रेट 8 से 10 रूपए प्रति यूनिट चल रहा है। कॉमनवेल्थ खेलों के लिए बिजली करीब 80 रूपए प्रति यूनिट की दर से ली जा रही है। आयोजन समिति ने 45 दिन के लिए ट्रेड मिल मशीनें प्रति मशीन 9,75,000 रूपए की दर से किराए पर ली है, जबकि दुनिया में सबसे बढिया ट्रेड मिल की कीमत 7 लाख रूपए से अधिक नहीं है।
- कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि पार्टी सांसद कलमाडी आयोजन समिति में कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में काम नहीं कर रहे हैं।
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