भगवा आतंकवाद कांग्रेस का सियासी खेल,बिहार चुनाव हेतु
भगवा आतंकवाद शब्द
एक सोची समझी साजिस
- अरविन्द सीसोदिया
भगवा आतंकवाद शब्द ही देश को गाली है, इस तरह के शब्द प्रयोग को साम्रदायिकता है, इस पर गंभीर आपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए, भगवा रंग सूर्योदय का रंग है, भगवा रंग आरती का रंग है, भगवा रंग जीवन की आधार भूता अग्नि का रंग है, हिन्दू देवी देवताओं का रंग है, हिन्दू धर्माचार्यों की वेष भूषा का रंग है, भगवा रंग त्याग और बलिदान का रंग है, साधू संतों का रंग है!
केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम की ‘भगवा आतंकवाद’ की परिभाषा को माना जाये तो, व्यक्ती उसके धर्म से अपराधी माना जाएगा या पहचान विशेष से अपराधी माना जाएगा जैसे कि इस्लामिक व्यक्ती के आतंकवाद को 'हरा आतंकवाद' कहा जाएगा , इसाई व्यक्ती के आतंकवाद को 'सफेद आतंकवाद' कहा जाएगा , साम्यवादी व्यक्ती के आतंकवाद को 'लाल आतंकवाद' कहा जाएगा , बौध्य व्यक्ती से जुड़े आतंकवाद को 'कत्थई आतंकवाद' कहा जाएगा ! आतंकवाद को चिन्हित करने या उसके बारे में कहने से पहले पूरा तोल कर बोला जाना चाहिए , जो सही है वह बोला जाना चाहिए , भगवा आतंकवाद शब्द आपने सिर्फ मुस्लिम वोटों की जुगाड़ के वास्ते गडा है .., यह योजना पूर्वक ही आपने ( केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ) बोला है और योजना पूर्वक ही आपने ( कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने ) खंडन किया है..., मूलतः यह कांग्रेस का सियासी खेल है.. ताजा बिहार चुनाव सामने हैं , वहां १५/१६ प्रतिशत वोट मुश्लिम हैं ..., उन चुनावों को सांम्प्रदायिक रंग देने कि साजिस के तोर पर यह बयान केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने दिया है, इसी की प्रतिक्रिया में वोट साधने के लिए बिहार के रामविलास पासवान ने भी समर्थन करने वाला बयान दिया है |
यह इस देश का अपमान है , इस देश के धर्मों - पंथों - मान्यताओं का अपमान है , संत समाज का अपमान है , एसी कोई टिप्पणी इस्लाम के खिलाफ कर दी होती तो अभी तक केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम को हटा दिया गया होता ...., उन्हें हिन्दू समाज से माफ़ी मांगने में भी शर्म आ रही है! मगर पूरे देश का ,देश की पूरी सभ्यता का ,देश की पूरी संस्कृती का अपमान माफ़ी योग्य नही है !
कुछ प्रतिक्रियाएं
केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम की ‘भगवा आतंकवाद’ की परिभाषा खुद कांग्रेस की ओर से खारिज होने के बाद पार्टी के ज्यादातर मुस्लिम सांसदों ने भी भगवा आतंकवाद के टर्म को नकार दिया है। कांग्रेस नेता व राज्यसभा सांसद राशिद अल्वी ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म, मजहब या रंग नहीं हो सकता कहा है। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद का कहना है कि चिंदबरम ने आतंक को भगवा शब्द से जोड़कर देश की संस्कृति, सभ्यता और इतिहास का अपमान किया है। प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट में रामसेतु विवाद की याद दिलाई। उनका कहना था कि पहले कांग्रेस ने राम को काल्पनिक बताते हुए हलफनामा दायर किया और फिर सरकार के मंत्री ही इसके खिलाफ बयान देने लगे और हलफनामे को बदल दिया गया। इसी तरह ‘भगवा’ शब्द के इस्तेमाल पर भी कांग्रेस पार्टी के अंदर विरोध मुखर हो गया है।
मगर इस सारे खेल में कांग्रेस की हिन्दू विरोधी मानसिकता एक दम साफ़ नजर आरही है |
इस देश में 'भगवा आतंकवाद' के रूप में एक नई चीज उभरी है और कई आतंकी वारदात में इसका हाथ रहा है। गृह मंत्री पी. चिदंबरम के दो दिन पुराने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया आने का सिलसिला जारी रहा। विपक्ष ने इस बयान के लिए चिंदबरम को आड़े हाथों लिया, लेकिन कांग्रेस इससे पल्ला झाड़ती दिखी। कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि आतंकवाद का कोई रंग नहीं होता, वह बस 'काला' होता है। आतंकवाद को किसी रंग से नहीं जोड़ा जा सकता। यह विवाद एक शब्द की वजह से हुआ है। राजनीति में शब्दों का चयन सावधानी से करना चाहिए। हर रंग की अपनी अलग परंपरा है। केसरिया या भगवा रंग का भी एक इतिहास है।
बीजेपी के गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ ने भी चिदंबरम को भगवा आतंक बयान पर आड़े हाथों लिया। योगी ने कहा कि चिदंबरम ने ऐसा कहकर देश की संस्कृति और साधू संतों का अपमान किया है। सबसे पहले तो चिदंबरम के ही जांच होनी चाहिए। मुझे लगता है कि चिदंबरम का दिमाग खराब हो गया है उनके दिमाग की जांच होनी चाहिए।
इसाई पोप कि वह घोषणा......
हिन्दुत्व के विरुध गहरी साजिस पहचानें...
विश्व की तमाम शक्तियाँ, आपस में कितनी ही प्रतिद्वन्दी क्यों न हों पर वे सभी एक मामले में एक हैं... वह है हिंदुत्व..! हिन्दुत्व का भय उन्हें क्यों है यह समझसे परे है, लगता है कि हिंदुत्व उन सभी से श्रेष्ट है यही एक वजह है....!!! यह सत्य पर आधारित है इसलिए या यों कहें कि यह पूर्ण वैज्ञानिक है इसलिए ...! जो भी है हिंदुत्व या भारतीयता के, जो भी पोषक तत्व हैं , सस्थाएं हैं , राजनैतिक दल हैं और व्यक्तीं हैं ...! वे सभी इनके निशानें पर हैं , चाहे इसाई विस्तार वादी हों , चाहे इस्लामिक विस्तार वाद हो या साम्यवादी विस्तार वाद हो , सबके निशाने पर हिंदुत्व है ...! भारत या हिन्दू निशाने पर आने का कारण है , इसाई पोप कि वह घोषणा जिसमे उन्होंने २००१ से प्रारंभ हुई सहस्त्रावदी में एसिया महाद्वीप को इसाई बनाने का आव्हान किया और उअका प्रवेश द्वार भारत को बताया ...!! हमें याद रहना चाहिए कि पहली सहस्त्रावदी में यूरोप को , दूसरी सहस्त्रावदी में दोनों अमेरिका , आस्ट्रेलिया और अफ्रीका को इसी बनाया गया था .. अब एसिया पर कुद्रष्टि है..! जिसकी खुली घोषणा कि गई है ..!! इस कारण विश्व कि तीनों महाशक्तियों का रण क्षैत्र भारत बन गया है और उसमें भी हिन्दू ...! दुर्भाग्यवश हमारे देश में जो राजनैतिक दल हैं वे भी इन ताकतों के ही ओजार बन गए हैं ..! इन्ही ताकतों के वित् पोषण में फंसा मीडिया भी वही करता है जो ये ताकतें कहतीं हैं ...!! कई सारे संगठन भी इन्होनें इसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए खड़े किये हैं जिनके औजार , तथा कथित सामाजिक कार्यकर्ता हैं ...!! भगवा आतंकवाद शब्द भी इन्ही ताकतों की उपज है , इसी शब्द को भारत के गृहमंत्री के द्वारा बोला जाना भी एक सोची समझी साजिस है ..!!
भगवा ध्वज ऐतिहासिक
भगवा ध्वज भारत का ऐतिहासिक एवं सांस्कृति ध्वज है। यह हिन्दुओं के महान प्रतीकों में से एक है। इसका रंग भगवा (saffron) होता है। यह त्याग, बलिदान, ज्ञान, शुद्धता एवं सेवा का प्रतीक है। यह हिंदुस्थानी संस्कृति का शास्वत सर्वमान्य प्रतीक है। हजारों हजारों सालों से भारत के शूरवीरों ने इसी भगवा ध्वज की छाया में लड़कर देश की रक्षा के लिए प्राण न्यौछावर किये।भगवा ध्वज, हिन्दू संस्कृति एवं धर्म का शाश्वत प्रतीक है। यही ध्वज सभी मन्दिरों, आश्रमों में लगता है। शिवाजी की सेना का यही ध्वज था; राम, कृष्ण और अर्जुन के रथों का यही ध्वज है।
भगवा ध्वज दो त्रिकोणों से मिलकर बना है जिसमें से उपर वाला त्रिकोण नीचे वाले त्रिकोण से छोटा होता है। ध्वज का भगवा रंग उगते हुए सूर्य का रंग है; आग का रंग है। उगते सूर्य का रंग और उसे ज्ञान, वीरता का प्रतीक माना गया और इसीलिए हमारे पूर्वजों ने इसे इसे प्रेरणा स्वरूप माना। ज्ञात हो तो मौलाना अबुल कलाम आजाद ने इसी भगवा ध्वज को स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रीय ध्वज स्वीकार करने का आग्रह किया था।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भगवा ध्वज को ही अपना गुरू माना है। संघ की शाखाओं में इसी ध्वज को लगाया जाता है, इसका ही वन्दन होता है और इसी ध्वज को साक्षी मानकर सारे कार्य किये जाते हैं।
एक सोची समझी साजिस
- अरविन्द सीसोदिया
भगवा आतंकवाद शब्द ही देश को गाली है, इस तरह के शब्द प्रयोग को साम्रदायिकता है, इस पर गंभीर आपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए, भगवा रंग सूर्योदय का रंग है, भगवा रंग आरती का रंग है, भगवा रंग जीवन की आधार भूता अग्नि का रंग है, हिन्दू देवी देवताओं का रंग है, हिन्दू धर्माचार्यों की वेष भूषा का रंग है, भगवा रंग त्याग और बलिदान का रंग है, साधू संतों का रंग है!
केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम की ‘भगवा आतंकवाद’ की परिभाषा को माना जाये तो, व्यक्ती उसके धर्म से अपराधी माना जाएगा या पहचान विशेष से अपराधी माना जाएगा जैसे कि इस्लामिक व्यक्ती के आतंकवाद को 'हरा आतंकवाद' कहा जाएगा , इसाई व्यक्ती के आतंकवाद को 'सफेद आतंकवाद' कहा जाएगा , साम्यवादी व्यक्ती के आतंकवाद को 'लाल आतंकवाद' कहा जाएगा , बौध्य व्यक्ती से जुड़े आतंकवाद को 'कत्थई आतंकवाद' कहा जाएगा ! आतंकवाद को चिन्हित करने या उसके बारे में कहने से पहले पूरा तोल कर बोला जाना चाहिए , जो सही है वह बोला जाना चाहिए , भगवा आतंकवाद शब्द आपने सिर्फ मुस्लिम वोटों की जुगाड़ के वास्ते गडा है .., यह योजना पूर्वक ही आपने ( केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ) बोला है और योजना पूर्वक ही आपने ( कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने ) खंडन किया है..., मूलतः यह कांग्रेस का सियासी खेल है.. ताजा बिहार चुनाव सामने हैं , वहां १५/१६ प्रतिशत वोट मुश्लिम हैं ..., उन चुनावों को सांम्प्रदायिक रंग देने कि साजिस के तोर पर यह बयान केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने दिया है, इसी की प्रतिक्रिया में वोट साधने के लिए बिहार के रामविलास पासवान ने भी समर्थन करने वाला बयान दिया है |
यह इस देश का अपमान है , इस देश के धर्मों - पंथों - मान्यताओं का अपमान है , संत समाज का अपमान है , एसी कोई टिप्पणी इस्लाम के खिलाफ कर दी होती तो अभी तक केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम को हटा दिया गया होता ...., उन्हें हिन्दू समाज से माफ़ी मांगने में भी शर्म आ रही है! मगर पूरे देश का ,देश की पूरी सभ्यता का ,देश की पूरी संस्कृती का अपमान माफ़ी योग्य नही है !
कुछ प्रतिक्रियाएं
केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम की ‘भगवा आतंकवाद’ की परिभाषा खुद कांग्रेस की ओर से खारिज होने के बाद पार्टी के ज्यादातर मुस्लिम सांसदों ने भी भगवा आतंकवाद के टर्म को नकार दिया है। कांग्रेस नेता व राज्यसभा सांसद राशिद अल्वी ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म, मजहब या रंग नहीं हो सकता कहा है। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद का कहना है कि चिंदबरम ने आतंक को भगवा शब्द से जोड़कर देश की संस्कृति, सभ्यता और इतिहास का अपमान किया है। प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट में रामसेतु विवाद की याद दिलाई। उनका कहना था कि पहले कांग्रेस ने राम को काल्पनिक बताते हुए हलफनामा दायर किया और फिर सरकार के मंत्री ही इसके खिलाफ बयान देने लगे और हलफनामे को बदल दिया गया। इसी तरह ‘भगवा’ शब्द के इस्तेमाल पर भी कांग्रेस पार्टी के अंदर विरोध मुखर हो गया है।
मगर इस सारे खेल में कांग्रेस की हिन्दू विरोधी मानसिकता एक दम साफ़ नजर आरही है |
इस देश में 'भगवा आतंकवाद' के रूप में एक नई चीज उभरी है और कई आतंकी वारदात में इसका हाथ रहा है। गृह मंत्री पी. चिदंबरम के दो दिन पुराने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया आने का सिलसिला जारी रहा। विपक्ष ने इस बयान के लिए चिंदबरम को आड़े हाथों लिया, लेकिन कांग्रेस इससे पल्ला झाड़ती दिखी। कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि आतंकवाद का कोई रंग नहीं होता, वह बस 'काला' होता है। आतंकवाद को किसी रंग से नहीं जोड़ा जा सकता। यह विवाद एक शब्द की वजह से हुआ है। राजनीति में शब्दों का चयन सावधानी से करना चाहिए। हर रंग की अपनी अलग परंपरा है। केसरिया या भगवा रंग का भी एक इतिहास है।
बीजेपी के गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ ने भी चिदंबरम को भगवा आतंक बयान पर आड़े हाथों लिया। योगी ने कहा कि चिदंबरम ने ऐसा कहकर देश की संस्कृति और साधू संतों का अपमान किया है। सबसे पहले तो चिदंबरम के ही जांच होनी चाहिए। मुझे लगता है कि चिदंबरम का दिमाग खराब हो गया है उनके दिमाग की जांच होनी चाहिए।
इसाई पोप कि वह घोषणा......
हिन्दुत्व के विरुध गहरी साजिस पहचानें...
विश्व की तमाम शक्तियाँ, आपस में कितनी ही प्रतिद्वन्दी क्यों न हों पर वे सभी एक मामले में एक हैं... वह है हिंदुत्व..! हिन्दुत्व का भय उन्हें क्यों है यह समझसे परे है, लगता है कि हिंदुत्व उन सभी से श्रेष्ट है यही एक वजह है....!!! यह सत्य पर आधारित है इसलिए या यों कहें कि यह पूर्ण वैज्ञानिक है इसलिए ...! जो भी है हिंदुत्व या भारतीयता के, जो भी पोषक तत्व हैं , सस्थाएं हैं , राजनैतिक दल हैं और व्यक्तीं हैं ...! वे सभी इनके निशानें पर हैं , चाहे इसाई विस्तार वादी हों , चाहे इस्लामिक विस्तार वाद हो या साम्यवादी विस्तार वाद हो , सबके निशाने पर हिंदुत्व है ...! भारत या हिन्दू निशाने पर आने का कारण है , इसाई पोप कि वह घोषणा जिसमे उन्होंने २००१ से प्रारंभ हुई सहस्त्रावदी में एसिया महाद्वीप को इसाई बनाने का आव्हान किया और उअका प्रवेश द्वार भारत को बताया ...!! हमें याद रहना चाहिए कि पहली सहस्त्रावदी में यूरोप को , दूसरी सहस्त्रावदी में दोनों अमेरिका , आस्ट्रेलिया और अफ्रीका को इसी बनाया गया था .. अब एसिया पर कुद्रष्टि है..! जिसकी खुली घोषणा कि गई है ..!! इस कारण विश्व कि तीनों महाशक्तियों का रण क्षैत्र भारत बन गया है और उसमें भी हिन्दू ...! दुर्भाग्यवश हमारे देश में जो राजनैतिक दल हैं वे भी इन ताकतों के ही ओजार बन गए हैं ..! इन्ही ताकतों के वित् पोषण में फंसा मीडिया भी वही करता है जो ये ताकतें कहतीं हैं ...!! कई सारे संगठन भी इन्होनें इसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए खड़े किये हैं जिनके औजार , तथा कथित सामाजिक कार्यकर्ता हैं ...!! भगवा आतंकवाद शब्द भी इन्ही ताकतों की उपज है , इसी शब्द को भारत के गृहमंत्री के द्वारा बोला जाना भी एक सोची समझी साजिस है ..!!
भगवा ध्वज ऐतिहासिक
भगवा ध्वज भारत का ऐतिहासिक एवं सांस्कृति ध्वज है। यह हिन्दुओं के महान प्रतीकों में से एक है। इसका रंग भगवा (saffron) होता है। यह त्याग, बलिदान, ज्ञान, शुद्धता एवं सेवा का प्रतीक है। यह हिंदुस्थानी संस्कृति का शास्वत सर्वमान्य प्रतीक है। हजारों हजारों सालों से भारत के शूरवीरों ने इसी भगवा ध्वज की छाया में लड़कर देश की रक्षा के लिए प्राण न्यौछावर किये।भगवा ध्वज, हिन्दू संस्कृति एवं धर्म का शाश्वत प्रतीक है। यही ध्वज सभी मन्दिरों, आश्रमों में लगता है। शिवाजी की सेना का यही ध्वज था; राम, कृष्ण और अर्जुन के रथों का यही ध्वज है।
भगवा ध्वज दो त्रिकोणों से मिलकर बना है जिसमें से उपर वाला त्रिकोण नीचे वाले त्रिकोण से छोटा होता है। ध्वज का भगवा रंग उगते हुए सूर्य का रंग है; आग का रंग है। उगते सूर्य का रंग और उसे ज्ञान, वीरता का प्रतीक माना गया और इसीलिए हमारे पूर्वजों ने इसे इसे प्रेरणा स्वरूप माना। ज्ञात हो तो मौलाना अबुल कलाम आजाद ने इसी भगवा ध्वज को स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रीय ध्वज स्वीकार करने का आग्रह किया था।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भगवा ध्वज को ही अपना गुरू माना है। संघ की शाखाओं में इसी ध्वज को लगाया जाता है, इसका ही वन्दन होता है और इसी ध्वज को साक्षी मानकर सारे कार्य किये जाते हैं।
Sir main AApse puri trah sahmat hun. AApki ye post mujhe bahut achhi lagi.
जवाब देंहटाएंआपने मरे ब्लॉग की रचना पर टिप्पणी कर मेरा उत्साहवर्धन किया है | जिसका में धन्यवाद प्रेषित करता हूँ , भविष्य में भी इसी तरह मार्गदर्शन करते रहेंगे, इस तरह का मेरा आग्रह है!!
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