एनकाउन्टर की जांच में दोहरा मापदंड क्यों...??
ममता के प्रश्न का उत्तर आना चाहिए..?
- अरविन्द सीसोदिया
नक्सली नेता चेरुकुरी राजकुमार उर्फ आजाद के एक मुठभेड़ में मारे जाने के संदर्भ में तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और रेलमंत्री ममता बनर्जी के सोमवार को उठाये प्रश्न पर भले ही मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में हंगामा हुआ और विपक्ष ने इस मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से स्पष्टीकरण की मांग की हो, मगर यह तो आरोप आ ही गया कि कांग्रेस की आंध्रप्रदेश की सरकार ने यह फर्जी एनकाउन्टर किया है . सामान्य व्यक्ति ने नही केंद्र सरकार के केबीनेट मंत्री ने यह आरोप लगाया है.केबिनेट मंत्री के आरोप कि जाँच भी सामान्य पुलिस नही कर सकती उसकी बात की जाँच सी बी आई ही कर सकती है , जबाब तो इतना ही आना है कि क्या सरकार मुठभेड़ कि जाँच करेगी की यह सही थी या फर्जी थी ...? एक तरफ आप सोहराबुद्दीन शेख के मामले में गुजरात के मंत्री तक को गिरिफ्तर कर रहे हो , दूसरी तरफ आप मुंह भी नही खोलना चाहते ..? दोहरा मापदंड क्यों...?? भाजपा और कांग्रेस कि राज्य सरकारों के मामलों में अलग अलग द्रष्टी क्यों ..? हिन्दू और मुस्लिम में अलग अलग द्रष्टि क्यों..?? जब यह सा दिखेगा तो लिखा ही जायेगा, सोहराबुद्दीन शेख के मामले में आंध्र प्रदेश कि पुलिस के भी जवान शामिल माने गए थे आप ने कांग्रेस को बचने के लिए, सी बी आई से उनसे पूछताछ नहीं की क्यों ...? . यह अंधेर गर्दी नही चलने वाली , आपका गंभीर मामलों में नो सिखियपन स्पष्ट छलक रहा है , गंभीर मामलों में आप फंसते ज रहें हैं ,आप के पास उत्तर नहीं हैं , आप चुप हैं , चुप भी स्वीकारोक्ती ही मानी जाती है .
रेल मंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने ९-०८-१० सोमवार को पिछले महीने नक्सलियों के प्रवक्ता चेरुकुरी राजकुमार उर्फ आजाद को 'मारने' के लिए अपनाए गए 'तरीके' की निंदा की। गौरतलब है कि पुलिस का दावा रहा है कि नक्सलियों के तीसरे नंबर के नेता आजाद आंध्र प्रदेश के आदिलाबाद जिले के जंगलों में मुठभेड़ में मारा गया था।
पश्चिमी मिदनापुर जिले में एक विशाल रैली में उन्होंने कहा, ''मैं महसूस करती हूं कि जिस तरह आजाद को मारा गया वह ठीक नहीं है।'' उन्होंने नक्सलियों के इस आरोप का लगभग समर्थन किया कि आजाद को फर्जी मुठभेड़ में मारा गया। बनर्जी ने कहा कि नक्सलियों और सरकार के बीच वार्ता के मध्यस्थ सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने आजाद को वार्ता के लिए तैयार किया था।नक्सल समर्थक जनजातीय संस्था पुलिस संत्रास विरोधी जन समिति (पीसीएपीए) ने इस रैली को समर्थन दिया। इस रैली में अग्निवेश, मेधा पाटकर और नक्सल समर्थक लेखिका महाश्वेता देवी जैसे कई सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे। अग्निवेश ने आजाद के मारे जाने की घटना की न्यायिक जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया कि प्रशासन ने अपने संचार माध्यमों का इस्तेमाल करके नक्सली नेता का पता लगाया और उसे मार दिया। नक्सलियों का कहना है कि आजाद और एक अन्य कार्यकर्ता हेमचंद्र पांडे को पुलिस ने गत एक जुलाई को नागपुर से उठाया था और अगले दिन आदिलाबाद में मार डाला था।
- सवाल यह है की आजाद और हेमेन्द्र पण्डे का एनकाउन्टर सही था या फर्जी, इसकी जाँच होनी चाहिए..! गुजरात में कुछ और आन्ध्र में कुछ , यह नही हो सकता , सर्वोच्च न्यायालय स्वंय खबर और आरोप के आधार पर यह जाँच सी बी आई से करवाए .पाकिस्तान का आक्रमण करी भी आप ने जिन्दा पकड़ लिया है तो , उस प्रकरण का डिस्पोजल एक नियम से ही होगा . आप चिन्हित आरोपियों को सार्वजानिक सूचना के द्वारा, आपके आरोपों को खुलाशा करते हुए , आत्म समर्पण को प्रेरित करें , अवेहेलना पर परिणाम भुगतने की बात कहें . कानूनी फोर्मेट में ही होना चाहिए .
- अरविन्द सीसोदिया
नक्सली नेता चेरुकुरी राजकुमार उर्फ आजाद के एक मुठभेड़ में मारे जाने के संदर्भ में तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और रेलमंत्री ममता बनर्जी के सोमवार को उठाये प्रश्न पर भले ही मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में हंगामा हुआ और विपक्ष ने इस मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से स्पष्टीकरण की मांग की हो, मगर यह तो आरोप आ ही गया कि कांग्रेस की आंध्रप्रदेश की सरकार ने यह फर्जी एनकाउन्टर किया है . सामान्य व्यक्ति ने नही केंद्र सरकार के केबीनेट मंत्री ने यह आरोप लगाया है.केबिनेट मंत्री के आरोप कि जाँच भी सामान्य पुलिस नही कर सकती उसकी बात की जाँच सी बी आई ही कर सकती है , जबाब तो इतना ही आना है कि क्या सरकार मुठभेड़ कि जाँच करेगी की यह सही थी या फर्जी थी ...? एक तरफ आप सोहराबुद्दीन शेख के मामले में गुजरात के मंत्री तक को गिरिफ्तर कर रहे हो , दूसरी तरफ आप मुंह भी नही खोलना चाहते ..? दोहरा मापदंड क्यों...?? भाजपा और कांग्रेस कि राज्य सरकारों के मामलों में अलग अलग द्रष्टी क्यों ..? हिन्दू और मुस्लिम में अलग अलग द्रष्टि क्यों..?? जब यह सा दिखेगा तो लिखा ही जायेगा, सोहराबुद्दीन शेख के मामले में आंध्र प्रदेश कि पुलिस के भी जवान शामिल माने गए थे आप ने कांग्रेस को बचने के लिए, सी बी आई से उनसे पूछताछ नहीं की क्यों ...? . यह अंधेर गर्दी नही चलने वाली , आपका गंभीर मामलों में नो सिखियपन स्पष्ट छलक रहा है , गंभीर मामलों में आप फंसते ज रहें हैं ,आप के पास उत्तर नहीं हैं , आप चुप हैं , चुप भी स्वीकारोक्ती ही मानी जाती है .
रेल मंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने ९-०८-१० सोमवार को पिछले महीने नक्सलियों के प्रवक्ता चेरुकुरी राजकुमार उर्फ आजाद को 'मारने' के लिए अपनाए गए 'तरीके' की निंदा की। गौरतलब है कि पुलिस का दावा रहा है कि नक्सलियों के तीसरे नंबर के नेता आजाद आंध्र प्रदेश के आदिलाबाद जिले के जंगलों में मुठभेड़ में मारा गया था।
पश्चिमी मिदनापुर जिले में एक विशाल रैली में उन्होंने कहा, ''मैं महसूस करती हूं कि जिस तरह आजाद को मारा गया वह ठीक नहीं है।'' उन्होंने नक्सलियों के इस आरोप का लगभग समर्थन किया कि आजाद को फर्जी मुठभेड़ में मारा गया। बनर्जी ने कहा कि नक्सलियों और सरकार के बीच वार्ता के मध्यस्थ सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने आजाद को वार्ता के लिए तैयार किया था।नक्सल समर्थक जनजातीय संस्था पुलिस संत्रास विरोधी जन समिति (पीसीएपीए) ने इस रैली को समर्थन दिया। इस रैली में अग्निवेश, मेधा पाटकर और नक्सल समर्थक लेखिका महाश्वेता देवी जैसे कई सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे। अग्निवेश ने आजाद के मारे जाने की घटना की न्यायिक जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया कि प्रशासन ने अपने संचार माध्यमों का इस्तेमाल करके नक्सली नेता का पता लगाया और उसे मार दिया। नक्सलियों का कहना है कि आजाद और एक अन्य कार्यकर्ता हेमचंद्र पांडे को पुलिस ने गत एक जुलाई को नागपुर से उठाया था और अगले दिन आदिलाबाद में मार डाला था।
- सवाल यह है की आजाद और हेमेन्द्र पण्डे का एनकाउन्टर सही था या फर्जी, इसकी जाँच होनी चाहिए..! गुजरात में कुछ और आन्ध्र में कुछ , यह नही हो सकता , सर्वोच्च न्यायालय स्वंय खबर और आरोप के आधार पर यह जाँच सी बी आई से करवाए .पाकिस्तान का आक्रमण करी भी आप ने जिन्दा पकड़ लिया है तो , उस प्रकरण का डिस्पोजल एक नियम से ही होगा . आप चिन्हित आरोपियों को सार्वजानिक सूचना के द्वारा, आपके आरोपों को खुलाशा करते हुए , आत्म समर्पण को प्रेरित करें , अवेहेलना पर परिणाम भुगतने की बात कहें . कानूनी फोर्मेट में ही होना चाहिए .
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें