पूर्व संघचालक माननीय सुदर्शन जी का निधन


कोटा प्रवास के दौरान,पत्रकारवार्ता सम्बोधित करते हुये, माननीय सुदर्शन जी !
माननीय सुदर्शन जी के निधन का समाचार बहुत दुखद है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांती प्रदान करे।
वे प्रखर राष्ट्रवादी और सच्चे वक्ता थे। उन्होने देशहित में कई येशे सत्य कथन कहने का साहस किया जिस पर मीडिया भी मौन था। उन्हे बहुत बहुत श्रृद्धांजली ।


  पूर्व संघचालक के एस सुदर्शन का शनिवार सुबह साढ़े छह बजे छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में निधन हो गया। नागपुर में रविवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। आरएसएस के प्रवक्ता राम राघव ने बताया कि वह सुबह जब मॉर्निग वॉक से लौट कर आए थे, तभी वह कुछ थकावट और बैचेनी महसूस कर रहे थे। कुछ देर बाद उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए। राघव ने बताया कि उनकी पार्थिव देह को अंतिम संस्कार से पूर्व जनता के दर्शनों के लिए रखा जाएगा। उनके निधन पर भाजपा ने शोक जताया है।
सुदर्शन आरएसएस में एक हार्डलाइनर के तौर पर जाने जाते थे। अपने फैसले और कड़े बयानों की वजह से वह हमेशा सुर्खियों में रहे। संघ प्रमुख पद पर रहने के दौरान ही उन्होंने लाल कृष्ण आडवाणी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को पार्टी में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए जगह खाली करने की भी हिदायत दी थी।
सुदर्शन उन संघ प्रमुखों में एक थे, जिन्होंने कभी किसी की परवाह नहीं की और सरकार और पार्टी पर बेबाक टिप्पणी भी की। एनडीए की सरकार के दौरान वह तब सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने सरकार की उसकी गलत नीतियों के चलते कड़ी आलोचना की थी। इसके अलावा भी वह सरकार और पार्टी को समय-समय पर नसीहत देते दिखाई दिए थे।
सर संघचालक पद पर बने रहने के दौरान उन्होंने एक बार कहा था कि वह अपना काम इसलिए बेहतर तरीके से कर पाते हैं, क्योंकि उनके वरिष्ठ उनका पूरा साथ देते हैं।
जीवन परिचय रू-
के एस सुदर्शन का पूरा नाम कुप्पाली सीतारमैया सुदर्शन था। उनका जन्म 18 जून 1931 में तत्कालीन मध्यप्रदेश मौजूदा छत्तीसगढ, के रायपुर जिले में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने सागर विश्वविद्यालय से टेलीकम्यूनिकेशन में बीटेक की डिग्री हासिल की। लेकिन हिंदुत्व की ओर ज्यादा झुकाव होने की वजह से अपनी पढ़ाई से इतर आरएसएस में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए इसमें शामिल हो गए।
सुदर्शन और  आरएसएस
1954 में वह पहली बार आरएसएस से प्रचारक के तौर पर जुड़े थे। इसके दस वर्ष बाद 1964 में उन्हें आरएसएस में मध्य भारत का प्रांत प्रचारक बना दिया गया। 1969 में उन्हें ऑल इंडिया आर्गेनाइजेशन का कंवेनर बनाया गया। वह इस पद पर करीब उन्नीस वर्ष तक रहे। 1990 में उन्हें संघ का  कार्यवाह  नियुक्त किया गया। के एस सुदर्शन 10 मार्च 2000 को आरएसएस के सर संचालक पद के लिए चुने गए थे। वह राजेंद्र सिंह की जगह इस पद के लिए चुने गए थे, उन्हें अपनी खराब सेहत के चलते इस पद से हटना पड़ा था।

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

Veer Bal Diwas वीर बाल दिवस और बलिदानी सप्ताह

जन गण मन : राजस्थान का जिक्र तक नहीं

अटलजी का सपना साकार करते मोदीजी, भजनलालजी और मोहन यादव जी

इंडी गठबन्धन तीन टुकड़ों में बंटेगा - अरविन्द सिसोदिया

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

स्वामी विवेकानंद और राष्ट्रवाद Swami Vivekananda and Nationalism