आरक्षण पर प्रतिबंध लगाने वाली याचिका स्वीकार






आरक्षण का सच यही कि हर क्षेत्र में वास्तविक व्यक्ति को कोई फायदा नहीं मिला हे , राजनीती में धन सम्पन्न वर्ग का प्रभुत्व हे । इस लिए न्यायालय  ही कुछ कर सकता हे । 

सुप्रीम कोर्ट ने देश में 62 वर्षों से जारी जातिवादी
आरक्षण पर प्रतिबंध लगाने वाली याचिका को स्वीकार कर लिया है। इस मामले पर 1 जुलाई को सुनवाई होनी है। याचिकाकर्ता रामदुलार झा ने बताया कि देश की 543 संसदीय सीटों में से 126 संसदीय और 4920 विधानसभा सीटों में से 1155 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। इसका उद्देश्य उन लोगों को लाभ पहुंचाना है जो वास्तव में दलित हैं | लेकिन धरातल पर अनुसूचित जाति व जनजाति के संभ्रांत लोग ही इसका फायदा उठाते रहे हैं और चुनाव में सफल होते रहे हैं। इस कारण जो दलित आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़े हैं उनकी स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। उन्होंने बताया कि जिन दलितों को फायदा नहीं मिल रहा है और जो इसके हकदार हैं| उनकी संख्या 95 प्रतिशत से भी अधिक है। दलितों के प्रति यह एक तरह का अन्याय और कानून का दुरुपयोग है। झा के अनुसारए दलितों पर हो रहे अन्याय और कानून के दुरुपयोग के लिए जातिवादी आरक्षण पर प्रतिबंध जरूरी है तभी दलितों को उनका समुचित अधिकार मिल पाएगा।

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