धारादेवी { माँ काली } मंदिर हटाने से रुष्ट देवी का प्रकोप : देवभूमी उत्तराखण्ड प्रलय






धारी देवी मूलत: काली मां  का ही स्वरूप हे और देवभूमि  यात्रा पर आये श्रधालुओं की रक्षा करती हें  । http://www.downtoearth.org.in 
धारी देवी मूलतः काली मां का ही स्वरूप हैं और उत्तराखंड के लोगों तथा देवभूमि की यात्रा पर आये श्रृद्धालुओं की रक्षा करती हें , यह सिद्धपीठ अलकनंदा नदी पर बन रही एक जल परियोजना की डूब में आ गया है, इसे बचानें के लिये कई वर्षों से बडा जन संर्घष चल रहा है। केन्द्र सरकार सुन नही रही है। इसे बचाने के लिये राष्ट्रपति महोदय और प्रधानमंत्री महोदय से भी भाजपा के वरिष्ठ नेता गण मिल चुके हैं। मगर एक नहीं सुनी गई और भारत सरकार के एक मंत्रालय ने रोक हटवा कर धारा देवी प्रतिमा को हटवा दिया । जिसके चलते इधर धारा देवी की प्रतिमा हटी और उधर उत्तराखंड प्रलय की चपेट में आ गया । देखने वाली बात यह है कि मां काली के इस प्रकोप में मात्र केदारनाथ का शिव मंदिर ही छोडा है। बांकी सब नष्ट हो गया ।
स्वाल यह है कि हिन्दू समाज के इस महत्वपूर्ण मंदिर के साथ इतनी बडी छेडछाड क्यों हुई ?

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धारी देवी पर संतों के तेवर तीखे May 11, 2013
हरिद्वार। धारी देवी मंदिर को बचाने के लिए संतों सहित विभिन्न संगठनों ने आवाज उठाई है। संतों ने ऐलान किया कि धारी देवी मंदिर को डूबने नहीं दिया जाएगा। अगर मंदिर को सरकार ने नहीं बचाया तो आंदोलन किया जाएगा।
गुरुवार को हुई संतों की बैठक में पूर्व गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने कहा कि धारी देवी उत्तराखंड की रक्षक है आज उसी पर संकट है। उन्होंने कहा कि मंदिर को बचाकर भी बिजली परियोजना पूरी की जा सकती है। केंद्र सरकार ने पिछले साल मंदिर को बचाने का आश्वासन दिया था। स्वयं प्रधानमंत्री ने भी धारी देवी मंदिर को न डूबने देने की बात कही थी। स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने कहा कि सरकार के आश्वासन के बाद भी ऐसी सूचनाएं मिल रही हैं कि सरकार 13 मई को बिजली परियोजनाओं के नाम पर धारी देवी मंदिर का अस्तित्व मिटाने का काम करने वाली है। उन्होंने कहा कि आस्था व विकास में संतुलन कायम करके भी विकास किया जा सकता है। महामंडलेश्वर कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने कहा कि बिजली परियोजना की डीपीआर में धारी देवी डूब क्षेत्र में नहीं था। अब सरकार उसे डुबोने जा रही है। संतों ने कहा कि अगर तेरह मई को धारी देवी मंदिर को डुबाया तो उसका तीखा विरोध किया जाएगा। अखंड बोध गंगा आश्रम ने भी धारी देवी मंदिर को डूबने देने का विरोध किया है। साध्वी गंगादास, साध्वी सुशीला उदासीन, स्वामी वेदांतानंद, स्वामी योगेश्वराश्रम, स्वामी विज्ञानानंद, ब्रह्मचारिणी समर्पिता ने कहा कि निजी स्वार्थो के लिए मंदिर को नहीं डूबने दिया जाएगा। पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती की ओर से भी बयान जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर केंद्र व प्रदेश सरकार बांध, नहर व सुरंग में गंगा को कैद करने का प्रयास कर रही है। सरकार के फैसले देश के लिए घातक हैं। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक और सामाजिक धरातल पर इस तरह के फैसले गलत हैं।
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धारी देवी मंदिर की अपलिफ्टिंग का रास्ता साफ
Sat, 18 May 2013
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के तहत धारी देवी मंदिर अपलिफ्टिंग मामले में नया मोड़ आ गया है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय सात दिन पहले मंदिर के अपलिफ्टिंग पर लगाई रोक हटाने पर तैयार हो गया।
बीती 13 मई को सिद्धपीठ धारी देवी मंदिर का अपलिफ्टिंग प्रस्तावित था, लेकिन इससे पहले ही केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 10 मई को अपलिफ्टिंग के साथ ही वहां चल रहे तमाम निर्माण कार्यो पर भी रोक लगा दी थी। इस बाबत मंत्रालय के स्तर पर श्रीनगर जलविद्युत परियोजना की निर्माणदायी कंपनी को लिखित आदेश जारी भी कर दिए गए थे। दरअसल, श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के निर्माण का रास्ता साफ करने के लिए धारी मंदिर को अफलिफ्ट किए जाने की योजना है।
पर्यावरण मंत्रालय के फैसले के खिलाफ निर्माणदायी कंपनी अलकनंदा हाइड्रो पावर कारपोरेशन लिमिटेड (एएचपीसी) ने उसी दिन यानि 10 मई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी।
गुरुवार को इस मामले में सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्ण और दीपक मिश्रा की दो सदस्यीय खंडपीठ ने पर्यावरण मंत्रालय से मंदिर के अपलिफ्टिंग पर रोक लगाने का कारण पूछा। केंद्र सरकार की तरफ से कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका को इसका कारण बताया गया। दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को रोक वापस लेने अन्यथा कोर्ट से रोक निरस्त करने की बात कही। इस पर पर्यावरण मंत्रालय रोक हटाने पर तैयार हो गया। गौरतलब है कि बांध का 90 फीसद कार्य पूरा हो चुका है और क्षेत्रीय लोग बांध का खुलकर समर्थन कर रहे हैं।
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किसी भी कीमत पर बचाएं धारी देवी मंदिर: उमा
Fri, 03 May 2013
लखनऊ| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और गंगा अभियान की संयोजक उमा भारती ने शुक्रवार को कहा कि उत्तराखंड की रक्षक देवी 'धारी देवी' की मंदिर को हर हालत में बचाया जाना चाहिए। उमा भारती ने शुक्रवार को जारी अपने बयान में धारी देवी मंदिर बचाने की मांग की।
उमा ने कहा कि धारी देवी मंदिर को बचाने का आश्वासन प्रधानमंत्री ने भी दिया था। इस सिलसिले में पिछले साल 7 जुलाई को वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के साथ वह खुद प्रधानमंत्री से मिली थीं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया था कि श्रीनगर बिजली परियोजना के लिए धारी देवी मंदिर से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। हाल में सूचना मिली है कि उत्तराखंड सरकार आगामी 13 मई को परियोजना के नाम पर धारी देवी मंदिर को तोड़ने जा रही है। उमा ने कहा कि प्रधानमंत्री के आश्वासनों और अपेक्षाओं के अनुरूप धारी देवी मंदिर की हर सूरत में रक्षा की जानी चाहिए।
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गंगा नदी को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किये जाने की मांग उठी
19 Jun 2013
उमा भारती ने कहा कि उत्तराखंड की रक्षक धारी देवी मंदिर को नष्ट करने का प्रयास करने का दुष्परिणाम देखने को मिला है. आज आयोजित गंगा शिखर सम्मेलन में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि गंगा नदी को बिना समय गंवाये राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए। प्रस्ताव के अनुसार, उत्तराखंड में आए जल प्रलय की चेतावनी को समझने और इससे सबक लेने की जरूरत है.
उमा भारती ने सम्मेलन के समापन भाषण में कहा कि उत्तराखंड की रक्षक धारी देवी मंदिर को नष्ट करने का प्रयास करने और गंगा के प्रवाह मार्ग को बाधित करने का दुष्परिणाम हमें देखने को मिला है. उत्तराखंड में इस दुखद घड़ी में हम प्राण प्रण से लोगों के साथ हैं.
गौरतलब है कि उत्तराखंड में धारी देवी मंदिर की सुरक्षा को लेकर उमा भारती ने पिछले वर्ष प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा था.
गंगा में बढ़ते प्रदूषण और उसकी जलधारा के प्रवाह में बाधा से चिंतित धर्मगुरूओं, चिंतकों एवं नेताओं ने गंगा नदी की पवित्रता को बनाये रखने के लिए मन, वचन और कर्म के साथ प्रतिबद्धतापूर्वक आगे बढ़ने और समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी निभाने पर जोर दिया है.
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धारी देवी मंदिर परिसर में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात
जागरण – मंगल., २८ मई २०१३
श्रीनगर गढ़वाल: धारी देवी मंदिर परिसर में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। मंदिर अपलिफ्टिंग से सम्बन्धित कार्य में कोई व्यवधान नहीं पहुंचे, इसका जिम्मा अतिरिक्त पुलिस बल पर रहेगा। श्रीनगर जलविद्युत परियोजना की निर्माणदायी कंपनी एएचपीसी का कहना था कि मंदिर अपलिफ्टिंग से सम्बन्धित कार्य बार-बार रुकवा दिया जाता है जिससे निर्धारित समय में यह कार्य पूर्ण होने में कठिनाई हो रही है। प्रशासन ने धारी देवी मंदिर परिसर में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करने का निर्णय लिया। कोतवाल अनिल जोशी ने बताया कि एक एसआइ, दो हेड कांस्टेबल और दस सिपाहियों की यह सशस्त्र टुकड़ी 24 घंटे धारी देवी मंदिर परिसर में तैनात रहेगी। कलियासौड़ पुलिस चौकी के अतिरिक्त यह पुलिस बल है। उल्लेखनीय है कि धारी देवी मंदिर अपलिफ्टिंग निर्माण कार्य रोक देने सम्बन्धी अपना आदेश केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के विगत दिवस वापस ले लिए जाने के बाद धारी देवी मंदिर अपलिफ्टिंग सम्बन्धी कार्य कंपनी ने पुन: शुरू कर दिया है। कंपनी का प्रयास है कि आगामी बरसात का सीजन शुरू होने से पूर्व मंदिर अपलिफ्टिंग का कार्य पूर्ण हो जाए।
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प्रधानमंत्री से धारी देवी मंदिर बचाने की अपील
(07/07/2012,8:23 pm)
नई दिल्ली, 7 जुलाई । उत्तराखंड का धारी देवी मंदिर एक विद्युत परियोजना के कारण डूबने के कगार पर है। इस मंदिर को बचाने के मुद्दे को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का एक प्रतिनिधिमंडल पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी के नेतृत्व में शनिवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिला और उनसे हस्तक्षेप की मांग की। प्रतिनिधिमंडल में भाजपा नेता एवं उत्तर प्रदेश के चरखारी से विधायक उमा भारती भी शामिल थीं। उन्होंने कहा, ‘हम उत्तराखंड में विकास चाहते हैं लेकिन यह भी चाहते हैं कि गंगा को बचाया जाना चाहिए और धारी देवी मंदिर की रक्षा की जानी चाहिए।’
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘प्रधानमंत्री ने हमें आश्वस्त किया है कि वह इस मामले पर विचार करेंगे।’ प्रतिनिधिमंडल में पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली एवं उत्तराखंड के तीन पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी, भगत सिंह कोश्यारी और रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ भी शामिल थे। 
भाजपा नेताओं ने कहा कि गंगा में बढ़ते प्रदूषण के मुद्दे को उजागर करने के लिए उमा भारती गंगा सागर से गंगोत्री तक की ‘यात्रा’ करेंगी।
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देहरादून। उत्तराखण्ड के श्रीनगर गढवाल में जलविद्युत परियोजना के कारण यहां अलकनंदा नदी के किनारे स्थित प्राचीन धारी देवी के मंदिर का अस्तित्व खतरे में आ गया है। हालांकि प्रदेश के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि धार्मिक मान्यता के प्रतीक इस मंदिर को डूबने नहीं दिया जाएगा। आस्था की लड़ाई अलकनंदा नदी के किनारे बने इस प्राचीन मंदिर के अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ने के लिए सोमवार को पूर्व मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता मोहन सिंह गांववासी के नेतृत्व में हजारों साधु-संतों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं पर्यावरणविदों ने मंदिर स्थल पर धरना दिया। आंदोलनरत लोगों का कहना है यह आस्था का विषय है और आंदोलन साधु समाज का है। आश्वासन मोहन सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री ने उन्हें फोन पर बताया कि वे इस मसले पर उच्चस्तरीय जांच कमेटी बनाएंगे। साथ ही वो यह भी कहते हैं मंदिर को डूबने से बचाने के लिए वह हर लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। उनकी मांग है कि नदी के जलस्तर को धारी देवी मंदिर स्थल से दस मीटर नीचे लाया जाए। इससे पूर्व एक अगस्त को पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद और प्रमुख अर्थशास्त्री डा. भरत झुनझुनवाला भी इस मुद्दे पर धरना दे चुके हैं।

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