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हम क्यों गुलाम हुये - अटल बिहारी वाजपेयी

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   मत भूलो, पग-पग पर बलिदानों की गंगा बहाई है..! - अरविन्द सिसौदिया     कहने को कह दिया जाता है कि भारत बहुत ही शांतिप्रिय ढंग से आजाद हो गया और अहिंसा और सत्याग्रह के द्वारा कहीं कोई खून नहीं बहा, कहीं कोई हिंसा नही हुई।   “देदी हमें आजादी बिना खडग ढाल सावरमती के संत तूने कर दिया कमाल” मगर सच यह है कि ये बात सिर्फ गीत गाने और झूठ फैलाने से अधिक कुछ नहीं है। 20 लाख से अधिक निर्दोष नागरिकों के खून से हमारी स्वतंत्रता के हाथ सनें हे। 1.5 करोड़ से अधिक लोगों के घर छूटे । पाकिस्तान बनें भारत से 75 लाख लोग भारत आये और लगभग इतने ही भारत से पाकिस्तान गये । आंकडों के कई गुणा भी हो सकती है असलियत ।     मगर सच बहुत खौफनाक है, विश्व की जनसंख्या सम्बंधी सबसे बडी अदला बदली हुई। जो लोग इस विभाजन से प्रभावित हुये, उनकी जायदादें चलीं गईं, परिवार के सदस्य मारे गये, महिलाओं की इज्जत लूट ली गई, दुनिया में कहीं ऐसी मिसाल नहीं होगी कि लाशों से भरी रेल गाडियां आई हों! और सरकार खामोश सब देखती रही हो। मगर हमारी आजादी ऐसी ही थी, जिसमें नेहरूजी के हाथ में सत्ता थी और द...

अटल बिहारी वाजपेयी : रग रग हिंदू मेरा परिचय

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मेरा परिचय - अटल बिहारी वाजपेयी *** हिंदू तन मन, हिंदू जीवन, रग रग हिंदू मेरा परिचय॥ मै शंकर का वह क्रोधानल, कर सकता जगती क्षार-क्षार डमरू की वह प्रलयध्वनि हूं, जिसमें नाचता भीषण संहार रणचंडी की अतृप्त प्यास, मैं दुर्गा का उन्मत्त हास मै यम की प्रलयंकर पुकार, जलते मरघट का धुंआधार फिर अंतरतम की ज्वाला से जगती में आग लगा दूं मैं यदि धधक उठे जल थल अंबर, जड चेतन तो कैसा विस्मय हिंदू तन मन, हिंदू जीवन, रग रग हिंदू मेरा परिचय॥ मै आज पुरुष निर्भयता का वरदान लिए आया भू पर पय पीकर सब मरते आए, मैं अमर हुआ लो विष पीकर अधरों की प्यास बुझाई है, मैंने पीकर वह आग प्रखर हो जाती दुनिया भस्मसात, जिसको पल भर में ही छूकर भय से व्याकुल फिर दुनिया ने प्रारंभ किया मेरा पूजन मै नर नारायण नीलकण्ठ बन गया, न इसमें कुछ संशय हिंदू तन मन, हिंदू जीवन, रग रग हिंदू मेरा परिचय॥ मै अखिल विश्व का गुरु महान, देता विद्या का अमर दान मैने दिखलाया मुक्तिमार्ग, मैंने सिखलाया ब्रह्म ज्ञान मेरे वेदों का ज्ञान अमर, मेरे वेदों की ज्योति प्रखर मानव के मन का अंधकार, क्या कभी सामने सका ठहर मेरा स्वर्णाभा म...

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 5 कविताएं

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अटल बिहारी वाजपेयी की 5 कविताएं नई दिल्ली. साल 2014 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से जैसे ही यह सूचना साझा की गई, उनके प्रशंसकों में खुशी की लहर दौड़ गई। आज उनका 91 वां जन्मदिन मनाया जा रहा है। अटल भारत में दक्षिणपंथी राजनीति के उदारवादी चेहरा रहे और एक लोकप्रिय जननेता के तौर पर पहचाने गए। लेकिन उनकी एक छवि उनके साहित्यिक पक्ष से भी जुड़ी है। अटल बिहारी वाजपेयी एक माने हुए कवि भी हैं। उन्होंने अपने जीवन काल में कई कविताएं लिखीं और समय-दर-समय उन्हें संसद और दूसरे मंचों से पढ़ा भी। उनका कविता संग्रह 'मेरी इक्वावन कविताएं' उनके समर्थकों में खासा लोकप्रिय है। इस मौके पर पेश हैं, उनकी चुनिंदा कविताएं..... 1. क़दम मिला कर चलना होगा बाधाएँ आती हैं आएँ घिरें प्रलय की घोर घटाएँ, पावों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ, निज हाथों में हँसते-हँसते, आग लगाकर जलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में, अगर असंख्यक बलिदानो...

अटल बिहारी वाजपेयी : अनमोल विचार Atal Bihari Vajpayee

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  भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, जीता-जागता राष्ट्रपुरुष है ।   हिमालय इसका मस्तक है, गौरीशंकर शिखा है ।   कश्मीर किरीट है, पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं ।   दिल्ली इसका दिल है । विन्ध्याचल कटि है, नर्मदा करधनी है ।   पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघाएं हैं ।   कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग पखारता है ।   पावस के काले-काले मेघ इसके कुंतल केश हैं ।   चांद और सूरज इसकी आरती उतारते हैं, मलयानिल चंवर घुलता है ।   यह वन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है ।   यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है ।   इसका कंकर-कंकर शंकर है, इसका बिंदु-बिंदु गंगाजल है ।   हम जिएंगे तो इसके लिए, मरेंगे तो इसके लिए ।  ~ अटल बिहारी वाजपेयी *** अटल बिहारी वाजपेयी के 150+ अनमोल विचार! आज परस्पर वैश्विक निर्भरता का मतलब है कि विकासशील देशों में आर्थिक आपदायें, विकसित देशों पर एक प्रतिक्षेप पैदा कर सकता है। ~ अटल बिहारी वाजपेयी किसी भी देश को खुले आम आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक गठब...