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कनाडा से रिश्ते बहुत पहले खत्म करने चाहिए थे - अरविन्द सिसोदिया India Canada Row

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कनाडा से रिश्ते बहुत पहले खत्म करने चाहिए थे - अरविन्द सिसोदिया  भारत और कनाडा के रिश्तों में नया मोड़ आगया है । कनाडा की भारत विरोधी खालिस्तान नीति स्व. इंदिरा गांधी के समय से ही विवाद का विषय रही है । तत्कालीन पियरे टूडो से तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी नें भी बातचीत कर नाराजगी जाहिर की थी ।  यह वहां बसी सिख आबादी के वोट प्राप्त करने की टूडों फैमली की एक नीति है । वे उनमें भारत के प्रति राजनीतिक अलगाव को उतपन्न कर शुभचिंतक होनें का दिखावा करते और वोट झटकते हैं । इसके चलते वह न केवल भारत विरोधी खालिस्तान आन्दोलन को समर्थन करते बल्कि वे वहां इसके लिये सभी तरह की सुविधाएं और सहयोग देतें है बदले में उनसे वोट और राजनीतिक समर्थन लेते है । जस्टिन टूडो की अल्पसंख्यक  सरकार सिख जनप्रतिनिधियों के समर्थन से चल रही है और आने वाले चुनावों में उन्हें उनके समर्थन की जरूरत होगी है । इसलिए वह भारत विरोधी रुख दिखा कर भावनात्मक उभार दे रहा है । यह टूडो की षड्यंत्रकारी आपराधिक राजनीति है , जो अपना बहुमत बनाये रखने के लिए भारत पर बेबुनियाद और बेतुकेपन के आरोप लगा रहा है । भ...

ट्रूड़ो भारत में आराजकता फैलाने के षड्यंत्र बंद करें - अरविन्द सिसोदिया Khalistan to Canada

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India Canada Tension भारत सरकार और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कनाडाई प्रधानमंत्री ट्रूड़ो के झूठे बयानों क़ी पोल खुलने के बाद कनाडा सरकार दबाव में आ गईं है। उसने एक्शन लेना प्रारंभ कर दिया है , कोलंबिया से खालिस्तानियों के बैनर पोस्टर हटाए जाएंगे। कनाडा सरकार ने खालिस्तानियों के बैनर पोस्टर हटाने के निर्देश दिए हैं। ------- ट्रूड़ो भारत में आराजकता फैलाने के षड्यंत्र बंद करें - अरविन्द सिसोदिया कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूड़ो, कनाडाई सिख पार्टी के कुछ खालिस्तान समर्थक सांसदों के समर्थन से अपनी सरकार चला रहे हैं और शीघ्र ही वहाँ की संसद के अगले चुनाव भी होनें हैं। इसलिए वे भारत की मोदी सरकार पर अनर्गल आरोप लगा कर, अपना वोट बैंक साधना चाहते हैं। किन्तु उन्हें अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए भारत में आराजकता उत्पन्न करंनें की अनुमति नहीं दी जा सकती। उनकी पार्टी की लोकप्रियता पिछले चुनावों में भी कम हुई थी और  सिख पार्टी के समर्थन से उनकी सरकार बची । अब वे उनके टूलकिट के आधार पर/ एजेंडे के आधार पर, वोट बैंक के लिए झूठे बयान दे रहे हैं। उनकी सरकार सत्य से, वास्तविकता से आँख मूँद कर...

देश को पंजाब पर पैनी नजर रखनी होगी - अरविन्द सिसोदिया desh ko panjab pr paeni najar rkhni hogi

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देश को पंजाब पर पैनी नजर रखनी होगी - अरविन्द सिसोदिया  माना जाता है कि भारत में आप पार्टी के अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया नें सक्रिय राजनीति से आनें से पहले, अमरीका से आर्थिक सहयोग प्राप्त कर एनजीओ चलाते थे।  विदेशी फंडिंग कम से कम देश के लिए खतरनाक होता है।  सरकार नें विदेशी फंड लेने वाले कई एन जी ओ इसी कारण से बंद भी किये हैं। क्योंकि यह फंडिंग किसी अन्य उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए ही होती है और प्राप्त करने वाला एन जी ओ अपरोक्ष रूप से उस विदेशी संस्था अथवा संस्था की ओट में बैठी ताकत की एजेंट जैसा ही होता है। पंजाब में खालिस्तान  को  फिर से जमानें की कोशिश पाकिस्तान और कुछ अन्य दूसरे देशों का एजेंडा लगातार रहा है। वे उस पर कार्य करते भी आरहे हैं। भारत पहले भी इस समस्या से जूझ चुका है और बड़ी क्षति भी उठा चुका है। कनाडा में काफ़ी संख्या में सिख रहते हैं और उन्हें ख़ालिस्तानी मूमेंट से जोड़ने के प्रयत्न लगातार होते रहे हैं। धनबल से लगातार यह कोशिश हो रही  है। यह सब दिल्ली में भी, आम आदमी पार्टी की सत्ता में आनें के साथ साथ दवे पाँव पैठ जमा ...

पंजाब फिर जले मंजूर नहीं,केजरीवाल की जांच हो - अरविन्द सिसौदियाPunjab is not allowed to burn again

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  पंजाब फिर जले मंजूर नहीं, Punjab is not allowed to burn again   देश पुनः पंजाब को जलता नहीं देखना चाहता,केजरीवाल पर लगे आरोपों की जांच हो  - अरविन्द सिसौदिया अरविन्द केजरीवाल पर खलिस्तान से जुडे होनें के लगे आरोपों की जांच होनी ही चाहिये। आप पार्टी के संस्थापक कुमार विश्वास एवं आप पार्टी की दिग्गज नेता रहीं अल्का लांबा के क्षरा लगाये गये आरोपों की जांच होनी ही चाहिये, क्यों कि इन्हे चुनावी लफ्बाजी कह कर नजर अंदाज नहीं किया जा सकता, क्यों कि दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने के बाद खालिस्ता नी एजेण्डे पर कुछ काम तो हुआ ही है। जिसे किसी कारणवश अस्विकार भले ही किया जाता रहे,मगर सच यही शंका उत्पन्न करता है कि कुछ तो है जो गडबड है और देश के विरूद्ध चल रहा है।दिल्ली में आप पार्टी की गतिविधियां हमेशा ही संदिग्ध रहीं है। वे परोक्ष अपरोक्ष पाकिस्तान परस्त ताकतों के साथ खडे़ नजर आते है। उन्हे सहयोग करते,उनकी व्यवस्थाओं को माकूल बनाते नजर आते रहे है। इसलिये केन्द्र सरकार का यह कर्त्तव्य बनता है कि राजनीतिक दृष्टिकोंण को त्याग कर मूल सत्य के आधार पर प्रभावी कार्यवाही करें। देश पुनः पंजाब ...

क्या , खूनी राजनीति का खेल फिर दोहराया जा रहा है ?

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  43 साल पुराना खूनी राजनीति का वही कांग्रेसी खेल आज फिर दोहराया जा रहा है... सत्ता पाने के लिए रक्तरंजित राजनीति का खतरनाक खेल कांग्रेस पहली बार नहीं खेल रही है... दिल्ली पंजाब हरियाणा में भयानक हिंसा के बाद उत्तरप्रदेश में कल लखीमपुर में हुआ बर्बर हत्याकांड उसी खूनी राजनीतिक खेल का नवीनतम पड़ाव है।        देश के कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने इसी वर्ष 5 फरवरी 2021 को संसद में कहा था कि कांग्रेस खून से खेती कर रही है। उन्होंने गलत नहीं कहा था। कृपया बहुत ध्यान से पढ़ें और इस शर्मनाक तथ्य और सत्य को अधिकतम लोगों तक पहुंचाएं...        1977 में देश की जनता कांग्रेस को सत्ता से बुरी तरह बेदखल कर दो तिहाई बहुमत के साथ जनता पार्टी को सत्ता सौंप चुकी थी। पंजाब में भी जनता पार्टी और अकाली दल के गठबंधन ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया था और कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री रहे ज्ञानी जैल सिंह द्वारा किये गए भयंकर भ्रष्टाचार की जांच के लिए गुरदयाल सिंह जांच आयोग बनाया था। इस आयोग की जांच की शुरूआत के साथ ही जैल सिंह का जेल जाना त...