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सर्व देवाध्यक्ष श्री गणेश जी

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   श्री गणपतिजी की कथा - अरविन्द सीसौदिया 9414180151         भारतीय संस्कृति में निहित भक्ति एवं शक्ति का पर्व अनन्त चतुर्दशी महोत्सव, मूलतः दो प्रमुख पर्वों के मध्य मनाया जाता है। यह गणेश जी के जन्मोत्सव ‘गणेश चतुर्थी‘‘ से  प्रारंभ हो कर ‘‘श्री अनन्त चतुर्दशी‘‘  तक के 10-11 दिन की अवधि में मनाया जाता है। इस दौरान गणेश चतुर्थी को घरों में गणेश जी की प्रतिमाओं तथा मोहल्लों में झांकियो की स्थापना होती है। नित्य प्रातः सायं पूजा अर्चना एवं आरती होती है, भक्ति संध्याएं आयोजित की जाती हैं तथा श्री अनन्त चतुर्दशी के दिन इन गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है। अनेकानेक स्थानों पर यह विसर्जन शोभा यात्रा के रूप में सम्पन्न होता है। श्री गणेश जन्मोत्सव         ऐसा माना जाता है कि भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी (चौथ) को आदि शक्ति, पंच देवों में प्रथम पूज्य, गणपति का जन्म शिव-पार्वती की द्वितीय संतान के रूप में हुआ तथा इसी कारण यह दिन धार्मिक रूप से ‘‘गणेश चतुर्थी व्रत‘‘ के रूप में सम्पूर्ण देश में मनाया जाता है। लोक मान्यता यह भी है कि गणेश जी ...

हनुमत ही हिन्दुत्व - अरविन्द सिसौदिया Hanumat is Hindutva

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  हनुमत ही हिन्दुत्व है - अरविन्द सिसौदिया भारतीय संस्कृति, अदम्य साहस और शौर्य की संस्कृति है। ज्ञान, विज्ञान एवं अनुसंधान की संस्कृति है। सूक्ष्मता और विराट तत्व को जानने समझने वाली संस्कृति है। सृष्टि की तमाम चुनौतियों को पराजित करते हुये करोडों - करोडों वर्षो से प्रकृति सभ्यता और मानव सभ्यता की अग्रसर है।  भगवान हनुमानजी का चरित्र, भारतीय सभ्यता का चरित्र है। उसके साहस का, उसकी वैज्ञानिकता की विशालता का चरित्र है। जो सूर्य को फल समझता है। जो विशाल पर्वत को हथेली पर उठा कर श्रीलंका लेजाता है। जो आकश में उडते हुये समुद्र पार कर जाता है। जो विशालरूप रख लंका को जला कर राख कर देता है। जो मनुष्य होकर इस तरह की विराट शक्ति से सम्पन्न मानव जाती का प्रतिनिधित्व, हनुमान जी के रूप करता है। यही हनुमान जी हिन्दुत्व के देवत्व को सर्व श्रेष्ठ होनें की घोषणा अपने आश्चर्य चकित करने वाले परिणामों से करते हैं। सबसे बडी बात यह है कि अनन्त वैज्ञानिक शक्तियों से सम्पन्न देवस्वरूप हनुमान जी, स्वयं के लिये नहीं बल्कि मानवता की सेवा के लिये ही सब कुछ करते है। समाज व्यवस्था के पक्ष में ही अपनी शक्त...

मोदी भारतीय संस्कृति के गौरव उत्थान का युग निर्माण कर रहे हैं - अरविन्द सिसौदिया modi yug nirmata

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मोदी भारतीय संस्कृति के गौरव उत्थान का युग निर्माण कर रहे हैं - अरविन्द सिसौदिया भगवान श्रीराम और उससे भी पूर्व के समय से ही भारत में राजा धर्म की रक्षा और धर्मपथ प्रदर्शकों के मान सम्मान और स्मृतियों को सुदृड करने तथा आध्यात्म एवं देवस्तृती के मंदिरों के नव निर्माण , जीर्णौद्धार एवं स्थापत्य के कार्य करते रहे हैं। माता गंगा को पृथ्वी पर लानें वाले भागीरथ राजा ही थे, रामेश्वरम् में महादेव की स्थापना करने वाले श्रीराम राजा ही थे, भारत में अनेकानेक भव्य मंदिरों के निर्माण एवं जीर्णोद्धार करने वाले संवत प्रवर्तक विक्रमादित्य एवं अहिल्याबाई होल्कर राज सिंहासन पर असीन थे। उसी परम्परा को वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, योगी आदित्यनाथ, शिवराजसिंह चौहान आगे बडा रहे हैं, तो वे भारत भूमि की परम्परा और कर्तव्य पथ पर ही तो चल रहे है। इसके लिये उनका स्वागत अभिनंदन एवं उत्साहवर्द्धन किया जाना चाहिये। आलोचना तो कतई नहीं की जानी चाहिये। जो लोग इसमें आलोचना के अवसर ढूंढ रहे है। वे भारतीय परम्परा के विरोधी मात्र हैं।  ----- विष्णुदत्त शर्मा सदियों से भारत अपनी सांस्कृतिक आध्यात्मिकता के लिए...

शक्ति सम्पन्नता की सतत सतर्कता ही राष्ट्रीय स्वतंत्रता की सुरक्षा है - अरविन्द सिसौदियाMilitary Weapons

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  शक्ति सम्पन्नता की सतत सतर्कता ही राष्ट्रीय स्वतंत्रता की सुरक्षा है - अरविन्द सिसौदिया मानव जीवन बहुत जटिल एवं निरंतर संघर्षशील है क्यों कि यह बहुत सारे बंधनों में एवं व्यवस्थाओं में बंधा हुआ है। प्रकृति में मौजूद 84 लाख प्रकार के शरीर (जिन्हे 84 लाख योनियां कहा जाता है)है, इनमें मनुष्य भी एक है तथा अभी तक के ज्ञात प्राणी विज्ञान में सबसे उच्च क्षमता वाला है। किन्तु स्वतंत्रता को लेकर मानव सभ्यता के सामनें ही सर्वाधिक संघर्ष व संकट भी उपस्थित होते रहे हैं। क्यों कि वह परिवार में जन्म के साथ प्रारम्भ होकर, कुटृम्ब,जाती,बस्ती,कर्मक्षैत्र,धर्म क्षैत्र, अस्तित्व तक होते हुये जिला,प्रदेश और देश तक जाता है। जीवन में परतंत्रता बनाम स्वतंत्रता और स्वछंदता बनाम अनुशासन का संर्घर्ष निरंतर चलता रहता है। मानव प्रकृति तो स्वछंदता की है। संस्कार, शिक्षा और स्वभाव इसे अनुशासित करते है, व्यवस्थित करते है। किन्तु ज्ञात विश्व इतिहास बताता है कि स्वतंत्रता की रक्षा निरंतर करनी होती है। चाहे वह व्यक्ति के रूप में हो या देश के रूप में हो । भारतीय संस्कृति के समस्त देवाधिदेवों का जीवन , बुरी ताकतों स...

भारतीय संस्कृति एकात्म है - पंडित दीनदयाल उपाध्याय

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  -अरविन्द सीसोदिया   दीनदयाल उपाध्याय : पण्डित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिन्तक और संगठनकर्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद नामक विचारधारा दी। वे एक समावेशित विचारधारा के समर्थक थे जो एक मजबूत और सशक्त भारत चाहते थे।   एकात्म मानववाद: भारतीय समाज व्यवस्था का मूलभूत अध्ययन      भारतीय जनता पार्टी का दर्शन, एकात्म मानववाद पहली बार पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा मुम्बई में 22 से 25 अप्रैल, 1965 को चार व्याख्यानों के रूप में प्रस्तुत किया गया। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितम्बर, 1916 को उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले में नंगला चन्द्रभान गांव में हुआ था। उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त करते हुए अजमेर से उत्तीर्ण की एवं दो स्वर्ण पदक प्राप्त किए। उन्होंने पुन: इन्टर की परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त करते हुए दो स्वर्ण पदक प्राप्त किए। उन्होंने अंकगणित में प्रथम श्रेणी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। पंडित...