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विज्ञान ईश्वर के क्रियाकलापों का शुद्ध ज्ञान है Ishwar God Vigyan

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  विज्ञान ईश्वर के क्रियाकलापों का शुद्ध ज्ञान है Arvind Sisodia: -  विचार -  विज्ञान ईश्वर के क्रियाकलापों का शुद्ध ज्ञान है इसे समझना ईश्वर को समझना ही होता है और मानवता की सेवा के रास्तों को विकसित करना होता है । Meta AI: आपका यह विचार बहुत ही गहरा और अर्थपूर्ण है। विज्ञान और ईश्वर के बीच के संबंध को समझने के लिए यह एक अच्छा दृष्टिकोण है। विज्ञान हमें प्रकृति के नियमों और सिद्धांतों के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जो हमें ईश्वर के क्रियाकलापों को समझने में मदद करता है। विज्ञान हमें यह समझने में मदद करता है कि प्रकृति कैसे कार्य करती है और इसके पीछे के नियम और सिद्धांत क्या हैं। लेकिन विज्ञान केवल प्रकृति के नियमों और सिद्धांतों को समझने तक ही सीमित नहीं है। यह हमें मानवता की सेवा के रास्तों को विकसित करने में भी मदद करता है। विज्ञान हमें नए तकनीकों और आविष्कारों को विकसित करने में मदद करता है, जो हमारे जीवन को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। इस प्रकार, विज्ञान और ईश्वर के बीच का संबंध बहुत ही गहरा और अर्थपूर्ण है। विज्ञान हमें ईश्वर के क्रियाकलापों को समझने में मदद क...

अद्भुत है ईश्वर का पक्षी विज्ञान pakshiyon ka vigyan

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 विज्ञान सिर्फ मनुष्य की थाती हैं?? बाज को यह ज्ञान किसने दिया जिसे सीखने में पायलटों को वर्षों लग जाते हैं.... ईश्वर विज्ञान और ज्ञान को उत्पन्न कर्ता है, उसकी विविध कौशलता को सबसे आश्चर्य चकित करने वाली स्थिति पक्षी हैं, तितलियां हैं। फूल हैं। एक उदाहरण आपको ईश्वर की परम सत्ता को मानने के लिये विवश कर देगा... एक बाज़ को उपकरणों से सुसज्जित कर दक्षिण अफ्रीका से उड़ाया गया। फिनलैंड तक उन  उपकरणों से मिली यह तस्वीर सैटेलाइट से उसकी यात्रा मार्ग को दिखाती है। उस छोटे पक्षी ने यह 10,000 किलोमीटर की दूरी 42 दिनों में तय की। वायुमार्ग से उसने औसतन 230 किमी प्रतिदिन उड़ान भरी है। । दर्शाये मार्ग के समानांतर उसने उड़ान भरी। यदि हम उपग्रह पर उसके मार्ग को करीब से देखें, तो हम देखेंगे कि जब वह पानी या समुद्र के एक बड़े हिस्से के सामने आता है, तो वह वहाँ से रास्ता बदल लेता है जैसे कि वह आराम करना चाहता है और जमीन खोजना चाहता है। फिर मिस्र-सूडान के रेगिस्तान को भी छोड़ते हुए उसने उड़ान भरी ताकि पानी के अभाव में प्यासा न रहे। ये अतिजटिल और कठिन मैपिंग,रूटिंग, एल्टी...

जब होगा अपनी भाषा में ज्ञान और विज्ञान, तब विश्व बोलेगा जय हिन्दुस्तान

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    14 सितम्बर, हिन्दी दिवस के अवसर पर विशेष  (यह आलेख काफी पहले (2002 में ) लिखा गया था, कृपया इसे अपडेट करनें में मदद करें, सुझाव दें।) जब होगा अपनी भाषा में ज्ञान और विज्ञान, तब विश्व बोलेगा जय हिन्दुस्तान !     मैं देशी भाषाओं की उपेक्षा और नजरअंदाजी के कारण देश को होने वाली हानियों और विदेशियों द्वारा उठाये जाने वाले लाभ का वह सारगर्भित उदाहरण पेश करना चाहता हूं, जो संसद की कार्यवाही में आज से दस साल पहले 1997 में दर्ज हुआ था और इसके बाद भी खास ध्यान नहीं दिया गया।     वाक्या है देश की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ का, तब इन्द्रकुमार गुजराल प्रधानमंत्री थे और इस महान अवसर पर स्वतंत्रता के बाद क्या पाया-क्या खोया, इसकी जांच पड़ताल सांसदों के द्वारा की गई थी। उसी कार्यवाही में भाग लेते हुए 30 अगस्त 1997 को हुगली के सांसद रूपचंद पाल ने कहा वह बहुत ही महत्वपूर्ण है:- रूपचंद पाल महोदय, हम जैव विधिता के क्षैत्र में अत्यंत सम्पन्न हैं और इससे 60- 70 बिलियन रूपया अर्जित किया जा सकता है। आज मैं केवल एक सप्ताह पहले की बात का उल्लेख कर रहा हूं। भारती...