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अक्षुण्य भारत का संकल्प ले और उसे सिद्ध करें - अरविन्द सिसोदिया intact India

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अक्षुण्य भारत का संकल्प ले और उसे सिद्ध करें - अरविन्द सिसोदिया  कोई भी जयंती कोई भी पुण्यतिथि कोई भी विशेष दिवस जब हमारे सामने मौजूद होता है तो वह हमें आत्म निरीक्षण का अवसर देता है, आत्म - अवलोकन का अवसर देता है वह अवसर हमें लाभ हानि गुणा भाग का अवसर देता है। उसके चिंतन मंथन से हमें यह तय करना चाहिए कि हमारी कमजोरी क्या थी और उन्हें दूर कैसे किया जाए और उसके लिए क्या-क्या करना है। यही तथ्य हमारे स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के लिए भी आवश्यक है। स्वतंत्रता दिवस पर हमें अपनी आजादी को निरंतर गतिमान रखने का विमर्श करना चाहिए और जब यह विमर्श हम प्रारंभ करेंगे तो हमारे सामने बरसों पुरानी गुलामी और स्वतंत्र बने रहने का संघर्ष और इस संदर्भ की लंबी-लंबी दास्तांऐं सामने हैँ ।  भारत भूमि पर अपनी स्वतंत्रता को अक्षुण्य रखने का जो 3000 साल का लगातार संघर्ष हमारा रहा है वह हमें यह संदेश देता है कि हमारी  चार बड़ी कमजोरियां है। 1- अर्थहीन अनावश्यक अहिंसा को स्वीकृती , 2- सामाजिक फूट और इर्ष्या से अपने आपको विभाजित किये रहना 3- शस्त्र और पुरषार्थ छोड़ कर दुष्टता का ...

स्वतंत्रता का मूल्य : देश का विभाजन , 20 लाख हत्यायें और 1.5 करोड़ के घर छूटे partition

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  स्वतंत्रता का मूल्य : देश का विभाजन , 20 लाख हत्यायें और 1.5 करोड़ के घर छूटे  जो लोग कहते हैं कि स्वतंत्रता बिना खडग बिना ढाल के आई वे झूठ बोलते हैं। यह आजादी वीभत्सता और अवर्णनीय हिंसा से भरी हुई है। माना जाता है कि 20 लाख लोगों नें इसमें जान गंवाई थी। डेढ करोड लोगों के देश बदल का बेघर हो गये थे।  ये आजादी महात्मा गांधी के अखण्ड भारत की आजादी के वचन की हत्या थी, कांग्रेस के रावी अधिवेशन की शपथ की हत्या थी। यह आजादी ब्रिटिश सरकार की भारत के निवासियों के साथ क्रूरतम अघोषित नरसंहार और वीभत्स हिंसाचार था, जिसे इतिहास कभी मॉफ नहीं करेगा । यह स्वतंत्रता के नाम ब्रिटिश सरकार का नंगा खूनी खेल था।  भारत की आजादी का सबसे महत्वपूर्ण कारण था नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की आजाद हिन्द फौज के सैनिकों पर दिल्ली में लाल किले में मुकदमें चलानें से उत्पन्न हुआ भारतीय सैनाओं में विद्रोह जिससे ब्रिटिश अधिकारियों नें भारत ठोडनें का मन बना लिया था और दूसरा कारण था द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका का सभी उपनिवेशों को आजाद करनें की अघोशित नीति जिसके चलते दुनिया भर के सभी ब्रिटिश...

जाग्रत जनमत ही राष्ट्र रक्षा की गारंटी होता है - अरविन्द सिसौदिया

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                                      जाग्रत जनमत ही राष्ट्र रक्षा की गारंटी होता है   - अरविन्द सिसौदिया स्वतंत्रता से ठीक पहले के एक दसक को देखें तो भारत की स्वतंत्रता संग्राम की राजनिति शौर्यपूर्ण नहीं बल्कि प्रशासन सत्ता प्राप्ती के इर्द गिर्द घूमती नजर आती है। जो शौर्य करोडों करोडों हिन्दुओं के प्रतिनिधित्व के तौर पर होना चाहिये था वह कहीं भी दूर दूर तक नहीं था। जबकि मुस्लि लीग शैने शैने ही अपने सही उददेश्य की तरफ बडती रही । स्वतंत्रता आन्दोलन महात्मागांधी के प्रयोगों एवं जवाहरलाल नेहरू की महत्वाकांक्षा के लिये नहीं था बल्कि वह भारत की अनादिकालीन सम्प्रभुता को पुनः उसी महत्वाकांक्षी स्वरूप में स्थापित करने का था । किन्तु हम महज अनुशासित और ब्रिटेन के आज्ञाकारी सेवक जैसे ही ज्यादातार दिखे। साम्राज्यशाही ब्रिटेन द्वारा किया गया भारत का यह विभाजन उसके द्वारा चार विभाजनों में से एक है। उसने आयरलैंड , फिलिस्तीन और साइप्रस के भी विभाजन कराये थे। इसके पीछे वही मूल उददेश्य कि इन्हे...