अक्षुण्य भारत का संकल्प ले और उसे सिद्ध करें - अरविन्द सिसोदिया intact India
अक्षुण्य भारत का संकल्प ले और उसे सिद्ध करें - अरविन्द सिसोदिया
कोई भी जयंती कोई भी पुण्यतिथि कोई भी विशेष दिवस जब हमारे सामने मौजूद होता है तो वह हमें आत्म निरीक्षण का अवसर देता है, आत्म - अवलोकन का अवसर देता है वह अवसर हमें लाभ हानि गुणा भाग का अवसर देता है। उसके चिंतन मंथन से हमें यह तय करना चाहिए कि हमारी कमजोरी क्या थी और उन्हें दूर कैसे किया जाए और उसके लिए क्या-क्या करना है। यही तथ्य हमारे स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के लिए भी आवश्यक है।
स्वतंत्रता दिवस पर हमें अपनी आजादी को निरंतर गतिमान रखने का विमर्श करना चाहिए और जब यह विमर्श हम प्रारंभ करेंगे तो हमारे सामने बरसों पुरानी गुलामी और स्वतंत्र बने रहने का संघर्ष और इस संदर्भ की लंबी-लंबी दास्तांऐं सामने हैँ ।
भारत भूमि पर अपनी स्वतंत्रता को अक्षुण्य रखने का जो 3000 साल का लगातार संघर्ष हमारा रहा है वह हमें यह संदेश देता है कि हमारी चार बड़ी कमजोरियां है। 1- अर्थहीन अनावश्यक अहिंसा को स्वीकृती , 2- सामाजिक फूट और इर्ष्या से अपने आपको विभाजित किये रहना 3- शस्त्र और पुरषार्थ छोड़ कर दुष्टता का प्रतिरोध न करना, और 4- अपने धर्म पर दृढ़ न रह कर कुछ तो भी मान लेना। ये चार गलतियाँ ही हमारी सबसे बड़ी दुश्मन हैँ। इनके चलते हम बार - बार गुलाम हुये विभक्त हुये और अब अंतिम भू भाग में सिकुड़े हुए हैँ।
पहली कमजोरी शत्रु के प्रति अहिंसा और मानवता का भाव जो कि तुरंत हमें दूर करना चाहिए। जब कोई व्यक्ति हमारे अस्तित्व को समाप्त करने के लिए आतुर है तो उसके प्रति दया और करुणा का भाव क्यों? हमारा वही व्यवहार होना चाहिए जो हमारे देवों ने, हमारे ईश्वर ने, हमारे पुरखों ने हमको बताया! आक्रमण का जवाब उस आक्रमणकारी को पराजित करके समाप्त करने में ही होता है। यही सनातन संदेश है। यदि पृथ्वीराज चौहान ने बाहर से हमला करने वाले आतंकवादी को जीवनदान नहीं दिया होता, उसे जीवित वापस नहीं छोड़ा होता, तो आज भारत का इतिहास कुछ और ही होता!! जब 95 हजार पाकिस्तानी सेना हमारी बंदी थी और तब हम अपना POK वापस ले लेते तो आज पाकिस्तान डब्बू देश होता, किन्तु हमनें अपना भूभाग नहीं माँगा तो वह दुस्साहस से भरा हुआ है। यह दया का भाव, करुणा का भाव मानवता का भाव कुपात्र के प्रति नहीं होना चाहिए था। क्योंकि बाहरी आक्रमणकारी को बाहरी ही माना जाना चाहिए, उसे भारतीय जीवन पद्धति के श्रेष्ठ गुणो से राहत नहीं देना चाहिए क्योंकि वह इसका पात्र नहीं होता है ।
हमारी दूसरी बहुत बड़ी कमी है हमारी फूट, हमारा झूठा अहंकार, हमारी गैर ज़रूरी ईर्ष्या। हम लाखों वर्षों से निरंतर एक दूसरे से लड़ते रहते हैं, हमारी सामाजिक एकता छिन्न-भिन्न होती रहती है, हम हजारों तरह की पहचानों में इसी द्वेष भाव के कारण बंटे!
हम अपने देवों के बताएं मार्ग से भी भटक जाते हैं, हमारे हर देवता के हाथ में शास्त्र के साथ शस्त्र भी है। शास्त्र का अर्थ होता है ईश्वरीय व्यवस्था द्वारा तय की गई करोड़ों करोड़ों प्रकार के छोटी बड़ी व्यवस्थाओं की, अनुभवों की जानकारी होना, इससे समाज को लाभ हानी की दिशा देना या दिशा मिलना और शस्त्र का अर्थ है अपनी रक्षा करना, अपनी संस्कृति अपने समाज की रक्षा करना।
स्वयं की रक्षा करने का दायित्व ईश्वर ने हम पर ही छोड़ा है। अपनी रक्षा और सुरक्षा के लिए देवतागण भी बड़े-बड़े शास्त्रों का निर्माण करते रहे, हमारे आश्रम सुरक्षा व्यवस्था अनुसंधान के बहुत बड़े केंद्र हुआ करते थे। वाल्मीकि जी के आश्रम में लव और कुश नाम के दो किशोर थे, उन्होंने वाल्मीकि जी से प्राप्त ज्ञान के बल पर उस समय की सबसे मजबूत अयोध्या की सेना को पराजित कर दिया था।
इसलिए यह मानना कि हमारी गुरुकुल प्रणाली, आश्रम प्रणाली सिर्फ अहिंसा और शांति में विश्वास रखती हो ऐसा नहीं है। बल्कि सुरक्षा ही सर्वोपरि है इस विश्वास पर ही हमारी सनातन संस्कृति चलती रही है और सुरक्षा के संसाधनों पर अनुसंधान और उन्हें प्राप्त करने की दिशा में लगातार रत रही है। हमारे इस ज्ञान को हमारे इस सिद्धांत को विदेशी लोगों ने तो खूब माना,उन्होंने तमाम प्रकार के हिंसक और मारक अस्त्र-शस्त्र तैयार किए और अपने आप को विश्व में स्थापित किया और हम मात्र प्रतिमाओं के पुजारी हो करके, सुःख सुविधाओं के दास होकर के,अपने पराक्रम को भी भूल गए और पराक्रम को प्राप्त करने के लिए आवश्यक संसाधन जुटाने का कर्तव्य भी भूल गए। याद रखिए कि भारत में जब तक परमाणु बम का निर्माण नहीं किया था कब तक भारत को दुनिया में कोई भी तवज्जो नहीं देता था। इसलिए शक्ति ही सर्वोच्च है यह सिद्धांत सनातन का है और इसे निरंतर सिद्ध करते रहना होगा यही आपने अस्तित्व की गारंटी है।
हम सनातनी हैँ सृष्टि में जबसे चेतन शरीर सभ्यता का प्रारंभ हुआ तब से ही हमारा अस्तित्व है, ईश्वर की खोज, ईश्वर की व्यवस्थाओं की खोज, ईश्वर की शक्तियों की खोज हमनें ही की है। काल की गणना और युगों का परिवर्तन हमनें ही जाना है। हमारा ज्ञान पूर्ण है सत्य है। फिर भी हम अज्ञान को क्यों अपना लेते हैँ, अपने धर्म पर दृढ़ क्यों नहीं रहते। हम झूठ में क्यों फंस जाते है। अहिंसा इस विश्व का सबसे बड़ा झूठ है। ये ती मृत्युलोक है, यहाँ हिंसा ही सर्वोपरी है। जो अपनी रक्षा करता है उसका ही अस्तित्व है। अहिंसा का महत्व परिवार व्यवस्था में समाज व्यवस्था में है किन्तु जब सामने शत्रु हो तो इनका कोई अर्थ नहीं है। जब अफगानिस्तान में टेंकों से बुद्ध की बड़ी बड़ी प्रतिमाओं को उड़ा दिया गया तब अहिंसा प्रतिरोध नहीं कर सकी। तिब्बत बौद्ध नहीं बनता तो कभी गुलाम नहीं होता। सनातन शस्त्र का संदेश स्वत्व की सुरक्षा के लिए देता है। इसलिए यही सत्य है अमेरिका, रूस और चीन शस्त्र को ही सर्वोच्च मानते हैँ और सुरक्षित हैँ।
स्वतंत्रता दिवस पर मुख्य विमर्श यही है कि यह स्वतंत्रता हमारी है, इसे अक्षुण्य रखना है और इस पर अब गुलामी का काला साया भविष्य में कभी न आये। इसलिए उन सारे राष्ट्र विरोधी तत्वों को चाहे वह घर के अंदर हों, समाज के अंदर हों या देश के अंदर हों, जो हमारी अखंडता को खतरा है, उन्हें समाप्त करना और इनसे सुरक्षा का पुरुषार्थ उत्पन्न करना ही है । इस हेतु आवश्यक सभी संसाधनों को जुटाना,यही सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।
विकास और विविध प्रकार की सुख सुविधाओं से कहीं ऊपर आपके पास मौजूद आजादी की सुरक्षा व्यवस्था और उस हेतु शस्त्र ही सबसे महत्वपूर्ण हैँ। इसलिए सुरक्षा संसाधनों में सर्वोच्चता प्राप्त करना भारत की प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए।
जय हिंद जय भारत।
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Take a pledge for an intact India and achieve it - Arvind Sisodia
When any birth anniversary, death anniversary or any special day is in front of us, it gives us an opportunity for self-introspection, it gives us an opportunity to calculate and divide the profit and loss. By thinking and churning about it, we should decide what our weaknesses were and how to overcome them and what needs to be done for that. This fact is also necessary for our Independence Day and Republic Day.
On Independence Day, we should discuss about keeping our freedom moving continuously and when we start this discussion, we will see years-old slavery and the struggle to remain independent and long stories related to this.
The 3000-year-long continuous struggle to keep our independence intact on the land of India gives us the message that we have four major weaknesses. 1- Accepting meaningless unnecessary violence, 2- Keeping ourselves divided in social divisions and jealousy, 3- Giving up arms and efforts and not resisting evil, and 4- Not remaining firm on our religion and accepting anything. These four mistakes are our biggest enemies. Due to these we have been enslaved and divided again and again and now we are confined to the last part of our land.
The first weakness is the feeling of non-violence and humanity towards the enemy, which we should remove immediately. When a person is eager to end our existence, then why should we have feelings of pity and compassion towards him? Our behavior should be the same as our Gods, our Lord, our ancestors told us! The answer to an attack is to defeat and destroy that attacker. This is the eternal message. If Prithviraj Chauhan had not given life to the terrorist who attacked from outside, had not left him alive, then today the history of India would have been different!! When 95 thousand Pakistani soldiers were our captives and we had taken back our POK, then today Pakistan would have been a mere country, but we did not ask for our territory, so it is full of audacity. This feeling of pity, compassion, feeling of humanity should not have been towards the unworthy. Because an outsider should be considered an outsider, he should not be given relief from the best qualities of the Indian way of life because he does not deserve it.
Our second big shortcoming is our division, our false ego, our unnecessary jealousy. We keep fighting with each other for millions of years, our social unity keeps breaking, we are divided into thousands of identities due to this feeling of hatred!
We also stray from the path shown by our gods, every god of ours has weapons along with scriptures in his hands. Shastra means to have knowledge of millions of types of small and big systems and experiences set by the divine system, to give direction to the society about its benefits and losses and Shastra means to protect ourselves, to protect our culture and our society.
God has left the responsibility of protecting ourselves on us. For their protection and security, the gods also kept creating big scriptures, our ashrams used to be very big centers of security system research. There were two teenagers named Luv and Kush in Valmiki ji's ashram, on the strength of the knowledge they received from Valmiki ji, they defeated the strongest army of Ayodhya at that time.
So it is not true that our Gurukul system, Ashram system believes only in non-violence and peace. Rather, our Sanatan culture has been running on the belief that security is paramount and has been constantly engaged in research on security resources and in the direction of acquiring them. This knowledge and this principle of ours was accepted by the foreigners, they made all kinds of violent and lethal weapons and established themselves in the world and we, being mere worshippers of idols, slaves of comforts, forgot our valour and also forgot the duty of gathering the necessary resources to achieve valour. Remember that till India did not make the nuclear bomb, no one in the world paid any attention to India. Therefore, power is supreme, this principle is of Sanatan and it has to be proved continuously, this is the guarantee of your existence.
We are Sanatani, we have existed since the beginning of conscious body civilization in the universe, we have discovered God, discovered God's arrangements, discovered God's powers. We have known the calculation of time and the change of eras. Our knowledge is complete and true. Still, why do we adopt ignorance, why do we not remain firm on our religion. Why do we get trapped in lies. Non-violence is the biggest lie of this world. This is the mortal world, violence is supreme here. Only those who protect themselves exist. Non-violence is important in the family system and the social system, but when there is an enemy in front, it has no meaning. When the big statues of Buddha were blown up by tanks in Afghanistan, non-violence could not resist. If Tibet had not become Buddhist, it would never have been enslaved. Sanatan gives the message of weapons for the protection of property. Therefore, it is true that America, Russia and China consider weapons to be supreme and are safe.
The main discussion on Independence Day is that this freedom is ours, it has to be kept intact and the dark shadow of slavery should never come upon it in the future.Therefore, all those anti-national elements, whether they are inside the home, inside the society or inside the country, who are a threat to our integrity, must be eliminated and efforts must be made to protect ourselves from them. For this, gathering all the necessary resources should be the biggest priority.
Far above development and various types of comforts, the security system of your freedom and the weapons for that are the most important. Therefore, achieving supremacy in security resources should be India's first priority.
Jai Hind Jai Bharat.
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