भगवान श्रीकृष्ण जैसा पुरूषार्थ पूर्ण जीवन का प्रण लें - अरविन्द सिसौदिया
भगवान श्रीकृष्ण जैसा पुरूषार्थ पूर्ण जीवन का संकल्प लें - अरविन्द सिसौदिया
भगवान श्रीकृष्ण की ही तरह पुरूषार्थ पूर्ण जीवन का संकल्प लें - अरविन्द सिसौदिया
आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर हम सभी को एक प्रण लेना चाहिये कि “ हम अपने धर्म, संस्कृति, सभ्यता की रक्षा के लिये भगवान श्रीकृष्ण जी की ही तरह पूर्ण पुरूषार्थ करेगें। हमारे लिये देशधर्म की रक्षा ही सर्वोच्च प्राथमिकता का विषय होगा। हम सभी को अपने जीवन से भी ज्यादा,महत्वपूर्ण हमारी मातृभूमि का अनन्त - अनन्त काल तक चलने वाला जीवन हे। हम अपने कर्म, व्यवहार एवं जीवन शैली से भारत माता को अक्क्षुण्य बनाये रखने के लिये , मातृभूमि की एक वीर संतान की भांती समस्त कर्त्तव्यों को पूरा करेंगे । हम भगवत गीता को सिर्फ पढ़ेंगे नहीं अपितु अपने जीवन में उतारेंगे। भगवान श्रीकृष्ण के शौर्यपूर्ण जीवन की ही तरह अपना जीवन भी शौर्य से परिपूर्ण बनायेंगे। बिना किसी से डरे, भय मुक्त हो कर मातृभूमि के लिये अपने आप को समर्पित रखेंगे । भक्ति भी करेगे शक्ति के साथ, शास्त्र भी पढ़ंगे शौर्य के साथ । आत्मा अजर अमर अविनाशी है जो सम्भावामी युगे युगे की तरह निरंतर जन्म लेती है। हम बारंबार भारत भूमि पर जन्म लेते रहेंगें।
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हिन्दू धर्म में सृजन के देव बृम्हा जी, संचालन के देव विष्णु जी और संहार के देव शिव जी को कहा गया है। माना जा सकता है कि जनरेट , ओपरेट और डिस्ट्राय से ही GOD बना है। भगवान विष्णु जी को सुव्यवस्थित संचालन एवं अव्यवस्थाओं के विनाश हेतु बार - बार जन्म लेना होता हे। भगवान श्रीकृष्ण के रूप में यह उनका आठवां अवतार है। अन्याय, अधर्म,अनाचार और विध्वंश को परास्त करने के लिये विजय के मार्ग को प्रशस्त कर, धर्म की जय सुनिश्चित करने का संदेश उनका जीवन देता हे। भागवत पुराण में वर्णित उनका जीवन और श्रीमद भगवत गीता में दिये उनके उपदेश सिर्फ एक ही बात कहते हे। कि विजय के लिये पूरी ताकत से पुरूषार्थ करो । विजय का पूर्ण प्रयत्न करो ।- अरविन्द सिसौदिया 9414180151
न्याय के देवता शनिदेव
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ईश्वर
की सृष्टि संचालन व्यवस्था में, प्राणीयों के जीवन को व्यवस्थित करने की
व्यवस्था में कर्म फल , दण्ड विधान एवं न्याय के महत्वपूर्ण कार्य के देव
शनि महाराज है। शनि महाराज का कालखण्ड एवं उनकी स्थिती हमें पूर्व जन्मों
के संचित फलों के बारे में भी इशारा करती है। जो भी हमारा कर्म फल बैंक का
बैंक बेलेंस है। उसी क्रम में जीवन का पथ कैसा होगा । इसकी ओर सही जन्म
पत्री इशारा भी करती है। हमें शनि महाराज को अपने चाल चलन से प्रशन्न करना
चाहिये। क्यों कि जिस तरह न्यायालय में न्यायिक अभिरक्षा होती है। उसी तरह
शनि देव भी न्यायिक अभिरक्षा प्रदान करते हे। शनि महाराज को न तो मित्र
मानना चाहिये न शत्रु । वे सिर्फ आपके वर्तमान चाल चलन को देखते हैं और
आपके प्रति नम्र या कठोर बनते है।
धरणीधर भगवान बलदाऊजी
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धरणीधर
भगवान बलराम , भगवान श्रीकृष्ण के बडे भाई बलदाऊजी है। वे शेषनाग के अवतार
हैं जो भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों में उनकी सहायता हेतु जन्म लेते
हे। उनके बलदाऊ जी के जन्म दिन को विषेशरूप से कृषक वर्ग आयोजित करता हे।
मूलतः इस जयंती पर्व को मातायें संतानों को बलराम जी की तरह बलशाली , दीर्घ
आयु एवं कुल गौरव बनानें की कामना से मनाती हें।
आतंकवाद पर साझा अन्तर्राष्ट्रिय रणनीति की जरूरत - अरविन्द सिसौदिया
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वहां
क्या हो रहा है,किसी को कुछ नहीं पता। तालिबान हो या कोई ओर,खूनी सिकंजे
में अफगानिस्तान फंस चुका है। यह खेल समाप्त तो क्या होगा...? आगे और बढेगा
!! संसार का उसूल है जैसे के साथ तैसा वाला और उसी से मार्ग मिलता है। यह
मामला सिर्फ अमरीका का नहीं है बल्कि सम्पूर्ण विश्व का है और सभी
आतंकवादियों के विरूद्ध है। नाम बदलने से हिंसा के अंजाम नहीं बदलता ! एक
सामूहिक अन्तर्राष्ट्रिय रणनीति एवं रणकौशल की जरूरत है। फिलहाल यह असंभव
सा लग रहा है। किन्तु समय रास्ता निकालता ही हे और कोई न कोई रास्ता
निकलेगा भी ।
अफगानस्तिन में असली “खेला“ होना बांकी है - अरविन्द सिसौदिया
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कूटनीति
की तराजू पर तालिवान का निष्कंट राज नहीं दिख रहा है। अभी असली खेल चालू
होना है। रूस और चीन के बीच अब शीतयुद्ध अफगानिस्तान के कारण होगा। क्यों
कि अफगानिस्तान बहुमूल्य खनिजों के भण्डार के साथ साथ अपना सामरिक महत्व भी
रखता है। चीन हर हाल में अफगानिस्तान पर तिब्बत की तरह कब्जा जमानें की
फिराक में रहेगा। रूस के सहयोग से पहले भी वामपंथी विचार वाली सरकार अफगान
में रही है। वह फिर उसी तरह की सरकार लानें का यत्न करेगा। वहीं चीन को
रोकनें की सबसे अधिक कोशिश ही रूस की होगी । रूस कभी नहीं चाहेगा कि अफगान
में चीन के पैर जमें। अफगान में असली खेला होना बांकी है।
शहीद मंदिर हुआ था, ढांचा तो अतिक्रमण था - अरविन्द सिसौदिया
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इस तरह का कुत्य पूरी दुनिया में इस्लामी आक्रमण कर्ताओं ने किये, भारत में सोमनाथ मंदिर पर , काशी विश्वनाथ मंदिर पर, अयोध्या के श्रीराम जन्म भूमि मंदिर पर, मथुरा में श्रीकृष्ण मंदिर पर ही नहीं अपितु लाखों मंदिरों और करोडा मूर्तियों सहित अनेको किलों और भव्य इमारतों का इस्लामी करण रूपी अतिक्रमण हुआ था। देश आजाद होते ही इन्हे पुनः अपने भव्य और मूल स्परूप में आनें का अधिकार है और किसी को भी, इसमें बाधा बनने का अधिकर नहीं हे।
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