महिला अपराध का जड़ से इलाज करना जरूरी - महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी



महामहिम राष्ट्रपति महोदया की चिंता सही है, बंगाल की तानाशाही नियंत्रित करनी ही होगी - अरविन्द सिसोदिया

भारत की महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू नें कोलकाता बलात्कार एवं निर्मम हत्याकांड  पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए महिलाओं की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की है। राष्ट्रपति महोदया की चिंता सही है और बंगाल सरकार सहित सभी राज्यों की सरकारों सहित केंद्र सरकार को भी चिंता करनी ही चाहिए। क्योंकि अब सुरक्षा तंत्र भी  गंभीर गैर जिम्मेवार हो गया है और उसकी भी सजगता और संवेदनशीलता कम हुईं है। पहले मुखवीरों के माध्यम से अपराध होनें से पहले ही उसको रोक दिये जानें की कोशिश होती थी। अब अपराध होनें का इंतजार किया जाता है, मोटा भ्रष्टाचार भी होता है।

इसलिए यह पूरे देश के लिए सबक भी है और आवश्यकता भी कि जनता में क्या हो रहा है, किसकी क्या मेंटेलिटी है कौन समाज के लिए घातक है, इन सभी की जानकारी पुलिस थानें को हो, समय रहते इस तरह के लोगों का उपाय भी और जमानत प्रक्रिया में भी बदलाव जरूरी है दो तीन अपराधों के दर्ज होनें पर जमानतें नहीं दी जानी चाहिए।
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 Kolkata Doctor Rape Murder President Droupadi Murmu Said In First Reaction She Dismayed And Horrified 

महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि वह घटना से निराश और भयभीत हैं। अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए राष्ट्रपति ने महिला अपराधों पर रोक का आह्वान किया और कहा कि अब बस बहुत हुआ। 

Kolkata doctor rape murder President Droupadi Murmu said in first reaction she dismayed and horrified 

कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या की घटना से पूरे देश में गुस्सा और नाराजगी का माहौल है। अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी कोलकाता की घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। राष्ट्रपति ने कहा कि 'वह घटना से निराश और भयभीत हैं।' अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए राष्ट्रपति ने महिला अपराधों पर रोक का आह्वान किया और कहा कि 'अब बहुत हो गया, अब समय आ गया है कि भारत महिलाओं के खिलाफ अपराधों की 'विकृति' के प्रति जाग जाए और उस मानसिकता का मुकाबला करे जो महिलाओं को 'कम शक्तिशाली, कम सक्षम, कम बुद्धिमान' के रूप में देखती है।'

महिला अपराधों को लेकर राष्ट्रपति ने जताई नाराजगी
न्यूज एजेंसी पीटीआई को लिखे गए एक लेख में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, 'इतिहास का सामना करने से डरने वाले समाज सामूहिक भूलने की बीमारी का सहारा लेते हैं; अब समय आ गया है कि भारत इतिहास का सामना करे। महिला अपराधों पर राष्ट्रपति ने कहा कि 'हमें इस विकृति से व्यापक तरीके से निपटना चाहिए ताकि इसे शुरू में ही रोका जा सके। जो लोग इस तरह के विचार रखते हैं, वे महिलाओं को एक वस्तु के रूप में देखते है। अपनी बेटियों के प्रति यह हमारा दायित्व है कि हम उनके भय से मुक्ति पाने के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करें।'

'सभ्य समाज इस तरह के अत्याचार की इजाजत नहीं दे सकता'
राष्ट्रपति ने कहा कि 'कोई भी सभ्य समाज बेटियों और बहनों के खिलाफ इस तरह के अत्याचार की इजाजत नहीं दे सकता। देश को इस पर गुस्सा जाहिर करना ही चाहिए और मैं भी इससे गुस्से में हूं।' राष्ट्रपति ने 'महिला सुरक्षा: बस बहुत हुआ' शीर्षक से लिखे लेख में पहली बार कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना पर अपने विचार रखे। इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल समेत देशभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। घटना को लेकर मंगलवार को पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी झड़प हुई और आज बंगाल बंद का आयोजन किया जा रहा है। 

दिल्ली के निर्भया कांड के बाद क्या बदला?
मुर्मू ने कहा, 'जब कोलकाता में छात्र, डॉक्टर और नागरिक विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, अपराधी खुलेआम घूम रहे थे। पीड़ितों में किंडरगार्टन की लड़कियां भी शामिल हैं।' रक्षा बंधन पर स्कूली बच्चों के एक समूह के साथ अपनी हाल की मुलाकात को याद करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि 'उन्होंने मुझसे मासूमियत से पूछा कि क्या उन्हें आश्वासन दिया जा सकता है कि भविष्य में निर्भया जैसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं होगी। साल 2012 की घटना के बाद आक्रोशित राष्ट्र ने कई योजनाएं बनाईं और रणनीतियां बनाईं और कुछ बदलाव किए। तब से 12 वर्षों में, इसी तरह की अनगिनत त्रासदियाँ हुई हैं, हालांकि उनमें से केवल कुछ ने ही देश का ध्यान आकर्षित किया है।' राष्ट्रपति ने कहा कि 'क्या हमने अपने सबक सीखे? जैसे-जैसे सामाजिक विरोध कम होते गए, ये घटनाएँ सामाजिक स्मृति के गहरे और दुर्गम कोने में दब गईं, जिन्हें केवल तभी याद किया जाता है जब कोई और जघन्य अपराध होता है।' 

कोलकाता की घटना सुनकर व्यथित हो गई
महिलाओं के खिलाफ अपराधों में हालिया वृद्धि और इस बीमारी को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए हमें ईमानदारी से आत्मावलोकन करना होगा। कोलकाता में एक डॉक्टर के साथ बलात्कार और उसकी हत्या की जघन्य घटना ने राष्ट्र को सकते में डाल दिया है। जब मैंने यह खबर सुनी तो मैं बुरी तरह स्तब्ध और व्यथित हो गई। सबसे अधिक हताश करने वाली बात यह है कि ये केवल एक अकेला मामला नहीं है; यह महिलाओं के खिलाफ अपराधों की कड़ी का एक हिस्सा है। पिछले साल महिला दिवस के अवसर पर मैंने एक लेख में महिला सशक्तीकरण के बारे में अपने विचार और उम्मीदें साझा की थीं। महिलाओं को सशक्त बनाने में हमारी पिछली उपलब्धियों के कारण मैं आशावादी हूं। मैं खुद को भारत में महिला सशक्तीकरण की उस शानदार यात्रा का एक उदाहरण मानती हूं। लेकिन जब मैं देश के किसी भी हिस्से में महिलाओं के खिलाफ क्रूरता के बारे में सुनती हूं तो मुझे बहुत दुख होता है।

मार्शल आर्ट और आत्मरक्षा प्रशिक्षण जरूरी
आत्मरक्षा और मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण सभी के लिए, खासकर लड़कियों के लिए, उन्हें मजबूत बनाने के लिए आवश्यक है। लेकिन यह उनकी सुरक्षा की गारंटी नहीं है, क्योंकि महिलाओं की कमजोरी कई कारकों से प्रभावित होती है। जाहिर है, इस सवाल का पूरा जवाब हमारे समाज से ही मिल सकता है। ऐसा होने के लिए, सबसे पहले जरूरत है कि ईमानदारी और बिना किसी पूर्वाग्रह के आत्मावलोकन किया जाए। समय आ गया है कि जब एक समाज के नाते हमें स्वयं से कुछ मुश्किल सवाल पूछने की जरूरत है। हमसे गलती कहां हुई? और इन गलतियों को दूर करने के लिए हम क्या कर सकते है? इन सवालों का जवाब खोजे जाने तक हमारी आधी आबादी, दूसरी आधी आबादी की तरह स्वतंत्रतापूर्वक नहीं रह सकती।

महिला सशक्तीकरण की गाथा बताई
राष्ट्रपति ने लिखा कि हमारे संविधान ने महिलाओं सहित सभी को उस समय समानता प्रदान की, जब दुनिया के कई हिस्सों में यह केवल एक विचार था। राज्य (शासन) ने तब इस समानता को स्थापित करने के लिए, जहां भी ज़रूरत थी वहां संस्थाओं का निर्माण किया और इसे कई योजनाओं और पहलों के साथ बढ़ावा दिया। नागरिक समाज आगे आया और इस संबंध में राज्य के प्रयासों को गति प्रदान की। समाज के सभी क्षेत्रों में दूरदर्शी नेताओं ने लैंगिक समानता पर जोर दिया। अंत में कुछ असाधारण, साहसी महिलाएं थीं, जिन्होंने अपनी कम भाग्यशाली बहनों के लिए इस सामाजिक क्रांति से लाभ उठाना संभव बनाया। यही महिला सशक्तीकरण की गाथा रही है। फिर भी, यह यात्रा बाधारहित नहीं रही। महिलाओं को अपनी जीती हुई एक- एक इंच जमीन के लिए संघर्ष करना पड़ा है। सामाजिक पूर्वाग्रहों के साथ-साथ कुछ रीति-रिवाजों और प्रथाओं ने हमेशा महिलाओं के अधिकारों के विस्तार का विरोध किया है। यह एक बहुत ही विकृत मानसिकता है। मैं इसे पुरुष मानसिकता नहीं कहूंगी, क्योंकि इसका व्यक्ति की लैंगिकता से कोई खास लेना-देना नहीं है। ऐसे बहुत से पुरुष हैं जिनमें यह नहीं है। यह मानसिकता महिला को कमतर इंसान, कम शक्तिशाली, कम सक्षम, कम बुद्धिमान के रूप में देखती है। ऐसे विचार रखने वाले लोग इससे भी आगे बढ़कर महिला को एक वस्तु के रूप में देखते हैं।

मानसिकता बदलने की जरूरत
महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के लिए कुछ लोगों द्वारा महिलाओं को वस्तु के रूप में पेश करने की यही मानसिकता जिम्मेदार है। यह भावना ऐसे लोगों के दिमाग में गहराई से बैठी हुई है। मैं यहां यह भी कहना चाहूंगी कि... अफसोस की बात है कि यह केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में है। एक से दूसरी जगह के बीच का अंतर अपराध की प्रकृति के बजाय उसके स्तर का होता है। इस प्रकार की मानसिकता का मुकाबला राज्य और समाज दोनों को करना है। भारत में, इतने सालों में, दोनों ने इस गलत नजरिए में बदलाव के लिए कड़ा संघर्ष किया है। कानून बनाए गए और सामाजिक अभियान चलाए गए। लेकिन इसके बावजूद कुछ ऐसा है जो लगातार हमारे रास्ते की बाधा बना हुआ है और हमें परेशान करता है।
 
महिला अपराध का जड़ से इलाज करना जरूरी
मुझे डर है कि यह सामूहिक विस्मृति उतनी ही घृणित है जितनी वह मानसिकता जिसके बारे में मैंने बात की। इतिहास अक्सर दर्द देता है। इतिहास का सामना करने से डरने वाले समाज सामूहिक स्मृतिलोप का सहारा लेते हैं और शुतुरमुर्ग की तरह अपने सिर को रेत में दबा लेते हैं। अब समय आ गया है कि न केवल इतिहास का सीधे सामना किया जाए, बल्कि अपनी आत्मा के भीतर झांका जाए और महिलाओं के खिलाफ अपराध की इस बीमारी की जड़ तक पहुंचा जाए।

मेरा यह दृढ़ मत है कि हमें इस तरह के अपराधों की स्मृतियों पर भूल का परदा नहीं पड़ने देना चाहिए। आइए, इस विकृति से व्यापक तरीके से निपटें ताकि इसे शुरू में ही रोका जा सके। हम ऐसा तभी कर सकते हैं जब हम पीड़ितों की यादों का सम्मान करें और उन्हें याद करने की एक सामाजिक संस्कृति विकसित करें ताकि हमें अतीत की अपनी विफलताएं याद रहें तथा हम भविष्य में और अधिक सतर्क रहें।

अपनी बेटियों के प्रति यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके भय से मुक्ति पाने के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करें। तभी हम सब मिलकर अगले रक्षाबंधन पर उन बच्चों के मासूम सवालों का दृढ़ता से उत्तर दे सकेंगे। आइये! हम सब मिलकर कहें कि बस, बहुत हो चुका!
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'अब बहुत हो गया', कोलकाता केस पर बोलीं राष्ट्रपति; ममता ने कहा- पूरा नॉर्थईस्ट जलेगा तो भड़के असम और मणिपुर के CM, 

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कोलकाता के आरजी कर हॉस्पिटल में जूनियर डॉक्टर के साथ 9 अगस्त को रेप हुआ था. डॉक्टर की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने इस मामले में संजय रॉय को गिरफ्तार किया है. मामले में CBI जांच कर रही है.

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कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ रेप के खिलाफ प्रदर्शन करते लोग

कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में जूनियर डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर केस को लेकर पूरे पश्चिम बंगाल में विरोध प्रदर्शन जारी हैं. बीजेपी ने बुधवार को शाम 6 बजे तक बंद बुलाया. इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प भी देखी गई. इन सबके बीच राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी कोलकाता में डॉक्टर से रेप पर दुख जताया. उन्होंने कहा, बस...अब बहुत हो गया. उधर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी पर राज्य में हिंसा भड़काने की कोशिश करने का आरोप लगाया. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि अगर बंगाल जला तो नॉर्थ ईस्ट भी जलेगा. ममता के इस बयान पर सियासी घमासान शुरू हो गया. मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पलटवार करते हुए कहा कि दीदी आपकी इतनी हिम्मत कैसे हुई? कोलकाता रेप केस के 10 बड़े अपडेट्स...

1- बीजेपी ने कोलकाता रेप केस के विरोध में बुधवार को बंद बुलाया. इसका मिला जुला असर देखने को मिला. ममता सरकार ने विरोध प्रदर्शन को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिसबल तैनात किया था. कई जगह बीजेपी कार्यकर्ताओं और पुलिस में झड़प भी हुई.

2- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर आक्रोश जाहिर करने के साथ ही इस पर अंकुश लगाने की अपील करते हुए बुधवार को कहा कि बस! बहुत हो चुका. राष्ट्रपति ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत ऐसी विकृतियों के प्रति जागरूक हो और उस मानसिकता का मुकाबला करे जो महिलाओं को कम शक्तिशाली, कम सक्षम और कम बुद्धिमान के रूप में देखती है. राष्ट्रपति मुर्मू ने पीटीआई भाषा के लिए एक विशेष लेख में कहा, महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के लिए, कुछ लोगों द्वारा महिलाओं को वस्तु के रूप में देखने की यही मानसिकता जिम्मेदार है. अपनी बेटियों के प्रति यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके भय से मुक्ति पाने के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करें. 

3- राष्ट्रपति के इस लेख पर टीएमसी और कांग्रेस भड़क गई. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बयान पर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा, आदरणीय राष्ट्रपति महोदया,सिर्फ कोलकाता ही नहीं आपको महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार, यूपी और एमपी समेत देश भर में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों के लिए सरकारों को नसीहत देने की जरूरत है.आपको मणिपुर और महिला पहलवानों के यौन शोषण की घटनाओं और उन्हें इंसाफ दिलाने के लिए आगे आने की जरूरत है. आपको दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देखने की जरूरत है. विपक्ष की ही नहीं सत्तारूढ़ बीजेपी और उसकी डबल इंजन की सरकारों की भी जिम्मेदारी तय करने का साहस दिखाईए. 

4- कोलकाता रेप और मर्डर केस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दुख जताया है. राष्ट्रपति के इस बयान पर अब टीएमसी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. टीएमसी नेता कुणाल घोष ने कहा, सुना है राष्ट्रपति ने फिर से आर जी कर मामले का जिक्र किया है. हालांकि, मैं उनका सम्मान करता हूं. लेकिन उन्नाव, हाथरस, बिलकिस और मणिपुर केस में उनके दिल में दर्द नहीं उठा. उन्होंने ओडिशा, महाराष्ट्र और उत्तराखंड में अपराध क्यों नहीं देखे? साक्षी मलिक जैसी लड़कियों के विरोध प्रदर्शन के दौरान वह चुप क्यों रहीं? क्या बीजेपी के खिलाफ बोलना मुश्किल है?

5- सीएम ममता बनर्जी ने कहा है कि मैं प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टर्स से गुजारिश करती हूं कि वे काम पर लौट आएं. हम लोग उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेंगे. बीजेपी एआई के जरिए बड़े पैमाने पर साइबर क्राइम में लिप्ट है, जिसकी वजह से सामाजिक अव्यवस्था फैल रही है. बीजेपी के बंद का उद्देश्य बंगाल को बदनाम करना है. वह आरजी कर अस्पताल बलात्कार-हत्या मामले की जांच को पटरी से उतारने की साजिश रच रही है. हालांकि, ममता की अपील को डॉक्टरों ने ठुकरा दिया. 

6- ममता ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी आप अपने लोगों के जरिए बंगाल में अशांति पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन याद रखिए, 'अगर बंगला जलता है, तो असम, पूर्वोत्तर, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली भी जलेंगे. ममता बनर्जी के इस बयान पर मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस पर पलटवार किया है. 

7- मणिपुर के मुख्‍यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर लिखा, ममता दीदी को पूर्वोत्तर और देश के बाकी हिस्सों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए. इसके साथ ही सीएम ममता बनर्जी को को तुरंत विभाजनकारी राजनीति के जरिए हिंसा और नफरत भड़काना बंद करना चाहिए. सीएम एन. बीरेन सिंह ने कहा कि किसी राजनीतिक नेता के लिए सार्वजनिक मंच पर हिंसा की धमकियां देना बहुत ही अनुचित है.

इसके अलावा असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बंगाल की सीएम ममता बनर्जी पर निशाना साधा. इस दौरान सरमा ने उन पर पूरे भारत में अशांति और विभाजनकारी राजनीति फैलाने का आरोप लगाया. सीएम सरमा ने एक्स पर लिखा, “दीदी, असम को धमकाने की आपकी हिम्मत कैसे हुई?” उन्होंने कहा, "हमें लाल आंखें मत दिखाओ. अपनी विफलता की राजनीति से भारत में आग लगाने की कोशिश मत करो. विभाजनकारी भाषा बोलना तुम्हें शोभा नहीं देता.

8- बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ममता बनर्जी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, दीदी के पश्चिम बंगाल में बलात्कारियों एवं अपराधियों की मदद करने को महत्व दिया जाता है. नड्डा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर यह कटाक्ष पुलिस द्वारा लाठीचार्ज करने, पानी की बौछारें छोड़ने और आंसू गैस के गोले छोड़ने के बाद किया. नड्डा ने ट्वीट कर कहा, कोलकाता से पुलिस की बर्बरता की तस्वीरें हर उस व्यक्ति को गुस्सा दिलाती हैं जो लोकतांत्रिक सिद्धांतों को महत्व देता है. दीदी के पश्चिम बंगाल में बलात्कारियों और अपराधियों की मदद करना सम्मान की बात है, लेकिन महिलाओं की सुरक्षा के लिए बोलना अपराध है.नड्डा ने कहा कि बनर्जी ने एक महिला के खिलाफ जघन्य अपराध और उसके माता-पिता को गुमराह करने के तरीके के सामने चुप्पी साधे रखने का विकल्प चुना है. 

9- केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर ममता बनर्जी के खिलाफ एक्शन की मांग की है. उन्होंने पत्र में लिखा, मैं सीएम ममता बनर्जी के टीएमसी के छात्र विंग को संबोधित करने के दौरान दिए गए बयान की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. जहां उन्होंने बेशर्मी से सभा को उकसाते हुए कहा, 'मैंने कभी बदला नहीं लिया, लेकिन अब वो करो जो करने की जरूरत है'. यह राज्य के सर्वोच्च पद से बदले की राजनीति के खुले समर्थन से कम नहीं है. मैं पश्चिम बंगाल के नागरिकों के हितों की रक्षा और हमारे राष्ट्र के संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए आपकी त्वरित और निर्णायक कार्रवाई की मांग करता हूं. 

10- कोलकाता रेप पर टीएमसी और बीजेपी दोनों ने आंदोलन करने का ऐलान किया है. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, अपराधियों के लिए मृत्युदंड की मांग करते हुए टीएमसी छात्र संघ 30 अगस्त को हर कॉलेज के गेट पर प्रदर्शन करेंगे. उन्होंने कहा कि 31 अगस्त को धरना और रैलियां आयोजित की जाएंगी. 

उधर, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने 29 अगस्त से विरोध प्रदर्शनों की श्रृंखला का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ता गुरुवार को एस्प्लेनेड वाई चैनल पर धरना देंगे जबकि पार्टी की महिला इकाई 30 अगस्त को राज्य महिला आयोग कार्यालय का घेराव करेगी. 

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