रेल दुर्घटनाओं और पुलों के गिरने की घटनाओं पर, षड्यंन्त्रों के आईने से भी गौर करे - अरविन्द सिसोदिया
रेल दुर्घटनाओं और पुलों के गिरने की घटना पर, षड्यंन्त्रों के आईने से भी गौर करे - अरविन्द सिसोदिया
इस समय देश में रेल की पटरियों से छेड़ छाड़ हो रही है, बिहार में पुल लगातार गिर रहे हैँ। किन्ही सरकारों को विफल बताने के लिए, इस तरह के आपराधिक कृत्य एक सुनिश्चित योजना के तहत अंजाम दिलवाये जाने से इंकार नहीं किया जा सकता। यह बात पूरा देश महसूस कर रहा हैँ।
बंगलादेश में मुस्लिम कटटरपंथी संगठनों को आगे रख कर, वहाँ की ओधोगिक उन्नति और प्रखर राष्ट्रवादी सरकार को विदेशी ताकतों नें बड़ी क्रूरता से सत्ता से बाहर करवा दिया। वहाँ कथित छात्र आंदोलन भारत के कथित किसान आंदोलन जैसा ही था। मुखौटा कुछ और उसमें सम्मिलित तत्व कुछ ओर..... !
बांग्लादेश में आंदोलनकारी प्रधानमंत्री के घर में घुस गये और भारत में कथित किसान आंदोलनकारीयों नें लाल किले पर खालिस्तान का झंडा फहराया और उपद्रव मचाया..।
किसी भी तरह की कटटरता का दुरूपयोग कर अपने स्वार्थ सिद्धि करना विदेशी षड्यंन्त्रों का मकसद होता है। यह लगातार देखने में भी आ रहा है। भारत की प्रगति विकसित देशों को पच नहीं रही है और इसको रोकने के लिए वे भारत में मौजूद कटटरपंथ का उपयोग कर सकते हैँ।
अमेरिका की एक न मामूली अनुसंधान कंपनी के द्वारा भारत के सफल उद्योगपति अडानी के विरुद्ध षडयंत्र पूर्वक झूठ फैलाकर एक बहुत बड़ी हानि पहुंचाई गई और भारत के निवेशको को भी उसने नुकसान पहुंचाया गया। यह षड्यंत्र बहुत स्पष्टता से साबित करता है कि भारत में अमेरिका और कनाडा की धरती से बड़े षड्यंत्र किये जा रहे हैं, जिनमें परोक्षरूप से भारत के आंतरिक तत्व भी सम्मिलित हैँ । जिसका मूल मकसद भारत की आर्थिक प्रगति रोकना और राष्ट्रीयहित को मजबूती से गति प्रदान कर रही मोदी सरकार में अडगे बाजी करवाने की नियत रखता है। यही बंगला देश में हुआ भी।
भारत में इस तरह का षड्यंत्र सफल इसलिए नहीं होगा कि यहाँ की सेना भारत की हितचिंतक है। बांग्लादेश में सेना राष्ट्र विरोधी तत्वों से प्रभावित थी यह महसूस हो रहा है। किन्तु भारत में केंद्र सरकार को इसलिए अधिक सतर्कता की जरूरत है कि विदेशी षड्यंत्रकर्ता भारत में राजनीति कर रहे राजनीतिज्ञ लोगों की महत्वाकांक्षा का लाभ उठायेंगे और वहीं यह भी महसूस किया जाता रहा है कि कटटरवादी ताकतें उस तरह के षड्यंत्रकारीयों के टूल में फंस जाती हैँ, उन्हें पता ही नहीं होता कि उनका इस्तेमाल मानवबम की तरह कर लिया गया।
कश्मीर में 500- 500 रूपये में पत्थर फिकवाये जाते थे। यही सब पूरे देश में अन्य प्रकार की घटनाओं के द्वारा करवाये जानें की प्लानिंग महसूस हो रही है। इसी को हम रेल दुर्घटनाओं के रूप में भी देख सकते हैँ।
अतः भारत सरकार और राज्य सरकारों को प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था सजग रहे, मुखबिर पद्धति विकसित करे, षड्यंत्र को सोचते ही समाप्त करने की व्यवस्था पर काम करें।
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