गोगा राणा के इतिहास पर शोध होना चाहिए - अरविन्द सिसोदिया Goga Navmi
गोगा राणा के इतिहास पर शोध होना चाहिए - अरविन्द सिसोदिया
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आज गोगा नवमी है।
भारत की अस्मिता के रक्षक गोगावीर
मोहम्मद गजनी जब सोमनाथ मन्दिर को लूटने के इरादे से आया था तब ददरेवा राजपूताने के शासक गोगा राणा ने उस आतातायी लुटेरे को सोमनाथ जाने से अपने राज्य की सीमाओं पर ही रोक लिया था ,,
दस दिन तक विशाल सेना से युद्ध
कर आगे बढ़ने से रोके रखा।
अन्तत: उस विशाल सेना के सामने गोगा की छोटी सेना गोगा सहित वीर गति को प्राप्त हुयी । रनवास की रानियों ने सभी दासियों सहित अग्नि स्नान किया।
इस प्रकार गोगा राणा ने अपना सर्वस्व
भगवान सोमनाथ मन्दिर की रक्षार्थ स्वाहा कर दिया।
इतिहास कारों ने इनके पराक्रम ओर गजनी से युद्ध के बारे में विस्तृत रूपसे लिखा है ।
विदेशी इतिहास कारो में प्रसिद्ध कर्नल टाड ने हिस्ट्री आफ राजस्थान में लिखा है कि गोगा के बासठ पुत्र ओर सैंतालीस पौत्रों ने बलिदान दिया था।दूसरे इतिहास कार कनिंघम ने भी इसी बात को दोहराते हुये लिखा है कि हिमालय के निचले तराइ के हिस्से में वीर पूजा प्रचलित है पर कइ वीर पूजा भारत के सुदूर तक पूजे जाते है उनमें से गोगा वीर प्रमुख है,,
कनहैयालाल मानिक लाल मुन्सी ने अपने विख्यात ग्रन्थ जय सोमनाथ में इस युद्ध का विस्तृत वर्णन करते हुये ग्रन्थ की भूमिका में लिखा है कि गोगा के पराक्रम काल्पनिक नहीं है।
गोगा का एक पुत्र सज्जन सिंह अपने पुत्र सामन्त सिंह के साथ उस समय सोमनाथ दर्शन की यात्रा पर गये हुये थे ,,उनको सोमनाथ में ही गजनी के आने का समाचार मिलगया था। पिता -पुत्र दोनो ने अविलम्ब उस दुष्ट को रोकने के लिये वहाँ से अलग अलग मार्ग से प्रस्थान किया।जिस मार्ग से सज्जन गया उस मार्ग में गजनी से सामना होगया ।उनके सैनिकों ने सज्जन को बन्दी बना कर गजनी के सामने पेश किया गजनी ने पूछा कहाँ से आरहें हो, कहां जा रहे हो ,सज्जन को तबतक पता होगया कि हमारा राज्य
तहस नहस होगया है, अत: उसने गजनी
से बदला लेने की ठानकर बताया मैं सोमनाथ से दर्शन करके आरहा हूं ।
गजनी ने कहा हमें मार्ग बताओ तो तुम्हे छोड़ देंगे ।चौहान सज्जन सिंह ने कहा पहले मेरी ऊँटनी जो आपके सैनिकों ने लेली है वह मुझे लौटाएँ,
एसा ही हुआ गोगा पुत्र ने उसकी सेना को मार्ग बताने के बहाने घोर मरुस्थल
में भटका दिया जहाँ धूलभरी तप्त बालू रेत में गजनी के दस हजार सैनिक ऊंटों सहित मरुस्थल में समागये सज्जन भी वहीं बलिदान हुये।
इस प्रकार गोगा पुत्र ने दुश्मनों से बदला लेकर इतिहास में अमर होगये।
दुसरी ओर सज्जन का पुत्र सामन्त को भी हकीकत का पता चल गया कि अपना राज्य समाप्त होगया है,उसकी
क़द काठी ओर शक्ल गोगा जैसी ही थी,उसने गाँव गाँव घूमकर लोगों को
सचेत करते हुये गाँवों को ख़ाली कर ने का गजनी की विशाल सेना के बारे मे सबको बताया कि तीस हजार ऊँटों पर पानी की बखाल लिये एक लाख लुटेरों
को साथ लिये आरहा है
गाँव ख़ाली होगये कुवों को पाट दिया गया चारे को जलादिया गया,,नतीजा यह हुआ कि गजनी की सेना को राशन पानी पशुओं को चारा नहीं मिलने से
भारी परेशानी का सामना करना पड़ा
गजनी के सैनिक बताते कि साहब गांवों मे गोगा के भूत ने गाँव ख़ाली करवा दिये,तब गजनी ने कहा ये गोगा
"जाहर पीर है"जहाँ देखो वहीं मौजूद
दिखता है,,यू पी में गोगा को इसी नाम से जानते व पूजते है।
सामन्त ने एक काम ओर किया कि उस मार्ग के राजाओं को एकत्रित कर उनकी सेनाओं के साथ सोमनाथ में मोर्चा लगाया ओर डटकर सामना किया गजनी को अपनी जान बचाकर सभी सैनिकों को युद्ध में मरवाकर स्वयम् कच्छ के रास्ते से वापस भाग गया।
कम्युनिस्टो ने ग़लत इतिहास लिखकर ये बताया कि सोमनाथ की रक्षा के लिये कोइ भी भारतीय नहीं लड़ा ।के एम मुन्सी जो कांग्रेस के बड़े नेता रहे है ने "जय सोमनाथ "ग्रन्थ में
विस्तृत वर्णन कियाहै कि भारत के वीरों ने ने कैसे मुक़ाबला कर दुश्मन को भगायाथा।
आज एक हजार वर्ष से भी अधिक समय से भारत माँ के उस वीर सुपुत्र को भारत की जनता इतना सम्मान देती है कि उनको लोक देवता के रूपमें पूजती है,गोगा मेडी नाम के स्थान पर इनकी समाधान पर मेला लगता है जो उतर भारत का कुम्भ माना जाता है
दिल्ली से गोगा मेडी रेलवे स्टेशन तक
भारत सरकार तीन तीन स्पेशल ट्रेनें चलाती है भादों मास की बदी व सूदी नवमी को ददरेवा जन्म स्थान व गोगा मेडी जहाँ गोगा जी वीर गति को प्राप्त
हुये ,जंगी मेले लगते है एक अनुमान के अनुसार १५से २० लाख यात्री मे ले मे पहुँच कर श्रद्धा पूर्वक पूजा व मनोकामना माँगते है, युपी बिहार के यात्री पीले वस्त्र पहन कर आते है जो केशरिया बाना पहन कर धर्म युद्ध करने की परम्परा की याद ताज़ा करवाता है,,इसदिन राजस्थान सरकार
की ओर से सरकारी छुट्टी रहती है,
राजस्थान में आज के दिन धर धर में
खीर चूरमा बनता है पूर्णिमा को बाँधी
राखी आज खोली जाती है जिसे गोगा की प्रतिमा परचढाइ जाती है
मिट्टी से बनी घोड़े पर सवार गोगा की प्रतिमा की घरघर पूजा होती है,
इसके सम्बन्ध में एकदोहा विख्यात है
पाबू हरबू रामदे,मांगलिया मेहा।
पांचू वीर पधारज्यो,गोगाजी जेहा ।।
(साभार श्री जसवंत सिंह)
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